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कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

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10 July 2020

How to buy Shiv Yog Play App Subscription by Google Play Balance

शिवयोग ऐप सब्सक्रिप्शन कैसे खरीदें ||
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नीचे आप AaloKS चैनल की और भी दूसरी विडियो देख सकते है .....

बुरे वक़्त में हमेशा अपने ही काम आते हैं || it's True ||


तुम बस अपने आप से मत हारना ॥ You just don't give up on yourself https://www.youtube.com/watch?v=M98zf...

वक़्त बहुत अच्छा जवाब देता है ||Heart Touching Motivational Video||


माँ का सम्मान कब कम होता है || It's True ||

वो बेटा कैसा बेटा है ? जिसके सामने माँ बाप की बेज्जती हो जाए और वो चुप रहे ||Heart Touching Video
https://www.youtube.com/watch?v=zIheU... दुआ कब कबूल होती है || Dua kab Qubool hoti hai || https://www.youtube.com/watch?v=0LGan... जब आप खुश होते है तो आप उसे याद करते है https://www.youtube.com/watch?v=mqfHo... कहाँ आपका ना होना ही बेहतर है...|| https://www.youtube.com/watch?v=QiJMZ... How to open blocked websites in mobile, मोबाइल में ब्लॉक्ड वेबसाइट कैसे खोलें https://www.youtube.com/watch?v=w6PRc... बिना Watermark वाले TikTok Video कैसे डाउनलोड करे https://www.youtube.com/watch?v=Vj1ga... अगर आपका मूड खराब है तो ये आपके लिए है .... https://www.youtube.com/watch?v=aV9-O... ===========================================================

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24 March 2019

जब अपनी मौत के बाद बेटों ने मां से की बात, बताया कैसी है वह दुनिया.. ⭐⭐⭐⭐⭐

जब अपनी मौत के बाद बेटों ने मां से की बात, बताया कैसी है वह दुनिया….

अक्सर आपके मन में ख्याल आता होगा कि मरने के बाद क्या होता है? वह दुनिया कैसी होगी? क्या यहां से जाने के बाद वे लोग हमेें देख सकते हैं? क्या हम उनसे संपर्क कर सकते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि दो बेटों ने एक दुर्घटना में मरने के एक महीने बाद अपनी मां से संपर्क किया तो आप क्या कहेंगे?

यह किस्सा है मुंबई का, मुंबई के बाइकुला इलाके में खुर्शीद भावनगरी और उनके पति रूमी भावनगरी रहा करते थे। इनके दो बेटे थे विस्पी और रत्तू। दोनों की लगभग 29 बरस की उम्र में फरवरी 1980 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। दोनों बेटों का अचानक इस तरह चले जाना मां खुर्शीद बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं। वह गहरे दुख में डूब गईं उनकी बस एक ही इच्छा रह गई कि वह किसी तरह बेटों से संपर्क कर पाएं।

एक महीने बाद बेटों ने एक महिला को माध्यम बनाकर खुद उनसे संपर्क किया। इसके बाद वे ध्यान में लगातार मां से बातें करते रहे। एक दिन उन्होंने कहा कि हम जिस दुनिया में हैं उसके बारे में आपको बताना चाहते हैं आप उस पर एक किताब लिखिए ताकि औरों को भी इससे मदद मिले। आॅटोमैटिक हैंडराइटिंग के जरिए खुर्शीद भावनगरी ने किताब लिखी The Laws Of Spirit World । हिंदी में यह ‘जीवात्मा जगत के नियम‘ नाम से छपी।

अपनी मां से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘हैलो मम्मी, पापा हम विस्पी और रत्तू हैं। हम अपनी मौत के कुछ समय बाद ही आत्माओं के जगत में पहुंच गए थे। यह ईश्वर की इच्छा थी, हमारे लिए क्या सही है यह उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। हम जब चाहे आपको देख सकते हैं। लेकिन जब तक आप पूरी तरह से खुश और रिलेक्स नहीं होंगी आप हमसे बात नहीं कर सकतीं क्योंकि इसके लिए मन को एकाग्र करना पड़ता है।‘ इसके बाद उन्होंने बताया कि आत्माओं के जगत में धर्म की दीवार नहीं है, एक ही ईश्वर है। हम लोग धरती पर अच्छा मकसद लेकर आते हैं, लेकिन यहां आकर भूल जाते हैं।

