आज हमारे शहर मे बहुत गर्मी है। और उफ़ ये क्या हुआ ?
oh shit .... लाइट चली गयी और इनवर्टर भी डिस्चार्ज।
सोचा चलो बाहर टहल आता हूँ।
मैं घर के पीछे वाली रोड पर टहलते हुए आगे बढ़ा कुछ दूर आने के बाद एक घना पीपल का पेड़ दिखा
लहराती पत्तियां ,सनसनाती पत्तियां और वहां पहुचकर लगने वाली वो मीठी मीठी सी ठंडी हवा के झोखे।
वहां पहुचते ही एक सुकून सा महसूस हुआ और लहराती पत्तियों को देखकर आँखों को भी बहुत सुकून
मिला।
फिर सोचा चलो यहाँ कुछ समय बिताते है।
आखिर वहां रुकते भी क्यों ना वहां पहुचकर दिल को एक सुकून सा मिला था।जाने कितने सालो बाद मैं वो महसूस कर पा रहा था।
मैं तुरंत जाकर उस पेड़ के नीचे बैठ गया और उस पेड़ की पत्तियों को जो अपने ही मौज मे लहरा रही थी
ध्यान से देखने लगा। वो पेड़ पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ को भी बहुत ध्यान से सुन रहा था। और मैं बता नहीं सकता मैं अन्दर ही अन्दर मुस्कुरा रहा था सैयद दिल को ज्यादा ही सुकून मिल गया था।
उस टाइम गलती से ही सही पर पर एक चीज़ बहुत अच्छी हो गई थी और वो ये था की मैं अपनी मोबाइल
घर पर ही भूल गया था।
उस दिन एक बात और महसूस हुई की अगर मोबाइल साथ मे लाता तो मै उन खुशियों को महसूस ही नहीं
कर पता जो मुझे मिल रही थी प्रकृति से। अगर मोबाइल लाता तो शायद Whattsapp या Facebook मे
Busy हो जाता या बात करने मे Busy हो जाता। Thank U God की मैं मोबाइल भूल गया।
मैं हाथ मे एक डंडी लिए उसे लहराते हुए जाकर पेड़ से सट कर बैठ गया। और बैठने के बाद उसी डंडी से
मिट्टी को खोदने लगा। और फिर खोदे हुए को समतल कर देता। वही पर पड़ी हुई एक पीपल की पत्ती को उठाकर उसे ध्यान से दहक रहा हूँ फिर उसे नीचे से पकड़कर अपने दो उँगलियों से नचा रहा हूँ।
ये सब मैं क्यों कर रहा हूँ नहीं जानता पर ये करके बहुत खुसी मिल रही है ये जनता हूँ।
तभी मेरी नज़र पड़ी चीटीयों के एक झुण्ड पर जो लाइन बना कर पेड़ पर चढ़ रही थी आधी मेरे इस तरफ थी
और आधी मेरे उस तरफ थी। तभी ध्यान गया ,Ooh My God मैं बिना ध्यान दिए जहाँ बैठ गया था
वो उनका रास्ता था जिसे मैं अन्जाने मे तोड़ दिया था। सारी चिट्टियाँ जो अभी तक एक पंत्ति मे जा रही थी
अब बिखर चुकी थी। शायद एक नए रास्ते की खोज मे ,बिना मुझसे शिकायत किये अपनी नयी मंजिल
ढूंढने लगी वो चींटियां।
मुझे उनका ये Attitude बहुत पसंद आया मैं बिना देर किये तुरंत उस जगह से अपनी जींस को झाड़ते हुए
जिस पर मिट्टी लग गयी थी ,उठ गया। और हाँ अपनी उस डंडी को भी उठा लिया जिससे मिट्टी खोद रहा था
कुछ देर पहले। शायद उस डंडी से लगाव हो गया था मुझे। और इस तरह मैंने उन चीटीयों को उनका रास्ता
सौंप दिया।
अब मैं घूम कर पेड़ की दूसरी तरफ चला गया इस बार अच्छी तरह से देखकर , फूँक कर फिर बैठ गया उस
पेड़ की ठंडी छाव मे।
पर ये क्या.........
