“हर मनुष्य का पहला गुरू उसकी माँ होती है|
- DISCIPLINE IN LIFE
- 1. “मेरा यह एक कथन अपने कमरे में लिख कर लगा लो: ‘Everyday I have to become better and better. Everyday in every way I’m better than yesterday.’
2. “हर रोज़ जब भी उठो तो प्रयास करना की कल के मुक्काब्ले आज तुम और अच्छे इंसान बनो|”3. “नेत्र खुलते ही शैय्या त्याग दिया करो| पासे पलटना और आलस करना तुम्हारे लिए नहीं है|” (A Shiv Yogi is never seen wallowing on the bed after he’s awake. Also whiling away time and time wastage are not traits which are associated with a Shiv Yogi)4. “रात को जल्दी और सवेरे जल्दी उठने का प्रयास करो| एकदम से परिवर्तन नहीं होगा| छोटे छोटे target रख कर चलो| जैसे यदि अभी 7 बजे उठते हो तो कल से 630 उठने का प्रयास करना| ऐसे धीरे धीरे बदलाव लाओ|”
5. “जीवन में नियम बनाओ और उन नियमों का पालन करो| वही नियम तुम्हे बना देंगे|”‘यह नहीं की एक दिन तो ४ बार साधना और एक दिन तो बिल्कुल ही नहीं|”
- “और बाबा से कभी यह सवाल नहीं करना ‘बाबा जी हम साधना,प्राण क्रियाएँ और संकीर्तन को कितना समय दें एक दिन में ?’ आजकल किसी से पूछो क्या करते हो दिन भर तो लोग कहते हैं ‘timepass’| एक शीव्योगी कभी ऐसी बात नहीं करेगा| यदि तुम्हारे पास समय है तो यथासंभव अपने लिए समय निकालो| पर हाँ दिन में २ घंटे तो ज़रूर रखना अपनी अध्यात्मिक उन्नति के लिए| बाकी यदि और समय है तो उसे इस्तेमाल करो, timepass बिल्कुल नहीं करना| समय का दुरुपयोग कभी नहीं करना|”
- No competition with others. Competition with only your own self.
- “कोई भी काम pending नहीं रहना|”
Baba ji ended on a very sweet note when he said:“Level 1 श्री विद्या का तो ये था की भाई करो ना करो तुम पर है|
Level 2 की तुमको CD बना कर दे दी की भाई कोई तकलीफ़ ना हो और रोज़ साधना हो सके|
Level 3 में अब तुम्हे खुद ही जीती जागती CD बनाकर भेजूँगा| जहाँ बैठोगे, वहीं ध्यनस्त्त हो जाओगे|2 min में समाधीष्ट|”
“जब भी कोई संपत्ति या अध्यात्मिक शक्ति को विरासत में दिया जाता है तो उसमें गड़बड़ होने की गुंजाइश होती है| जहाँ भी धन होता है वहाँ जेबकत्रे होते ही होते हैं| तुम सभी श्री विद्या साधक हो| तुमको मैने अनंत की शक्ति प्रदान कर दी है| तुम्हारे पीछे अब निच्च कोटि के तांत्रिक या बाबा लग सकते हैं इसी शक्ति को पाने के लिए | किसी भी लोभ में नहीं पड़ना|किसी को अपना मस्तिष्क छूने नहीं देना|अब कुछ साधकों ने कह दिया की बाबा जी नाई तो हमारे बाल काटते वक़्त सर छुएगा ही छुएगा|नाई का भाव तुम्हारी भीतर की शक्तियाँ लेना नहीं है|उसे अपना काम करने दो| बच के तुम्हे मैलीविद्दया के तंत्रिकों से रहना है|”
“इस विषय पर ऐसे मैं चर्चा तो नहीं करना चाहता था पर आज समस्या गंभीर हो गई है| कुछ साधक भटक गए हैं सिद्ध मार्ग से|
वह साधना करते हुए उपलब्धि हासिल होने पर ग़लत मार्ग पर चल पड़े है| वह मैलीविद्दया करने लग गये हैं| वशीकरण इत्यादि यह सब शुरू कर दिया है| आज व ह शिविरों के बाहर घूमते है की कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाए तो जाल में फँस जाए| सही मायने में फँसता वही है जो लोभ और लालच में आकर अपने गुरु की वाणी को भुला देता है और जिसकी संकल्प शक्ति दृढ नहीं है|”
Baba ji dubbed the situation as“देखो शिव योग का मार्ग अहिंसा का मार्ग है| मार पीट और गुस्सा दानव प्रकृति है| इस समस्या का समाधान उसको कोसना, गाली देना,मारना नहीं है|अपने कूकर्म वह खुद भोगेगा| कर्म के घड़े में बुरी भावना वाला ऐसा गिरता है की जन्मों जन्मों तक भटकने के अलावा कुछ बचता नहीं| अशुद्ध भावना ही अधोगति का कारण बनता है| यहाँ पर साधक का लोभ ही दोष का कारण है|”