हमें सही राह पर चलने में मदद करने के लिए हमारे कुछ गाइड होते हैं। मरने के बाद हम लोगों को अहसास होता है कि हमने अपने जीवन में क्या किया। उसी के हिसाब से हम अपना अगला जीवन चुनते हैं। जीवन में आने वाली कठिनाइयां हम खुद चुनते हैं ताकि उनके बीच हम अपने व्यक्तित्व और चरित्र का विकास कर सकें।
इस पूरी किताब में इस आत्मा जगत के नियम विस्तार से लिखे हैं जो न केवल पढ़ने में दिलचस्प हैं बल्कि उनको पढ़ने के बाद जीवन को समझने में मदद मिलती है। ......
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04 February 2019

जानिये हीलिंग क्या और कैसे की जाये


जानिये हीलिंग क्या और कैसे की जाये


संजीवनी शक्ति हर समय शिवयोगी के शरीर हाथों और नेत्रों से प्रवाहित होती रहती है। आप महसूस करने के लिये जब आवाहन करते हो तब आपको वायब्रेशन महसूस होते है अन्यथा ऊर्जा का बहाव तो चलता रहता है।
शांभवि साधक के सोचते ही ऊर्जा जिसको भेजनी है या जिसका आप स्मरण करते हो उस तक पहुँच जाती है।
बस जैसे ही हीलिंग संदेश देखा आपने उस क्षण जागरूक होते हुए आपको माँ भगवती और गुरु मंडल से कनेक्ट होना है और प्रार्थना करनी है और मंत्र जाप करते रहना है मन ही मन और भाव करना है कि हर मंत्र के साथ ऊर्जा बड़ रही है और व्यक्ति स्वस्थ होता जा रहा है।

समझना अत्यंत ज़रूरी है हीलिंग पावर और सिस्टम को। अक्सर देखा गया है जैसे ही connectivity बनी अगले को आराम आना प्रारम्भ होता है। खेल आपकी सोच का और जुड़ाव का। साँसों की माला मैं सिम्रा मैं तेरा नाम “बंदा मैं बन जावा तेरा शिव शिवा” जब तुम और शिव एक हो गये फिर क्या रह गया – बताओ।
हाँ
एक चीज़ आवश्यक है लेने वाले की स्थिति हमेशा कृतज्ञता का भाव और मन चित शान्त। बाबाजी उत्तम समय बोलते है सुबह छे से साड़ें छे -सात तक हीलिंग माँगने वाला कनेक्ट हो जाए और बाबा जी का स्मरण करते हुए हीलिंग माँगे और मंत्र जप प्रारम्भ कर दे उसको हीलिंग मिल जायेगी। आप अपनी साधना जब भी करो जिसको आपको भेजनी है उसका स्मरण अवश्य करो ।

प्रार्थना इस प्रकार …
हे शिवशिवा,
परमपिता परमेश्वर
आद्यशक्ति,
भगवान महामरत्युंजय,
सिद्ध गुरु मंडल,
मेरे गुरुदेव कृपा कर XYZ को हील करें, स्वास्थ प्रदान करते हुए जीवन ख़ुशहाल करें।
तो उत्तम समय आपने समज लिया होगा अब तक, पूरा शिवयोग परिवार सुबह कनेक्ट होता है ६-७ तक महादेव से जो की सर्वोत्तम है।
बाक़ी गुरुदेव ने कोई समय आप सभी को देखते हुए निश्चित नहीं किया।
परंतु
वो यह कहते है मैं सुबह उपलब्ध हूँ और यह भी देखा गया है की भाव से कई साधक तो जाकर उनको साथ लेकर आते है अपनी सधना कक्ष में और मिलकर साधना करते है।

Shivyog is knowingness

और ध्यान रहे आप किसी के लिये प्रार्थना करते हो वो आपकी सधना ही है जितना आप किसी के लिये करोगे उतना आप स्वयम् के लिये कर ही रहे हो यह मत सोचना १० मिनट इसका १० मिनट उसका मत करियेगा सब का सिमरन करते हुए साधना प्रारम्भ करना।

जब १ से ज़्यादा हीलिंग लेने वाले आपके लिस्ट में है तब आप सब का स्मरण करते हुए सधना प्रारम्भ कर दे ऊर्जा गुरुदेव को और प्रार्थना माँ भगवती की जीवन दायनी शिवयोग शक्ति से करें।




27 May 2018

Principles of Shiv Yog Cure Is Possible

*** Principles of Shiv Yog Cure Is Possible ***

# Based on quantum physics, all matter is made up of energy and energy is made up of vibrations.

# Every human body (including the organs, cells, atoms, and sub-atomic particles of an individual) has its own frequency.

