सुबह उठ जाएँ ब्रह्म मुहूर्त में !
सुबह उठ जाएँ ब्रह्म मुहूर्त में ! इस समय सारे वातावरण में प्राण वायु का आधिक्य होता है | पद्मासन में किसी शांत जगह पर बैठ जाएँ | निचे कोई आसन बिछा कर बैठें | खूब लम्बी लम्बी सांस लें बिलकुल आहिस्ते आहिस्ते , आराम से प्रेम से |जितनी क्षमता हो प्राण उर्जा को खींचे | उसी प्रकार आहिस्ते आहिस्ते धीरे सांस को छोड़ें | सांस को भीतर पांच सेकंड से ज्यादा न रोकें और न हीं सांस को छोड़ने में उतावलापन दिखाएँ | इक्कीस की संख्या तक सांस लेने के बाद पांच मिनट तक विश्राम करें | विश्राम की अवस्था में शरीर में जो भी प्राण स्पंदन हो रहा हो उसे अनुभव करें | इक्कीस , इक्कीस के तिन चक्र पूरा करें | तिन चक्र पूरा होने के बाद शरीर के भीतर की ताजगी को मह्शूश करें | अरे भाई कर के तो देखें क्या मह्शूश होता है ! फिर आ कर यहाँ टिप्पणी लिखना !
यह प्रयोग खाली पेट में सुबह में हीं करें |
हमारे भीतर के सारे नकारत्मक उर्जा का जड़ है हमारे भीतर प्राण ऊर्जा की कमी ! इस प्रयोग के द्वारा आपके भीतर प्राण ऊर्जा अदभुत रूप से बढ़ जायेगी !
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