मुझे ऐसा क्यों महसूस हुआ की किसी ने मुझे पुकारा पर वहाँ तो मैं अकेला था।
मैं घूमा , चारो तरफ देखा फिर बैठ गया।
दुबारा फिर महसूस हुआ की बहुत ही करीब से किसी ने कुछ कहा , मैं फिर से उठा चारो तरफ देखा और
फिर बैठ गया। कोई नहीं दिखा मुझे ....
फिर तीसरी बार मुझे महसूस हुआ किसी ने कुछ तो कहा मुझसे
अब मेरे मन मे तरह तरह की बाते आने लगी ,उट पटांग विचार आने लगे। दिमाग के पटल पर बचपन की
भुतही कहानियां भी आने लगी ,जो बचपन मे मैंने बड़े चाव से सुन रखी थी। अब दिल ने कहा की जल्दी से
हनुमान - चालीसा बोलना शुरु करो और शायद ये बात भी बचपन मे ही सीखा था की इस तरह की विपरीत परिस्थति मे हनुमान -चालीसा पढ़ा जाता है। तो मैंने भी शुरु कर दिया फिर थोड़ी देर बाद मेरी अंतरत्तमा
ने मुझे आशवस्त किया की अब तुम बिलकुल सेफ हो।
लेकिन ये क्या ?
Ohh My God
फिर से आवाज़ आयी.....
But मैंने यहाँ एक बात गौर की इतना कुछ होने के बाद भी मैं उस जगह से जाना नही चाहता था।
शायद उस खुले आकाश के नीचे , प्रकृति के आँचल मे मैं जो सुकून पा रहा था उसे खोना नही चाहता था।
फिर मेरे दिमाग मे आया मैं फालतू मे क्यों डर रहा हूँ। जब मेरे शिव-शिवा & बाबा जी तो मेरे साथ है तो फिर
कोई नेगेटिव एनर्जी मेरा कुछ नही बिगड़ सकती। अब मैंने फैसला किया उस आवाज़ को जानने की।
जब ऑंख बंद करके उस आवाज़ पर मैंने ध्यान केंद्रित किया तो महसूस हुआ की वो आवाज़ प्रत्यछ ना होकर
एक वाइब्रेशन के रुप मे है जिसे मेरी अंतरत्तमा रिसीव कर रही थी। और वो आवाज़
उस पीपल के पेड़ की थी। वो आवाज़ ये थी कि ,
आलोक मैं हूँ......पीपल का पेड़।
मैं ये सुन कर चौक गया था की आपको मेरा नाम कैसे पता ?
तो पीपल ने बोला की , आलोक मैं सिर्फ तुम्हारा नाम ही नही बल्कि तुम्हारे घर के बगल मे रहने वाले
श्रीवास्तव जी को भी जानता हूँ , सामने वाले वर्मा जी को भी अरे वो सब छोड़ो मैं तुम्हे बताता हूँ की मैं
यहाँ रहने वाले सभी लोगो को जनता हूँ।
ये सुन कर मैं बहुत हैरान था। और पीपल ने भी मेरे चेहरे पर हैरानियाँ देख ली थी। फिर उसने कहा की मैं समझाता हूँ...... जिस जगह आज तुम रह रहे हो वो किसी समय मे विरान थी कोई भी नही रहता था यहाँ.....