3. “तुम्हारी अनुमति के बिना कोई भी तुम्हारी साधना का फल तुमसे नहीं छीन सकता| किसी भी व्यक्ति को अपना आज्ञा चक्र,सेह्स्त्रार चक्र और बिंदु चक्र छूने नहीं देना| आपका सर तो कोई भी ना छूए| परिवार जन और नाई का तो भाव नहीं होगा शक्ति छीनने का|4. “इस समय पूरे विश्व में तुम्हारे गुरु के अलावा और कोई श्री विद्या दीक्षा नहीं दे सकता| तो अगर कोई तुमसे यह कहे की आओ मैं तुम्हें श्री विद्या दीक्षा दूं तो मेरी इस बात को याद करना|”5. “जब मैं तुम्हें दिल खोलकर शक्ति दे रहा हूँ तो तुम्हें बाहर जाने की क्या ज़रूरत है ? बाबा अपने बच्चों को अनंत प्रेम करता है और अपना जीवन उन्ही की सेवा में लगाता है|मेरी मानो यदि तुम प्रति दिन साधना करते हो और नियम पूर्वक शिव योग के सभी सिद्धांतों का पालन करते हो, मैं तुम्हें guarantee देता हूँ की इसी जन्म में आत्म साक्षात्कार होना ही होना है| कहाँ भागते फिरते हो ? किन पाखंडियों के लोभ में आते हो ?”6. “यदि कोई भी तुम्हें यह कहता है की बाबा जी का message देना है तो कभी विश्वास नहीं करना| मुझे यदि कोई भी message देना होगा, तो मैं स्वयं तुम्हे officially बताऊँगा| कहा सुनी पर यकीन नहीं करना|”“पहले के ज़माने में यज्ञ होते थे तो एक बंदे की duty होती थी यज्ञ विधिपूर्वक संपन्न करवाना और एक की duty होती थी यज्ञ को करना| तुम्हारा बाबा तुम्हारी यज्ञ रूपी साधना में दोनो का भार संभालता है|
“अपने घर को आश्रम बना कर रखो जहाँ साधना सेवा और संकीर्तन हो, जहाँ सभी सदस्य belongingness, happiness,respect और love को experience करें| अपने परिवार को यह गाना ज़रूर गाकर सुनाना हस्ते हुए| घर में यदि तुमसे लड़ाई करे तो बड़े प्रेम से यह सोच कर क्षमा कर देना इनका soul agenda warrior बनने का है|’आ चल के तुझे मैं लेके चलूं इक ऐसे गगन के तले……………जहाँ गम भी ना हो आँसू भी ना हो बस प्यार ही प्यार पाले……………………………… इक ऐसे गगन के तले………..”
“साधक बनो तो घमंड नहीं लाना| एक सामान्य जीवन जियो और किसी से अपनी साधना के बारे में ज़िक्र भी मत करो|”
- Baba ji also portended the sadhaks that after November he will mostly be doing shivirs in the coastal areas to balance the energy.
- Baba ji pointed out that Nepal is on the verge of being a very prosperous region because already it is a Shiv Bhoomi and with the rising Shree Vidya sadhaks,it was set to be amongst the riches.
“जहाँ भी यह श्री विद्या ३ साधना होएगी, वहाँ की भूमि सुरक्षित हो जाएगी|”और अब किसी तांत्रिक इत्यादि को अपने पास भी फटकने नहीं देना|”
- “घर में किसी भी कार्य के लिए नौकर इत्यादि ना रखें| बर्तन धोने के लिए फिर भी छूट ले सकते हैं पर इन कार्यों के लिए परिवार के सदस्यों का ही चयन करें:
१. खाना बनाने के लिए: भोजन में भोजन बनाने वाले का भाव और ऊर्जा आ जाती है इसीलिए मंत्र जाप करते हुए घर की स्त्री भोजन बनाए और भाव यह रखे की इस भोजन को खाने वाला तृप्ति पाए,खुशी पाए और प्राण शक्ति में वृद्धि पाए|
- २. खाना परोसने के लिए३. पलंग ठीक करने के लिए४. घर की चीज़ों को साफ करने के लिए५. बच्चों की देख रेख के लिए”The mere presence of and touch of a person is a means of transfer of energy and so if impressionable kids under 5 years of age are left at the mercy of maids, the children will inculcate and imbibe in themselves the qualities of the caretaker maid.When a mother lovingly touches her child, what she is doing apart from the obvious is transfer the seeds of unconditional love, good energy and positive vibrations which a maid can’t ever do since the latter is not biologically and etherically connected to the child and love of the motherly kind can never emanate from her. Touch is also a way of communication.
The “nanny culture” must cease sooner than later.
