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कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

06 September 2013



प्राणायाम की अत्यंत प्राचीन विधि:
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प्राणायाम एक आध्यात्मिक साधना है जो आपकी चेतना को परमात्मा से जोडती है| यह कोई श्वास-प्रश्वास का व्यायाम नहीं है| यह योग-साधना का भाग है| यह आपकी प्राण चेतना को जागृत कर उसे नीचे के चक्रों से ऊपर उठाती है| मैं यहाँ प्राणायाम की दो विधियों का उल्लेख कर रहा हूँ| ये निरापद हैं| ध्यान साधना से पूर्व खाली पेट इन्हें करना चाहिए| इससे आपके ध्यान में गहराई आयेगी और आपकी साधना भी अच्छी होगी|
1.
(a) खुली हवा में पवित्र वातावरण में पद्मासन या सिद्धासन में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह कर के कम्बल पर बैठ जाइए| यदि भूमि पर नहीं बैठ सकते तो भूमि पर कम्बल बिछाकर, उस पर बिना हत्थे की कुर्सी पर कमर सीधी कर के बैठ जाइए| कमर सीधी रहनी चाहिए अन्यथा कोई लाभ नहीं होगा| कमर सीधी रखने में कठनाई हो तो नितंबों के नीचे पतली गद्दी रख लीजिये| दृष्टी भ्रूमध्य को निरंतर भेदती रहे यानि आज्ञाचक्र पर ही रहे|
(b) बिना किसी तनाब के फेफड़ों की पूरी वायू नाक द्वारा बाहर निकाल दीजिये, गुदा का संकुचन कीजिये, पेट को अन्दर की ओर खींचिए और ठुड्डी को थोड़ा सा नीचे की ओर झुका लीजिये| दृष्टी भ्रूमध्य में ही रहे|
(c) मेरु दंड में नाभी के पीछे के भाग मणिपुर चक्र पर मानसिक रूप से ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ का जितनी देर तक बिना तनाव के जाप कर सकें कीजिये| इस जाप के समय आप मणिपुर चक्र पर प्रहार कर रहे हो| आवश्यक होते ही सांस लीजिये| सांस लेते समय आज्ञा चक्र पर ॐ का ध्यान करते रहें|
(d) उपरोक्त क्रिया को दस बारह बार दिन में दो समय कीजिये| इस के बाद ध्यान कीजिये|

2.
एक दूसरी विधि है ------ उपरोक्त प्रक्रिया में a और b के बाद निम्न मन्त्रों को सभी चक्रों पर क्रमश: मानसिक रूप से एक एक बार जपते हुए ऊपर जाएँ|
मूलाधारचक्र ---... ॐ भू:,
स्वाधिष्ठानचक्र ... ॐ भुव:,
मणिपुरचक्र ........ ॐ स्व:,
अनाहतचक्र ........ ॐ मह:,
विशुद्धिचक्र ......... ॐ जन:,
आज्ञाचक्र ........... ॐ तप:,
सहस्त्रार.............. ॐ सत्यम् |
इसके बाद सांस लेते हुए अपनी चेतना को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विस्तृत कर दीजिये| ईश्वर की सर्वव्यापकता आप स्वयं हैं| आप यह देह नहीं हैं| जैसे ईश्वर सर्वव्यापक है वैसे ही आप भी सर्वव्यापक हैं| पूरे समय तनावमुक्त रहिये|
कई अनुष्ठानों में प्राणायाम करना पड़ता है वहां यह प्राणायाम कीजिये| संध्या और ध्यान से पूर्व भी यह प्राणायाम कर सकते हैं| धन्यवाद| ॐ शिव|

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