# Further, every human being has five bodies – physical body, energy body, mind-body, causal body, and super-casual body; all these five bodies have their own frequencies.

# An individual’s thoughts have their own frequencies and thoughts are affected by the psychic impressions (residue of past traumas and negative situations – emotional and etheric toxins) stored in the causal body.

# An individual’s cells resonate with the frequency of that individual’s emotions (state of mind) which are in turn controlled by thoughts.

# When these frequencies go below a certain level, the individual manifests a disease. At higher frequencies, the individual experiences excellent health.

# Energy exchange between individuals is a fact of nature – an individual can raise the frequency of another individual by transferring positive energy.

# The human body is capable of producing the medicine needed for a cure from within, at healthy frequencies.

By detoxifying the patient of physical, emotional, and etheric toxins and raising cellular frequencies, it is possible to achieve a cure.

Physicians can be taught how to detoxify themselves at multiple levels and to raise their own vibrational frequencies so high that they become the living medicine that the patient needs for the cure. Physicians can also be trained to transfer to patients the knowledge and practice of cosmic yogic techniques as well as mental and emotional attitudes for lasting good health.



06 June 2017

The Right Way To Breathe

सांस लेने का सही तरीका

सांस लेने का सही तरीका


🔴'प्राकृतिक सांस लेने को समझना जरूरी है। देखो छोटे बच्चों को, वे स्वाभाविक रूप से सांस लेते हैं। यही कारण है कि छोटे बच्चे ऊर्जा से भरे हुए होते हैं। माता-पिता थक गए हैं, लेकिन वे थके नहीं हैं।


🔴'कहां से ऊर्जा आती है? यह प्राणमय कोष से आती है। बच्चा स्वाभाविक रूप से सांस लेता है, और निश्चित रूप से अधिक प्राण और अधिक ची ऊर्जा सांस के द्वारा लेता है, और यह उसके पेट में जमा होती है। पेट इकट्ठा करने की जगह है, भंडार है। बच्चे को देखो, वह सांस लेने का सही तरीका है। जब एक बच्चा सांस लेता है, उसकी छाती पूरी तरह से अप्रभावित होती है। उसका पेट ऊपर और नीचे होता है। मानो वह पेट से सांस ले रहा है। सभी बच्चों का पेट निकला होता है, वह उनके पेट से सांस लेने की वजह से है और वह ऊर्जा का भंडार है।

🔴'एक बच्चे को देखें और वही प्राकृतिक सांस है, और उसी तरह सांस लें । जब आप सांस लें तब पेट ऊपर आए और जब आप सांस छोड़ें तब पेट नीचे जाए। और यह एक ऐसी लय हो कि यह आपकी ऊर्जा में लगभग एक गीत बन जाता है, एक नृत्य ताल के साथ, सामंजस्य के साथ--और आप इतने निश्चिंत महसूस करेंगे, इतने जीवंत, जीवन-शक्ति से ओतप्रोत कि आप कल्पना नहीं कर सकते कि ऐसी जीवन-शक्ति हो सकती है।'

🔴'यह सांस लेने का सही तरीका है, ध्यान रहे, अपनी छाती का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं करना है। कभी-कभी यह आपातकालीन समय में किया जा सकता है। आप अपने जीवन को बचाने के लिए दौड़ रहे हैं, तब छाती का उपयोग किया जा सकता है। यह एक आपातकालीन उपाय है। तो आप उथले, तेजी से सांस लेने का उपयोग कर सकते हैं और दौड़ सकते हैं। लेकिन आमतौर पर छाती का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। और एक बात याद रखनी जरूरी है कि छाती आपात स्थितियों के लिए ही होती है क्योंकि आपात स्थिति में स्वाभाविक रूप से सांस लेना मुश्किल है; क्योंकि अगर आप स्वाभाविक रूप से सांस लेते हैं तो आप इतने शांत और मौन होते हो कि आप दौड़ नहीं सकते, आप लड़ नहीं सकते। आप इतने शांत और केंद्रित होते हैं--एकदम बुद्ध जैसे। और एक आपात स्थिति में--जैसे घर में आग लगी है--यदि आप स्वाभाविक रूप से सांस लेंगे तो आप कुछ भी बचा नहीं पाएंगे। या जंगल में एक बाघ आप पर कूदता है और आप स्वाभाविक रूप से सांस लेते रहें तो आप फिक्र ही नहीं करेंगे। आप कहेंगे, 'ठीक है, उसे करने दो जो भी वह चाहता है।' आप अपने खुद को बचाने के लिए सक्षम नहीं होंगे।