“जब भी तुम किसी और के बनाए हुए भोजन का पान करते हो तो उसके आभारी और कर्ज़दार हो जाते हो| भोजन पकाने वाले को धन्यवाद प्रकट करने के साथ साथ प्रेम भी देना और किसी भी प्रकार की सेवा कभी भी देने से मुकरना नहीं|किसी को खाना खिलाना एक बहुत बड़ा सौभाग्य है जिससे कार्मिक लेन-देन झट से पूरे होते हैं|
“संचित कर्म और इकट्ठे करने से बचना है तो दृष्टभाव लाना अपने भीतर| हर स्थिति में आनंद हो| ना ज़्यादा उत्तेजित ना ज़्यादा हताश| सम-भाव रखना और सब भोले बाबा पर छोड़ देना| भावना शुद्ध रखना, मन निर्मल रखना, श्री विद्या साधना करते रहना और विश्वास रखना की जो भी तुम्हारे साथ घटित होगा, अच्छा ही होगा|”
“सांसारिक प्रपंचों में नहीं अटकना| किसी से सम्मोहित नहीं होना|”
- “सभी को अनंत प्रेम करना| इससे कहीं फसोगे नहीं|”
- “एक चीज़ याद रखना की तुम इस दुनिया में अपनी आध्यात्मिक यात्रा करने अकेले आए हो| प्राण छोड़ोगे भी अकेले| समाधी की स्थिति में भी अकेले ही होगे| जो तुम्हारे जीवन में लोग आएँगे उनको अपना सहयात्री समझना और किसी से वैर नही रखना नहीं तो एक रूठा हुआ यात्री और कई यात्राएँ फिर प्रारंभ करवाने की क्षमता रखता है| अपने जीवन में क्षमा कर देना यदि किसी से भी मन-मुटाव रखा है तो| क्षमा का अर्थ है दूसरे के हित की कामना करना| यह भाव कभी नही लाना “देखा मेरे से पंगा लिया था तो बुरा हुआ| अच्छा हुआ|” क्षमा का सबसे सरल उपाय है किसी की भलाई की कामना करना| हर साधना के पश्चात अपने शत्रुओं की मंगल कामना करना और शत्रु शब्द अपनी वर्णमाला से निकाल देना|सब शिव की संतान हैं|”
“आत्मा का घर है यह शरीर| इस शरीर को मंदिर स्वरूप बनाना| मंदिर कैसे बनेगा शरीर ? साधना करके|प्राण क्रियाएँ करके| अज्ञानी की आत्मा भटकती है| अज्ञानी की आत्मा गाना गाती है ‘आवारा हूँ……..आवारा हूँ………या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ………’|”
“श्री विद्या साधना के मार्ग में जीवन के हर पहलू पर जागृत रहना है| जीभ के स्वाद में मत डूब जाना| मासाहारी भोजन तो पूरी तरह से त्याग देना| Pork,beef, red meat तो खाने की सोचना भी मत| बाकी अगर खाते हो तो आहिस्ता-आहिस्ता उसको छोड़ देना| मोक्ष के मार्ग में त्याग बड़ी चीज़ है| इसको सीखो|”
Meat must be a forbidden entity and musnt be hailed as an edible item at all
Cigarette puff will lead your soul to leave in a huff. Quit smoking. Nature is ready to give everything to a Shree Vidya sadhak. And dont offset the balance of nature by insidiously killing yourself since you too are an integral part of nature !
A for Apple and not Alcohol. To a Shiv Yogi the word Alcohol in itself must be an anathema. Steer clear of this poison. You have taken birth after so many incarnations. Bade bhaag manush tan paawaa. Do not waste this lifetime immersing in the false pleasures of belittling your senses.The body has been given to do sadhna and attain the Infinite and not to digress in obnoxious practices. Quit this right away !
Cow is the last birth before the soul manifests into a human. It is a very pure animal. Eating it is tantamount to booking a berth in purgatory. A Shree Vidya sadhak only knows one way—ie that of purity and consuming beef is a total antithesis to this thought. So no and pork no beef !
“तुम बाबा से पूछते हो ‘बाबा जी हम आपको क्या दे सकते हैं?’ मैं तो सब भोले बाबा से ले लेता हूँ तो यहाँ मैं क्या मांगू तुम लोगों से ? पर यदि कुछ देना ही चाहते हो तो लाओ अपनी बुरी आदतें मुझे दे दो| हे श्री विद्या के साधकों लाओ अपनी cigarette पीने की बुरी आदत| लाओ अपनी शराब पीने की बुरी आदत| लाओ अपनी सभी वासनाएँ| श्री विद्या के मार्ग का सही मायने में अनुसरण करना चाहते हो तो मासाहारी छोड़ दो,शराब, cigarette सब त्याग दो और उस अनंत शिव के नशे में डूब जाओ|”
Even if goaded and pestered by friends or colleagues or peers, one must stay firm. Addictions on the path of spiritual realisation must be kept at bay, however much pressure the peers may apply. Say no to drinking because with this habit, any meditation done is futile
“उस शिव की तरह योगी बनो| ऐसा अनोखा योगी है वो की कपाल के अमृत के नशे में विलीन रहता है| शिव जोगी मतवाला मेरा शिव जोगी मतवाला; पिए भांग का प्याला मेरा…………. शिव जोगी मतवाला| लोग समझते हैं शराब का पान तो भगवान शिव भी करते हैं तो ये पाप नहीं| अरे अज्ञानी जिस शराब का वो पान करते हैं वो कोई बाहर से नई लाई जाती| वो तो भीतर के कपाल से, अमृत वर्षा की बूँदें होती हैं| शिव योगी उसी भांग का पान करे| बाकी सब तो तुम्हारी senses को ख़तम कर देंगी| अपनी वासनाओं और स्वाद के बँधी नई बनना| Be your own master.”
