Featured Post

कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

06 September 2013

रात्रि को सोने से पूर्व

रात्रि को सोने से पूर्व अनाहत चक्र पर खूब गहरा ध्यान या जप कर के ही सोना चाहिए|
इससे दुसरे दिन प्रातः उठते समय भक्तिमय चेतना रहती है|
प्रातः उठते ही पुनश्चः खूब देर तक ध्यान व जप करना चाहिए|



कभी ऐसे स्थान पर जाएँ जहाँ सरोवर हो या नदी के बहते हुए जल की ध्वनि आ रही हो वहां विशुद्धि चक्र पर (कंठकूप के पीछे गर्दन के मूल में) ध्यान करना चाहिए| इससे विशुद्धि चक्र आहत होता है और चैतन्य के विस्तार की अनुभूति होती है| ऐसे स्थान पर गहरा ध्यान करने पर यह अनुभूति शीघ्र होती है कि आप यह देह नहीं बल्कि सर्वव्यापक चैतन्य हो|

आज्ञाचक्र पर ध्यान करते करते प्रणव की ध्वनि (समुद्र की गर्जना जैसी) सुननी आरम्भ हो जाती है तब उसी पर ध्यान करना चाहिए|

मूलाधारचक्र पर भ्रमर या मधुमक्खियों के गुंजन, स्वाधिष्ठानचक्र पर बांसुरी कि ध्वनि, मणिपुरचक्र पर वीणा की ध्वनि, अनाहतचक्र पर घंटे,घड़ियाल,नगाड़े आदि की मिलीजुली ध्वनि, विशुद्धिचक्र पर बहते जल की ध्वनि, और आज्ञाचक्र पर समुद्र की गर्जना जैसी ध्वनि सुनाई देती है| इन ध्वनियों से इन चक्रों की जागृति भी होती है|

साधना के लिए नीचे से ऊपर की ओर निम्न बीजमंत्रों का क्रमशः जाप करें|
नीचे के तीन चक्रों पर कम समय दें और ऊपर के तीन चक्रों पर अधिक|

मूलाधार पर लं लं लं लं लं ......|१०८ बार
स्वाधिष्ठान पर वं वं वं वं वं .....|१०८ बार
मणिपुर पर रं रं रं रं रं .......|२१ बार
अनाहत पर यं यं यं यं यं .....|१०८ बार
विशुद्धि पर हं हं हं हं हं .....|५१ बार
आज्ञाचक्र पर ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ .....|जितनी इच्छा हो !
सहस्त्रार में स्थिति सद्गुरु की कृपा से ही होती है|

चक्र जागरण का एकमात्र उद्देश्य है चेतना और भक्ति का विस्तार|
कुण्डलिनी जागरण भी स्वतः ही होता है जो आपकी चेतना को
ईश्वर की चेतना से संयुक्त कर देता है|

क्रियायोग की साधना द्वारा कुण्डलिनी धीरे धीरे स्वतः ही जागृत होती है
और आपकी चेतना को इस भौतिक, प्राणिक और मानसिक स्तर से ऊपर उठा क
र आध्यात्मिक बना देती है|
ॐ नम : शिवाय !
उपरोक्त प्रयोग लिखने में पूरी सावधानी बरती गयी है फिर भी गुरु के सान्निध्य में करना विशेष फलदायी होगा !

No comments:

Post a Comment