🔴अगर आप सही सांस लेते हैं तो आपका प्राणमय कोष स्वस्थ, अखंड और प्राणवान रहता है।

🔴'इस तरह का व्यक्ति कभी नहीं थकता। इस तरह का व्यक्ति हमेशा कुछ भी करने के लिए उपलब्ध है। इस तरह का व्यक्ति हमेशा उत्तरदायी, हमेशा क्षण को प्रतिसंवेदित करने के लिए, चुनौती लेने के लिए तैयार है। वह हमेशा तैयार है, आप उसे किसी भी पल के लिए अप्रस्तुत नहीं पाएंगे। ऐसा नहीं है कि वह भविष्य के लिए योजना बनाता है, लेकिन उसके पास इतनी ऊर्जा है कि जो भी होता है उसका प्रतिसंवेदन करने के लिए वह तैयार है। उसके पास छलकती हुई ऊर्जा है।


🔴'तो प्रकृति ने एक आपातकालीन उपकरण दिया है, छाती एक आपातकालीन उपाय है। जब आप पर एक बाघ हमला करता है, तो आपको प्राकृतिक सांस छोड़ देनी होती है और आप को छाती से सांस लेनी होती है। तब दौड़ने के लिए , लड़ने के लिए, ऊर्जा को तेजी से जलाने के लिए आपके पास अधिक क्षमता होगी। और आपात स्थिति में केवल दो ही विकल्प होते हैं: भाग जाना या लड़ाई करना। दोनों के लिए बहुत उथली लेकिन तीव्र ऊर्जा की जरूरत है, उथली लेकिन एक बहुत परेशान, तनावग्रस्त स्थिति।

🔴'अगर आप लगातार सीने से सांस लेते हैं तो, आपके मन में तनाव होगा। अगर आप लगातार सीने से सांस लेते हैं, आप हमेशा भयभीत होंगे क्योंकि सीने से सांस लेना खतरनाक परिस्थितियों के लिए ही होता है। और यदि आपने इसे एक आदत बनाया है तो आप लगातार भयभीत, तनावग्रस्त, हमेशा भागने की तैयारी में होंगे। वहां दुश्मन नहीं है, लेकिन आप दुश्मनों की कल्पना करेंगे। इसी तरह पैरानोया, व्यामोह निर्मित होता है।


#ओशो, योगा: दि पाथ ऑफ लिबरेशन

22 February 2015

अगर इंसान जानता कि उसकी सोच कितनी पावरफुल है तो वो कभी निगेटिव नहीं सोचता !



” अगर इंसान जानता कि उसकी सोच कितनी पावरफुल है तो वो कभी 

निगेटिव नहीं सोचता !”.............................