Ever noticed why always Lord Shiva’s portrait is made with eyes partially closed ? This is so because Shiva is always in the state of stupor as if drunk. But this state of inebriation is that caused by valium secretion by the Pineal gland and not by consumption of liquor as wrongly perceived by people at large
“यदि कोई तुम्हे गाली देता है और तुम उसे गुस्से में आकर गाली भरा जवाब देते हो तो कर्म लगता है| तुम श्री विद्या साधक हो, अब और कर्म संचित नई करो| कोई गाली दे तो बड़े प्यार से उसको नमन करना| क्षमा करना| उसमें भी शिव का उग्र रूप देखना| शिव के उस रूप को भी नमस्कार करना|ऐसा करने से और कर्म इकट्ठे नही करोगे और आध्यात्मिक विकास गति से होगा|”
“तुम्हारी energy और भगवान की energy equilibrium में flow होती रहनी चाहिए| पर अपने विकारों में हम इतना लिपट जाते हैं की हमारी energy God energy तक पहुँच ही नही पाती| ऐसा होने पर ही करता भाव आता है| इसी कारण अहंकार की उत्पत्ति होती है| अपनी मैं के पीछे नहीं भागना|अपनी भावना शुद्ध रखना और सब उस परमेश्वर पर छोड़ देना| करता पुरुष एक ही है| गुरु नानक जी भी तो यही कहते थे ‘एक ओंकार सतनाम करतापूरख………..’| कभी यह नहीं सोचना मैं नहीं होता तो इसका क्या होता ? या फिर मेरी वजह से आज वह इंसान इतना सुखी है| तुम सिर्फ़ निमित बनो और उस करता पुरुष को धन्यवाद देते रहो की हे प्रभु तुमने मुझे इतना सक्षम बनाया की मैं किसी की सेवा कर सका और किसी का मेरे कारण भला हो सका|मुझ पर कृपा इतनी हो की मैं सभी के कल्याण का कारण बनू| ऐसा भाव रखोगे तो कभी कर्म दोष लग ही नहीं सकता|”
“कर्मों की परतें तब चड़ती हैं जब तुम अपने आप को दुख देते हो, रूठ जाते हो,गुस्सा करते हो,दूसरे को दुख देते हो,दूसरे से ईर्ष्या करते हो, दूसरों की खामियाँ और ग़लतियाँ highlight करते हो| Never judge anyone.” Never find faults in others. Work to improve the faults in yourselves and help others iron out their shortcomings.
“श्री विद्या साधक के मुख से जो वचन निकले वे ऐसे हों की सुनने वाले को निहाल कर दें| सिख धर्म में कितनी सुंदरता से कहा गया है यह ‘जो बोले सो निहाल’………..सत्-श्री-अकाल| ऐसे शब्द बोलना की दूसरे सुनें तो उन्हे शांति और सुख की अनुभूति हो| मंत्र ही महेश्वर है|”
Baba ji said that hatred is caused by the following factors:
- Expectations-When we expect others to do something for us or when we live in the hope of a certain kind of behaviour of others towards us, certain kind of respect towards us and anticipate a particular attitude to us as per the image we have made of the person in our minds and when the aforementioned aspects are not fulfilled, it induces a feeling of revulsion and hatred which chokes the Anahat chakra. He pointed out that one must be a free person. No expecting from anyone. No creating boundaries of Karma for either yourself or others.
- –Inferiority complex– Whenever a person belittles us or rises more than us, we feel envy. The root emotion of envy is hatred. Love can never breed jealousy. It is repulsion and deep disgust which evoke jealousy. Baba ji said that contentment with whatever you get and gratitude for the same to Shiva will help one overcome such a vice.
- Superiority complex -Most of the times we are pining for the object which the other person has or possesses rather than materialising good for ourselves. The classic case of Uski kameez meri kameez se safed kyun demonstrates this mentality to the hilt. We feel we must be bigger than others, richer than others etc. We do not think we should be happy. We think we must be ahead in any and every respect vis a vis others. We compare. We envy. We sulk. We curse God. This is wrong.
The picture might appear funny but thats exactly how trivial a thing we need to be jealous of others. We envy even a muffler and a cap. We are not content with what we have. We always wish to peep how others are faring in life and whether we are equal to their wealth or lagging behind. This competition is misplaced and unfounded says Baba ji. Attention at all times must be only towards what is our own. We must thank God for what we have and work to expand more rather than vie with others
- Baba ji said
“अस्तेय का पालन होना चाहिए| नज़र तुम्हारी सिर्फ़ तुम्हारी ही उपलभधियों पर होनी चाहिए| दूसरे के पास कितना है और मेरे पास तो कम है, ऐसी सोच अब छोड़ दो”
- No statement can be as self destructive ‘I hate you all’. Never utter such words. This will nullify hours of sadhna,sankirtan and sewa all at once.
”किसी से नफ़रत करना अधोगति का कारण बनता है| सभी को प्रेम करो और सभी में उस शिव को देखो| इतने सक्षम बनो की शिकायत करने का मौका ही ना मिले तुम्हे| उस शिव का धन्यवाद हर घड़ी करना| उसी से सब चल रहा है| उसी से सब मिल रहा है| वो ही देने वाला भोला भंडारी है| तुम माँग के तो देखो| सुपात्र बन के तो देखो| लोग कहते हैं भगवान देते नही मैं तो कहता हूँ तुम माँगते ही नहीं| ईश्वर को यह नहीं बोलो ‘हे राम मुझे पड़ोसी की जैसे गाड़ी दे दो’| तुम खुद क्या चाहते हो यह बोलना| ‘पड़ोसी के जैसी’ बोलने में भावना अशुद्ध है| कुछ उपलब्धि हो तो धन्यवाद देना| इसी से संपन्नता आएगी और वृद्धि होगी|”
Gratitude throughout the day at all times to the Almighty is a must for a Shiv Yogi who is a blessed being by virtue of purity. This will help trigger satisfaction in whatever we receive
- We have become so depraved that a small purse, a hairstyle or an accessory becomes a source of envy. This animal tendency Baba ji says we must leave right away if we dont wish to acquire the birth of an animal in the next incarnation.
