माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
रोटी-कपड़ा और मकान परिवार का सारा जहाॅ है पिता...
पिता है संग तो हर बाजार के सारे खिलौने अपने हैं...
पिता से ही तो हर बच्चे के होते हजारों सपने हैं...
बच्चों की हर आशा और खुशियों का है इंतजार पिता...
प्यार पिता का होता है गूंगा दुनिया समझ ना पाती है...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
माॅ की ममता छलक छलक कर सबको ही दिख जाती है...
कर सको तो महसूस करो नहीं दिखता है ऐसा प्यार पिता...
माॅ की बिंदी और सुहाग ममता का है आधार पिता...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
पिता से ही तो माॅ को अपना एक अलग परिवार मिला...
पिता से ही तो माॅ को माॅ कहलाने का अधिकार मिला...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
सबकी जरूरत सबकी खुशियाॅ सोचे वो बंधन है पिता...
क्या होगा कब कैसे होगा हर पल का चिंतन है पिता...
'अंकुश' बच्चों की खातिर अपने सुख भूले वो है पिता.....#Aalokry
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