जैसे ही आपके मन में विचार आये … “दुनिया बहुत बुरी है ” तो आप इतना कह कर या सोच कर रुके नहीं … तुरंत realize करें कि आपने एक negative sentence बोला है और देर -सबेर ये आपको नुक्सान पहुंचा सकता है , इसलिए तुरंत alert हो जाएं और sentence को कुछ ऐसे पूरा करें
” दुनिया बहुत बुरी है… लेकिन अब चीजें बदल रही हैं , बहुत से अच्छे लोग समाज में अच्छाई का बीज बो रहे हैं और सब ठीक हो रहा है “
कुछ और examples देखते हैं :
“मैं पढ़ने में कमजोर हूँ… लेकिन अब मैंने मेहनत शुरू कर दी है और जल्द ही मैं पढ़ाई में भी अच्छा हो जाऊँगा .”
“मेरा boss बहुत #%$% है … पर धीरे -धीरे वो बदल रहे हैं और उनको knowledge भी बहुत है ,मुझे काफी कुछ सीखने को मिलता है उनसे …”
“मेरे पास पैसे नहीं हैं … लेकिन मुझे पता है मेरे पास बहुत पैसा आने वाला है , इतना कि न मैं सिर्फ अपने बल्कि अपने अपनों के भी सपने पूरे कर सकूँ। “
मेरे साथ हमेशा बुरा होता है … लेकिन मैं देख रहा हूँ कि पिछले कुछ दिनों से सब अच्छा अच्छा ही हो रहा है, और आगे भी होगा ….”
फ्रेंड्स, यहाँ सबसे important बात है ये realize करना कि कब आपके मन में एक Negative thought आई है और तुरंत alert हो कर इसे “लेकिन ” लगा कर positive में convert कर देना. और ये आपको सिर्फ तब नहीं करना जब आप किसी के सामने बात कर रहे हों … सबसे अधिक तो आपको ये अकेले रहते हुए अपने साथ करना है … आपको अपनी सोच पर ध्यान देना है … aware रहना है कि आपकि thoughts positive हैं या negative और जैसे ही negative thought आये आपको तुरंत उसे positive में mould कर देना है .
और एक चीज आप इस बात की चिंता ना करें की आपने ‘लेकिन‘ के बाद जो लाइन जोड़ी है वो सही है या गलत , आपको तो बस एक सकारात्मक वाक्य जोड़ना है , और आपका subconscious mind उसे ही सही मानेगा और ब्रह्माण्ड आपके जीवन में वैसे ही अनुभव प्रस्तुत करेगा !
ये तो आसान लग रहा है !!
हो सकता है ये आपको बड़ा simple लगे , कुछ लोगों के लिए वाकई में हो भी , पर maximum लोगों के लिए thoughts को control करना और उनके प्रति aware रहना चैलेंजिंग होता है , इसलिए अगर आप इस तरीके को practice करते वक़्त कई बार negative thoughts को miss भी कर जाते हैं तो no need to worry… जैसे तमाम चीजों को practice से सही किया जा सकता है वैसे ही thoughts को भी practice से positive बनाया जा सकता है .........................
जैसा कि Maths में होता है negative और negative जब multiply होते हैं तो positive हो जाते हैं , ठीक वैसे ही हम इन शब्दों का प्रयोग negative sentences के अंत में करके उन्हें positive में convert कर सकते हैं.............@

वो सोचो जो चाहते हो वो नहीं जो नहीं चाहते हो......Thoughts become reality…

वो सोचो जो चाहते हो वो नहीं जो नहीं चाहते हो......
Thoughts become reality…
जब आप restaurant में खाने जाते हैं तो waiter से क्या कहते हैं ? “ मुझे एक कढाई पनीर , 2 garlic नान , और एक fried rice नहीं चाहिए ….” या फिर ,” मेरे लिए एक lime soda मत लाना ”
क्या आप ऐसे order देते हैं … कि मुझे ये -ये चीजें नहीं चाहियें . या ये बताते हैं कि आपको क्या -क्या चाहिए ??