”तुम्हारे जीवन का लक्ष्य उस अनंत को प्राप्त करने का होना चाहिए|”
”जब भी साधना के लिए बैठो तो सारे issues resolve करने की भावना से बैठना| सभी को माफ़ कर देना और प्रेम करना|” (Resolve all issues in this birth to attain self realisation in this birth itself. Say Sorry. Forgive everyone. Love everyone unconditionally. Accept everyone the way they are)
”अपने जीवन की हर घटना को एक अनुभव की तरह लेना और lesson learn करना| जीवन में कुछ भी घाटित हो तो यह सोचना की यह घटना मेरी अध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक थी| इसके होने से मुझे कुछ लाभ हुआ है जो मेरे विकास में योग्दायक होगा|”
“ज्ञानी वो जो knowingly सब कुछ करे| ज्ञानी वो जो अपनी साँस से लेकर expected salary के बारे में aware हो| सब कुछ उसी की संकल्प शक्ति से फलीभूत हो| ज्ञानी वो जिसकी golden book उसका भाग्य हो|
अज्ञानी वो जिसे उसके कर्मों का फल ही मालूम ना हो| अज्ञानी वो जो भाग्य पर सब छोड़ दे| अज्ञानी वो जो जीवन के हर पहलू से अंजान रहे| अज्ञानी वो जो जीवन को एक बोझा समझे| अज्ञानी वो जो आलस और अन्य विकारों को गले लगाए| शिव योगी अज्ञानी वाले एक भी अवगुण नही रखता|”
- Gateway of Life and Death
“साधना तुम्हे अंतर्मन के करीब लेकर जाएगी| अंतर्मन वो जगह है जहाँ अभी सोचा और अगले क्षण फलीभूत| सिद्ध लोग तभी तो कुछ भी संकल्प लेते हैं तो वह तत्क्षण फलीभूत होता है क्यूंकी वह अंतर्मन में उस परिणाम को घटित कर देते हैं| अंतर्मन के समीप आओ| बाह्यमान इतना शक्तिशाली नहीं| बाह्यमान तो इंद्रियों के वश में आकर विनाश भी माँग सकता है| साधना करो, तुम्हारी जीवात्मा expand करेगी| इससे तुम नर से नारायण की यात्रा आसानी से कर पाओगे|”
(“हृदय की गुफा में अंगुष्ठ मात्र आत्मा वास करती है|”)
Why Goa for special shivirs ?
Apart from the inevitable reasons as perfect arrangements, relaxed atmosphere, celebratory ambience and blissful atmospherics, Baba ji enunciated as to why He prefers to keep Goa as a venue for special shivirs. It is interesting to note that the first ever Shree Vidya level 2 shivir was also held in Goa.
“देखो……. गोवा की भूमि बहुत शुद्ध भूमि है| इतने दिव्य मंदिरों का वास है यहाँ पर| किंतु बहुत कम, बल्कि अब तो किसी को यह नही मालूम की Portugal invasion से पहले यहाँ श्री विद्या के प्रकांड पंडितों का निवास हुआ करता था| पर फिर धीरे धीरे सब लुप्त हो गया| यहाँ गोवा में ही एक गोकरण नाम की जगह है जहाँ के सामुद्री हिस्से का आकार ऊँ की तरह है| जैसे कैलाश में ओम पर्वत है वैसे ही यहाँ पर यह ओम के आकार का सामुद्री हिस्सा है|भगवान शिव का दक्षिण में स्थान गोवा ही है| इस जगह में श्री विद्या शक्ति शुरू से ही थी किंतु अब वो बिल्कुल विलुप्त हो गयी थी और इसको पुनः जागृत करना आवश्यक हो गया था | तभी भोला बाबा की लीला से इसको जगाने का मार्ग खुला और आप लोग जो आज यहाँ साधना करके इस भूमि को और पावन बना रहे हैं, ये सब उस शिव की कृपा है|”
The Om beach at Gokarna. The Om is quite apparent and truly it appears to be Lord Shiva’s abode in the south
- Take every incident in life as a chance to learn a lesson and vow to never repeat the mistake otherwise no point of taking a lesson.
- Be non judgemental.
“Golden book ज़रूर लिखना नहीं तो दिशाहीन होकर दर दर ठोकरें खाते हुए भटक जाओगे| अपने विचारों को, अपनी सोच को, अपनी साधना को एक दिशा प्रदान करो|लिखो तुम कैसा जीवन चाहते हो|चुको मत| ‘……………मानव जन्म अमोल है बंदेया……… अईनू गवाना नई ओ बंदेया’………”
- SHUNNING THE BELIEF SYSTEM
1.When the wish that you aspire for is common to the conscious, sub conscious and ingrained in the belief system it will definitely materialize.
2.
“जीवन में goal बनाओ और अपने से पूछो what is the price I’m ready to pay to achieve this goal?”
3.
“शुरुआत में Mt. Everest पऱ जिन लोगों ने चड़ने का प्रयास किया उनको छोटी तक पहुँचना नामुमकिन लगा|काफ़ी लोग तो इस बात को सुनकर डर गये और कोशिश भी नहीं की उस पर फिर चड़ने की| किंतु जब पहला व्यक्ति चाड गया उस ऊँचाई तक, तो यह नामुमकिनता की ग़लत धारणा, विश्वास में बदल गयी| शिव योग के श्री विद्या साधकों मैं तुम्हें इतना बताना चाहता हूँ की आत्म साक्षात्कार वो भी इसी जन्म में नामुमकिन नहीं है| अपनी सोच को बदलो| बाबा तुम्हारे साथ है|”
“उधारी की बातें और belief system पर विश्वास करना छोड़ दो| Don’t lead life on the perception of others.
5.
“अपनी एक सकारात्मक सोच रखो| और सोच ऐसी की कोई घटना उसे तोड़ ना पाए| कोई व्यक्ति उसे हिला ना पाए| शिव योग का असली मायना ही तुम्हारी अपनी पहचान है| यह जानो की तुम अनंत शिव हो| सांसारिक अंधविश्वास और ग़लत सोच में मत पड़ो| जीवन को सार्थक बनाओ|”
6.
“एक बार की बात है एक व्यक्ति था, वह इतनी भारी गाय को उठा लेता था|लोग हैरान होते थे| एक दिन किसी ने आकर उससे पूछा भाई तुम कैसे इतनी वज़नदार गाय को उठा लेते हो? तो हंस कर कहने लगा ‘मित्र जब मैं छोटा था तो इस गाय का जन्म हुआ| जब यह बछड़ा थी तभी से इसे मैं हर रोज़ उठाता था| यह बड़ी होती गई पर मेरी इसको रोज़ उठाने की आदत नहीं गयी| फलस्वरूप अब मैं इसे बछड़ा समझ कर उठा लेता हूँ| This is the power of the belief system and regularity. जीवन में एक persistence लाओ| एक कार्यशैली बनाओ और उस पर अमल करो| हर रोज़ एक ही समय पर अपना हर कार्य करो| तुम्हारा शरीर आदि हो जाएगा| साधना में नियम का पालन करना और भी फलदायी है| एक ही समय पर साधना करके देखो| तुम खुद मेरे पास आओगे की हाँ बाबा जी बहुत फरक है अनुशासित जीवन में और अनुशासंहीन ज़िंदगी में|”
“बेटा तुम्हारी भावना और belief system ठीक नहीं है| शिव योग के सिद्धांत हर पेशे में और हर इंसान पर ठीक बैठते हैं| धारणा लाओ| तुम्हारी भावना अशुद्ध है और तुम कुछ और सोच कर बैठे हो| शिव योग को समझो| भोले बाबा की कृपा लो सब email आने लगेंगे| Bless you बेटा शुद्धी की आवश्यकता है| साधना करो| नमः शिवाय|”
“Bed पर बैठ कर कभी साधना मत करना| जब हम सोते हैं तो etheric waste emit करते हैं| Bed पर साधना करने से वह energy आपकी energy को खाएगी और साधना का लाभ नहीं मिल पाएगा|”
“विचार शुरुआत में आएँगे पर जैसे जैसे शुद्दि होगी वह अपने आप ही गायब होने लगेंगे|”
“प्रकृति से कितना कुछ सीखने को है मनुष्य के पास| कभी snail देखा है ? उसकी ख़ासियत ही यह है की यदि कोई उसे चू दे, तो वह अपने शरीर के छिद्र से अंदर चला जाता है| उसी प्रकार जब भी कोई विपत्ति आए तो हा-हाकार नहीं मचाने लग जाना| उस snail की तरह अपने भीतर चले जाना| बाहर की हर रुकावट, हर मुसीबत, हर कठिनाई का समाधान बाहर नहीं तुम्हारे भीतर ही है|साधना ही हर समस्या का समाधान है| तुम अनंत हो| तुम्हारे भीतर वह अनंत छिपा हुआ है| वह साधना से ही बाहर आएगा| ‘आपको ध्याओ, आपको भजो, आप में आपके राम आप होकर रहते हैं’| वास्तव में यह मान या शरीर तुम्हारा अस्तित्व नहीं है| तुम वह सत चित आनंद हो जिसके पास हर मुसीबत का हल है| अपने असली दर्शन करने हैं तो साधना करो| सारे कष्ट और रोग ठीक होंगे| अपने असली मैं से मिलकर तो देखो|”
The snail on encountering any encumbrance or threat to its life by any external force, takes refuge in the shell. We must take such subtle cues from nature and endeavour to look within rather than looking for succour outside. Happiness is not the external world but in within the Infinite self contained in us infact which is the real us. The only way to meet this real self of ours is to contemplate and meditate
- LOSING WEIGHT
How this topic was raised is a very interesting story being narrated here exactly how it unfolded.In the question answer session, a lady on the mike came and said” नमः शिवाय बाबा जी| बाबा जी मुझे slim होना है | मुझे सुषुमना नाड़ी के जितना पतला कर दो|(This sent everyone, including the lady in peels of laughter).In the same jocular vein Baba ji replied,“तुम्हें सुषुमना बना तो दूँ पर आस पास ईडा पिंग्ला भी लानी पड़ेंगी, उसका क्या करूँ?”
(This raised the tenor of the proceedings and rip roaring laughter reverberated across the hall).
On a serious note Baba ji had these points for anyone planning to lose weight:
1. Eat less but do not starve. Do not skip meals.
2. Earn your food. Ask yourself whether you have burnt enough calories and digested the previously eaten food that you merit a morsel of the next one ?
3. Exercise and go beyond your limitations everyday. Induce sweat through vigorous exercise.
4. Write down the weight that you wish to attain in your Golden book in the present tense and start believing that you are already ____kg.
5. Ask yourself what is the price Im going to pay for losing ___kg of weight. Am I ready to exercise more ? Am I ready give my taste buds a relief ? Am I ready to eat less but healthy ?
Exercise and sweat daily. If you like music with exercise what better than Mahishasur Mardini strotra in Baba ji’s voice to rev you up ?