Of course , हर कोई यही कहता है कि उसे क्या चाहिए , ये नहीं कि उसे क्या नहीं चाहिए … now suppose अगर हम waiter से कहते कि क्या नहीं चाहिए तो क्या वो हमारे मन की चीज ला कर दे पाता , क्या वो हमारे “नहीं चाहिए ” से ये interpret कर पाता कि हमें “ क्या चाहिए ”…नहीं कर पाता यही बात हमारी life में भी लागू होती है …ये ब्रह्माण्ड एक ऐसी अद्भुत जगह है जहाँ हमारी हर एक इच्छा पूरी हो सकती है.
कैसे ?
हमारी सोच से !
ये दरअसल एक law है जो किसी भी mathematical law की तरह perfect है , हम इसे law of attraction कहते हैं … इस बारे में मैं पहले भी बात कर चुका हूँ , इसलिए यहाँ मैं उन बातों को नहीं दोहराऊंगा …, बस आप इतना समझिये और मन में बैठा लीजिये कि आपकी सोच ही आपकी दुनिया का निर्माण करती है .
पर ऐसा है तो हर कोई वो क्यों नहीं पा लेता जो वो चाहता है ?
मुझे इसके दो basic reasons दिखते हैं :
हर कोई इस बात को लेकर clear नहीं है कि वो दरअसल चाहता क्या है।
और जिन्हें clear है वे इस बारे में प्रबलता से सोचते नहीं .
अगर आप पहले point पर ही अटकें हैं तो सबसे पहले इस बात की clarity लाइए कि आप चाहते क्या हैं ?एक बार जब आप इसे लेकर clear हो चुके हैं कि आप क्या चाहते हैं तो फिर बारी आती है उसे ब्रह्माण्ड से order करने की .
ब्रह्माण्ड से कैसे order कर सकते हैं ?
ब्रह्माण्ड से order करना बहुत आसान है …यहाँ हमारा order हमारी
सोच के through होता है …हम जो सोचते हैं उसे हमारा order मान लिया जाता है .
और यहीं हम order देने में वो गलती कर बैठते हैं जिसे हम restaurant में करने की सोच भी नहीं सकते !!
हम वो order नहीं करते जो हमें चाहिए बल्कि वो करते हैं जो नहीं चाहिए . बस यहाँ इतना सा अंतर है कि restaurant में waiter समझ जाता था कि जो नहीं चाहिए वो मत दो ….पर ब्रह्माण्ड इतना विशाल और शक्तिमान है कि वो बिना दिए नहीं रहता …उसे तो कुछ न कुछ देना है …इसलिए ब्रह्माण्ड “नहीं ” नहीं समझता।
जब आप लगातार सोचते रहते हैं कि “ कहीं पैसे कम ना पड़ जाएं “ तो दरअसल ब्रह्माण्ड को एक order दे रहे होते हैं जिसे वो इस तरह सुनता है ,” ये आदमी चाहता है की इसके पास पैसे कम पड़ जाएं ” और आपके जीवन में उसे हकीकत के रूप में ले आता है …आप पैसों की और भी कमी महसूस करने लगते हैं .
Friends, दरअसल हम images के through सोचते हैं . और ब्रह्माण्ड ये मान कर चलता है की जो इमेज हम देख या सोच रहे हैं वही हम अपनी लाइफ में चाहते हैं , और उसे वो हमारे लाइफ की reality बना देता है .
तो जब आप “ पैसे कम ना पड़ जाएं “ सोचते हैं तो …दिमाग में पैसे कम होने की इमेज बनती है …और इससे related feeling अन्दर पैदा होती हैं …..य़े सब इतनी तेजी से होता है कि may be आप इसे notice ना कर पाएं पर हमारा ये विचार ब्रह्माण्ड तुरंत catch कर लेता है और उसी के हिसाब से हमारी हकीकत बनाने में जुट जाता है .
Ok, तो आप ये तो समझ चुके होंगे कि आपको “पैसों की कमी ” वाली thought नहीं सोचनी चाहिए ,
क्योंकि ये तो वो चीज है जो आप नहीं चाहते हैं …आप तो इसका उल्टा चाहते हैं …” मेरे पास खूब पैसे हों ..”
Right…तो फिर आप इसे सोचिये …इसे हकीकत मान कर चलिए और ब्रह्माण्ड आपके जीवन में इसे सच कर देगा .........

13 February 2014

shivyog tips

www.aalok5s.com

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  • जब सकारात्मक ऊर्जा कम होती है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है तो बात बिगडना शुरू हो जाती है,और जब बात बिगड़ती है तो मनुष्य और ज्यादा शिकायत करता हैरोता हैबिलखता है और दुखी होता हैजिससे मुश्किल भी और ज्यादा बढ़ जाती है।
    मेरा बाबा कहता है कि अगर कोई बात बिगड़ भी जाय तो रोना नहींदुखी नहीं होना बल्कि तुरंत उस शिवाको सुमिरना शुरू कर देना जिससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाएगी और देखना बात बननी शुरू हो जाएगी।
    नमशिवाय 
  • अगर किसी के संचित कर्म पवित्र और शुद्ध है तो उसकी दृष्टि भी उतनी ही पवित्र होगीउसके आसपास कावातावरण भी आनन्द से भरा होगा।
    और जिस मनुष्य के संचित कर्म भारी होंगे तो उसको हर चीज़ बुरी दिखाई देगीऔर उसके जीवन मेंअचानक कष्ट आते रहते है जो जीवन को असहाय बना देते हैं।।
    आपकी सोच और विचारों के वार्तालाप को प्रकृति एक भौतिक रूप देती है। परन्तु आपके संचित कर्मआपकी बुद्धि को पकडते हैं जिसके अनुरूप आप सकारात्मक एवं नकारात्मक सोचते हैं।
    सिर्फ साधना एवं निस्वार्थ सेवा पिछले बुरे कर्मों को निष्क्रिय करती है और शुभ कर्म पैदा कर सकती है।
    नमशिवाय
  • जब प्राण शक्ति कमजोर होती है तो मन अशान्तचिडचिडाऔर क्रोधी हो जाता है। और मनुष्य निस्तेजहो जाता है।
    और जब प्राण शक्ति का प्रवाह उत्तम हो जाता है तब मनुष्य एकदम आनंदित और तेजोमय हो जाता है।
    प्राण शक्ति के उत्तम प्रवाह के लिये शिव साधना सव्रोत्तम है।
    नमशिवाय
  • आप एक किरायेदार हो। आपका शरीर किराये का मकान हैइस मकान का असली मालिक काल है। एकदिन इस मकान का मालिक बिना सूचना के आएगा और आपको इससे बाहर निकाल देगाऔर आप खड़ेखड़े देखते रह जाओगे। तो क्यों ना इससे पहले ही इस मकान में रहकर निष्काम सेवा और साधना करकेसांसारिक एवं आध्यात्मिक सफलता प्राप्त करली जाय। इसके साथ साथ शिव शिवा का श्रवणसंकीर्तनऔर मनन करलो तो इस आवागमन से मुक्ति मिल जाए।
    नमशिवाय
  • किसी के बारे में एक बार भी बुरा चाहनाआपके हजारों पुण्यों को श्रनभर में समाप्त कर देता है जो पतनका कारण बनता है।
    और सभी के बारे में अच्छाशुभ चाहने मात्र से भी पुण्य जागृत होते है जिनसे भाग्योदय होता है। जोभौतिक एवं आध्यात्मिक सुख देता है।
    नमशिवाय
  • अपने परिवार में किसी को दुखी नहीं करना,
    अपने परिवार में किसी की आलोचना नहीं करना,
    अपने परिवार में किसी को कष्ट नहीं देना।
    आपका परिवार एक आत्म समूह हैइस शरीर को धारण करने से पहले आत्मा विचार करती है कि पिछलेजन्मों में जो बिना सुलझे मसले रह गए हैं वह इस जन्म में आपके साथ रहकर सुलझाने हैं।
    इसीलिए परिवार के सभी सदस्यों को प्रेम देनाऔर उनको स्वीकार करनाऐसा करने से बहुत तेजी सेआध्यात्मिक उन्नति होती है 
    नमशिवाय
  • मैं जिसके बारे में सोचूंगा या जिसका नाम लूंगातुरंत मेरा मन उससे जुड जायेगाऔर हम दोनों की ऊर्जाके बीच में एक पुल बन जायेगाफिर उसकी ऊर्जा मेरी तरफ आयेगी और मेरी ऊर्जा उसकी तरफ जायेगी।कुछ समय के बाद हम दोनों की ऊर्जा बराबर हो जायेगी। 
    इसीलिए हमेशा दिव्य पुरुष (गुरुके बारे में ही सोचना तो एक दिन आप और वह दिव्य पुरुष एक (अद्वैत)हो जाओगे।
    क्या आप ने कभी अपने आपको देखा कि आप किस (अच्छा या बुराके बारे में सोचते हैं।
    नमशिवाय 
  • • जो खुद खुश नहीं है वो औरों को खुशी नहीं दे सकता है।नम: शिवाय

    • इस दुनिया में कोई भी चीज़ जिससे मनुष्य को लगाव है उसे वह छोड़ नहीं सकता है। यदि छुड़वाया जाए तो कष्ट होगा।
    यह चीज़ स्वतः ही छूट जाती है यदि उससे अच्छी कोई चीज़ उसके जीवन में मिल जाए। 
    जब घर में गैस आई तो स्टोव छूट गया, रंगीन टेलीविजन आई तो ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन छूट गया, कार आई तो स्कूटर छूट गया। छोड़ना नहीं पड़ा, स्वतः ही छूट गया।
    इस संसार में परमात्मा का सुख सबसे बड़ा सुख है और जिसको उस सुख से लगाव हो जाए तो दुनिया की सभी चीजों से खुशी खुशी अलगाव शुरू हो जाता है।
    नम: शिवाय

    • बीज जब तक अपना अस्तित्व रखता है तब तक पौधा नहीं बन सकता। और पौधा अगर अपना अस्तित्व बनाए रखे तो विशाल वृक्ष नहीं बन सकता, इसीलिए जितना खोओगे, जितना मिटोगे उतना ही पाओगे।
    गुरु भक्ति एक समर्पण का मार्ग है, मिटने का मार्ग है, खो जाने का मार्ग है, व्यक्ति जितना सूक्ष्म होता है उतना ही महान होता है। फिर किसी की गाली उसे प्रभावित नहीं कर सकती, किसी की प्रशंसा भी उसे प्रभावित नहीं कर सकती, क्योंकि वह मिट चुका है। 
    मरकर तो सभी मिटते हैं, सभी खोते हैं , जो जीते जी खो चुका और अपनी मैं का अस्तित्व मिटा देता है तभी वह इंसान शिव बनता है और वही धन्य है।
    नम: शिवाय