Regarding Guru Poornima Baba ji announced these dates for the programmes:
1 July, Ambala
2 July, Bombay
3 July, Surat
“अरे कर ले कर ले यार बाद में देखा जाएगा|”
Baba ji said that this mentality should go. Even if induced and tempted among the friend circle, one must stay away from bad practices, be it smoking,drinking, eating junk or any other wrong habit. Peer pressure must never be allowed to reign supreme. One must set ideals and never succumb to any attraction. This is also valid for persuasion when done by practitioners of black magic, giving the trap of lesser money, more energy, higher sadhna level etc. Do not let anyone else rule your mind. Be your own master.
“मन चंचल होता है| वह तो कहेगा कुछ नया आज़मा लो पर संयम रखना| अपने उसूलों पर टीके रहेना|”
Learn to say No with confidence to anything which is an impediment to your spiritual growth, be it bad company, bad people, drinking,smoking,polluting the environment or any bad practice or habit
“जीवन में दूर का लक्ष्य केवल शिव-शिवा की प्राप्ति रखना| क्योंकि जितना भी कुछ तुम कर रहे हो, अंत में तुम्हारा असली निवास वैकुंठ ही है जहाँ तुम्हारे असली माता पिता रहते हैं| उन्हीं में समा जाने की इच्छा प्रबल रखना|”
- In 2012 it is the responsibility of the saints to help Mother Earth and humanity ascend. By performing Shree Vidya sadhna a sadhak helps in this endeavour of the holy.
- “पूजा का मायना समझो| जब भी तुम किसी की पूजा करते हो तो उसे अपना भाव दे देते हो| इसी कारण मैं कहता हूँ की सिर्फ़ भगवान शिव, माँ दुर्गा और भगवान नारायण को ध्याना| इन्ही में पूरा ब्रह्मांड व्याप्त है| इन्ही से सबकी उत्पत्ति हुई है| गुरु तो शरीर रूप धारण करके सिर्फ़ तुम्हारा मार्गदर्शन करने आया है| गुरु को नमस्कार करना, उसका धन्यवाद करना| गुरु की आरती,पूजन इत्यादि इन सब में नहीं पड़ना| गुरु को सिर्फ़ एक माध्यम समझना तुम्हे शिव से मिलाने का| उसे शरीर समझ के पीछे नहीं भागना|”
Ma Durga
- Baba ji also said that henceforth He will be giving Sanjeevani shakti only to the doctors and would ask them to sync their allopathic practices with Sanjeevani shakti for an enhanced healing effect.
“जो लोग healing करते हैं उनको मैं यह बताना चाहूँगा की इसको करते समय कभी यह भाव नहीं लाना की तुम किसी को ठीक कर रहे हो| भाव यह लाना की तुम माँ आद्याशक्ति से प्रार्थना कर रहे हो और वह अपनी दिव्य ऊर्जा से सब कर रही हैं| ठान कर healing नहीं करना| कुछ साधक कहते हैं नहीं मैं तो ठीक करके ही दम लूँगा| ऐसा कभी नहीं करना| प्रकृति सबको ठीक करती है| तुम अपना काम करना| कुछ ज़बरदस्ती नहीं करना| विनम्र भाव से सिर्फ़ प्रार्थना करना और सारा भाव उस माँ संजीवनी में डाल देना जो सर्व दायिनि है|”
“जैसी तुम्हारी energy होगी, वैसी ही घटनाएँ तुम्हारे साथ होंगी|”
“तुम्हारे मुख से निकला शब्द कभी किसी को आघात ना पहुँचाए”
“श्री विद्या मंत्र से उपर कोई मंत्र नहीं है तो कहीं इधर उधर मत दौड़ना मंत्रों के पीछे| इसी मंत्र में सभी मंत्र समाए हुए हैं| लालच नहीं करना| एक संतुष्टि का भाव लेकर के आना| शुद्धि करना मन की, साधना द्वारा और सब मंत्र स्वतः ही तुम्हे आ जाएँगे|”
“जैसे माता पिता अपने बच्चों का ख़याल रखते हैं, उसी प्रकार तुम्हारा गुरु तुम्हे बुरी शक्तियों के असर से बचाएगा पर तुम्हें भी एक वायदा करना होगा की तुम कभी भी लोभ और लालच में आकर किसी भी मैलीविद्दया के तंत्रिकों के पास नहीं जाओगे और ज्योतिषियों को भी भाग्य इत्यादि दिखाने नहीं जाओगे| अपना भाग्य स्वयं रचित करो| Golden book में लिखो तुम चाहते क्या हो| साधना से शुद्धि करो प्रकृति तुम्हे सब देने में सक्षम है| भगवान शिव तुम्हें सब कुछ देने को आतुर हैं| सुपात्र बन कर तो देखो|”
“कल ३-४ व्यक्ति जो अशुद्ध भावना से यहाँ बैठ के ऊर्जा ले रहे थे और जिन्होने जाकर तांत्रिकों को अपनी शक्ति दे देनी थी, उनमें से एक रह गया था क्योंकि उसने अपनी कुण्डलिनी शक्ति किसी और को समर्पित कर दी थी| वा व्यक्ति किसी और के वश में था| उसकी स्वयं की इच्छा नहीं है कुछ भी| अब तो उसे कोई और control कर रहा है|”
Yesterday a lady came on the mike and said, “नमः शिवाय बाबा जी| बाबा जी मेरी कमर में बहुत दर्द रहता है और मैं ज़्यादा देर के लिए बैठ भी नहीं पाती|” Baba ji replied, “चलो बेटा सच सच खेलते हैं|” (All sadhaks including the lady started grinning). Then Baba ji through his omniscience asked, “बेटा सच सच बताओ तुम अपने भाईयों को सक्षम नहीं समझती तुम्हारा कुछ भी काम करने को?” The lady started smiling. Baba ji said, “बताओ बेटा सच है की नहीं?” The lady conceded on prodding, “हांजी बाबा जी”| Baba ji smiled and said, “बेटा उन्हें लायक समझो| प्रेम करो| सभी के साथ मिलकर काम करो| किसी को असमर्थ नहीं समझो| Then Baba ji looked towards the lady almost as if eager to reveal something more and averred, “अम्मा एक और बात बोल दूं? The lady smiled and nodded in agreement. To this Baba ji said, “तुम जिससे प्यार करती हो ना उससे शादी कर लो, सुखी और खुश रहोगी|” The lady blushed deliriously and very shyly thanked Baba ji, bringing a smile to the face of all. All the sadhaks were mesmerised by Baba ji’s clairvoyance, wit and sense of humour.