    • ये संसार जिसे विपत्ति, रुकावट, दुख एवं रोग कहता है, वास्तव में वह इंसान के संचित कर्मों द्वारा उत्पन्न प्रारब्ध भोग हैं और कुछ नहीं।
    जिसे सत्कर्म कर्म, निष्काम सेवा एवं साधना करके सुख में बदला जा सकता है।
    नम: शिवाय


    • तुम अपने लिए जो कुछ भी चाहते हो, सिर्फ वही बोलना और वही सोचना, क्योंकि आपकी सोच साकार रूप लेती है।
    नम: शिवाय


    • जिस दिन आप पूरी श्रद्धा एवं समर्पण भाव से ईश्वरीय अनुकम्पा प्राप्त करने के जिज्ञासु हो तो यह समझलेना यह विचार ही हजारों पुण्य कर्मों का फल है, और इस बात का विश्वास रखना कि ठीक उसी क्षण से ईश्वरीय शक्ति ( सिद्ध गुरू) आपके जीवन में आते हैं और आपको आप से जोड़ने के लिए आपका मार्गदर्शन करना शुरू कर देते हैं।
    नम: शिवाय


    • उस परात्पर शिव के नाम का अगर एक बार भी सुमिरन किया है तो उसका पुण्य आपको मिलता है, और अगर उसका नाम अपनी हर साँस के साथ जोड़ दिया तो इस दुनिया में आपसे बड़ा धनवान और कौन हो सकता है।
    तुम्हारी असली कमाई वो है जो मीठे शब्द आपने बोले जिससे किसी के अन्दर में शीतलता उतर गई हो, और उसके साथ साथ उस परमात्मा के नाम का सुमिरन। यही कमाई तुम्हारे खाते में हर क्षण लिखी जा रही है, जो इस जीवन में तो रहती ही है और साथ भी जाती है। नम: शिवाय (शिव योग)


    • खून की खराबी है और इंसान फोडे-फुंसियों पर मरहम लगाता रहता है, तो क्या वह बीमारी ठीक हो सकती है? 
    वैसे ही हर कष्ट का मूल कारण संचित कर्म है जो इंसान को प्रारब्ध भोग के रूप में इस जीवन में भोगना पढ़ता है। और इंसान इधर-उधर भागा फिरता है समाधान के लिए।
    जीवन में सुख पाने के लिए बुरे संचित कर्मों को निष्क्रिय करना होगा, उसके लिए अपनी भावना को शुद्ध रखना, शुभ कर्म करना एवं इसके साथ- साथ समर्पण भाव से ईश्वर का सुमिरन और साधना करनी चाहिए। नम: शिवाय (शिव योग


    • पहले अहंकार को पकड़ कर दिखाईये , फिर पूछिए उसका नाश कैसे किया जाए | यह प्रश्न कौन पूछ रहा है ? अहंकार | क्या अहंकार कभी भी स्वयं अपने मृत्यु की सम्मति दे सकता है ? ऐसे प्रश्न पूछते रहना अहंकार को सुरक्षित रखने का मार्ग है , उसे नष्ट करने का नहीं |यदि आप अहंकार की प्रामाणिक तलाश करेंगे तो ज्ञात होगा उसका अस्तित्व ही नहीं है | यही उसके विनाश का मार्ग है


    • कोई किसी की भी बुराई मेरे सामने करता है, और अगर मैं उसे बहुत रूचि से सुनता हूँ तो मैं एक कचरे का डब्बा हूँ जहाँ पर गन्दगी डाली जाती है।
    नम: शिवाय


    • नीयत(intention) कितनी भी अच्छी हो, ये दुनिया आपको आपके दिखावे से जानती है।
    और दिखावा कितना भी अच्छा हो, खुदा आपको आपकी नीयत से जानता है।।


    • तुम्हारे और शिव के बीच का रास्ता बिल्कुल साफ और सुन्दर है, और दिव्य पुरुष (गुरु) उस रास्ते में खड़े हैं आपका हाथ पकडकर उस तक ले जाने के लिए, मार्ग दर्शन करने के लिए। लेकिन आपके कर्मों की परतों ने उस रास्ते के ऊपर अग्यानता का पर्दा डाल दिया है। यह पर्दा माया, लोभ, लालच, काम, क्रोध, मोह से बुना गया है। इस पर्दा को थोड़ा हटा कर तो देखो वो मुस्कुराते हुए बाहें फैलाकर खड़ा है सिर्फ आपके लिए।