“अब तुम हीरे के ज़ोहरी बन गये हो| अब दर दर जाके ढिंढोरा नहीं पीटना की देखो मेरे पास कितने हीरे हैं आओ मुझे लूट लो| क्योंकि मैने जो शक्ति तुम्हारे भीतर स्थापित कर दी है अब वा तांत्रिकों और काई शक्टिओं के लिए अनमोल है| इन सब से बचना| अपना संकल्प मजबूत रखना| किसी दूसरी विद्दा के व्यवसायी के पास नहीं जाना|”
“गुरु की मर्यादा का पालन करना|”
- Baba ji will not be giving healing powers anymore to the sadhaks because of the rampant misuse and wrong diversion of the healing techniques. Healing must be done within the same house only. No seeking healing from outside.
“अपनी साधना प्रारंभ करने से पहले अपने गुरु को धन्यवाद देना क्योंकि यह उसी गुरु का तपोबल है जिस कारण आज तुम साधना सीख पाए हो और शक्ति ली पाए हो| गुरु ने ही बीज को व्रक्ष में परिवर्तित काइया जिसके फल तुम खा रहे हो| साधना से पूर्व गुरु से निवेदन करना की हे गुरुदेव मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ की आप मेरा मार्गदर्शन करो, मेरी रक्षा करो,मुझे काम, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार से मुक्ति दिलवाओ| हे गुरुदेव मैं आपका आवाहन करता हूँ|”
“जब मनुष्य मुक्ति के द्वार पर होता है तो माया उसे फिर पकड़ती है| प्रकृति उसकी परीक्षा लेती है| यदि तो तुम परीक्षा में fail हो जाते हो तो तुम्हारे संचित कर्म और भव्य रूप में तुम्हारे पास लौट आते हैं| इसीलिए उस शिव का नाम लेते रहना और काम, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार को अपने निकट नहीं आने देना| “
“अक्सर साधक यह ग़लती कर जाते हैं की पाँच कदम चलते तो हैं मोक्ष की ओर किंतु तीन कदम आगे चलते हैं और दो पीछे| इसी कारण बाधाएं आती है और आत्म साक्षात्कार होने में समय ल्गता है| अपनी energy को एक ही दिशा में divert करना| उस पर ब्रह्म को ही पाने का लक्ष्य रखना|”
“आजकल मोक्ष भी बड़ा fashion बन गया है| आजकल तो लोग मोक्ष के कई प्रकार बेचते हैं: Deluxe, Super deluxe, Siddha course, Buddha course. यह सब ढोंग है| सच्चा गुरु वो जो नाम धन दे और ऐसे बड़े बड़े दावे करने की बजाय तुममें एक सुंदर रूपांतरण लाने का वचन दे|”
“एक बात गाँठ बाँध लेना की जीवन में shortcut नहीं होते| कोई भी सांसारिक या आध्यात्मिक उपलब्धि को हासिल करना है तो ताप और परिश्रम तो करना ही होगा| आसानी से कुछ नहीं मिलेगा| मेहनत करनी ही होगी| पसीना बहाना ही होगा| साधना करनी ही होगी| यदि तुम्हे कोई यह कहे की पैसे देके तुम उच्च की साधनाएँ सीख सकते हो तो कभी विशास नहीं करना| सिद्ध मार्ग में कोई छोटा रास्ता नहीं होता| लगान,श्रद्धा, भक्ति और नियमितता अपने जीवन में लाकर देखो| मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है| रूपांतरण धीरे धीरे ही आएगा| Instant results की अपेक्षा नहीं करना| सहज पके सो मीठा|”
“तुम सभी अब शिवानंद के शिष्य हो| (This line said by Baba ji drew a rapturous response and for at least the next 10 minutes, the claps and applause did not abate). यह अब तुम्हारा आख़िरी जीवन है| अब भटकना नहीं| साधना लगातार करते जाना| श्री विद्या मंत्र का निरंतर जाप करते रहना जिससे की कर्म तेज़ी से कटें| इस मंत्र में आपार शक्ति है| बड़ी श्रद्धा और आदरपूर्वक इसे करना|”
- “हर साधना के बाद सभी के लिए प्रार्थना करना| यह माँगना की सबका कल्याण हो, सभी का उत्थान हो और सही की आध्यात्मिक उन्नति हो|”
Namah Shivay.
best thinking very good blog
ReplyDeleteBabaji kb aayenge mp indore me
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