ये ऐसी जगह थी जो बाढ़ के समय मे पूरा पानी मे डूबा बाढ़ ग्रस्त एरिया व गर्मी के दिनों मे तपती हुई जमीन
तथा उड़ती हुई चारो तरफ धूल वाली लू....... ऐसी जगह थी ये।
ऐसी बंजर जमीन पर सबसे पहले 'मैं ' और मेरे ही कुछ साथी पेड़ यहाँ पर उगे शुरु मे हम 7 पेड़ थे
जिन्हें तुम लोग आज तितैया नीम , बड़का बरगद , मिठौआ आम , कौआलिलारिया आम, उ लम्बका पेड़ , खजूरकवा पेड़ और मैं जिन्हें तुम सब पीपल बाबा बोलते हो हम 7 पेड़ यहाँ उगे थे।
जिस जगह आज तुम और ये सारा मोहल्ला ख़ुशी -ख़ुशी रह रहा है ना , ये रहने लायक मॉहौल हम और हमारे साथी पेड़ो ने मिलकर ऐसी जगह बनाई है जहाँ तुम लोग इतनी ख़ुशी - ख़ुशी रह रहे हो।
हम सब पेड़ो ने ही मिलकर ज़मीन की कटान को रोका , बाढ़ को नियंत्रित किया , खुद को धुप मे जलाकर
ठंडी छाव प्रदान की ,फिर मीठे -मीठे फल आये फिर तुम्हारे पूर्वज
फल व ऐसी जगह देखकर यहाँ बसना शुरू कर दिए।
मैंने उन्हें बीच मे टोकते हुए बोला की पीपल बाबा आप मुझे ये सब आज क्यूं बता रहे है ?
पीपल के पेड़ ने कहा :- मेरे बच्चे मै उन 7 पेड़ो में से वो आख़िरी पेड़ बचा हुँ जिसे अभी से ठीक 18 घण्टे बाद
काट दिया जायेगा।
और मैं तुमसे सच कहता हूँ। मुझे मेरे कट जाने का दुःख नहीं है कष्ट तो इस बात का है की मैं तुम इंसानो का
वो भयानक भविष्य देख रहा हूँ जो की अगर तुम पेड़ो को काटना नही रोके तो तुम्हारा हाल वही होगा जो उन
दियों का हो जाता है जो जलते तो 100 - 200 एक साथ है पर जब आँधी चलती है तो एक -एक कर सारे दिये बुझने लगते है और अँधेरा हो जाता है।
मेरे बच्चे , अभी भी सम्भल जाओ कुछ दियों को बचा लो बुझने से ताकि फिर से उन दियों को जला पाओगे
जो बुझ चुके है और उस महा-विनाश को रोक पाओगे जो मैं देख रहा हूँ।
अब मैं जानना चाहता था की वो क्या कहना चाह रहे है ?
कैसा महा-विनाश?
कौन काटने वाला है उनको ?
अब मैंने उनसे आग्रह किया की सब कुछ मुझे विस्तार से बताइये की आप कहना क्या चाहते है ?
कौन आपको 18 घण्टे बाद काटेगा और क्यूँ ?
पीपल ने कहा :- मेरे बच्चे मेरी बात को ध्यान से सुनना क्यों की तुम्हे ही इस बात को आगे तक पहुचाना है।
ताकि लोग आने वाले विनाश को रोक पाये और ये खूबसूरत दुनिया खूबसूरत ही बनी रहे।
तुम अभी जिस जगह पर खड़े हो वो ज़मीन कल ही बिक गई है और जिसने ये प्लाट ख़रीदा है जानते हो
उसका सबसे पहला शब्द क्या था ? उसने कहा इस पेड़ को काट दो फिर मेरा प्लाट बहुत अच्छा निकल
आएगा। और जिसने ये ज़मीन खरीदी है वो ठेकेदार को बोल के गया है की कल सुबह 09:00 बजे आकर
इस पेड़ को काट देना और हाँ सुनो लकड़ी यही छोड़ जाना हम उपयोग करेंगे उसका , ठंडी मे जलाने के
काम आएगी और नवरात्री मे हवन इत्यादि के काम आयेगी। वो उस तरफ देखो रस्सी और आरी भी आकर
रखा गयी है।
पीपल ने कहा :- आलोक तुम मुझे एक बात बताओ किस वेद या ग्रन्थ मे लिखा है कि पेड़ो को काटकर
हवन करो ?
अगर इंसान इसे ध्यान से पढ़े तो वो जानेगा की हर ऋषि -मुनि अपने शिष्यो को यही बोलते थे की जाओ और
हवन के लिए जंगल से लकड़ी बिन कर लाओ। वे कभी भी पेड़ काटकर हवन नहीं करते थे बल्कि जंगल मे
गिरी हुई लकडियो को इकट्ठा कर लाते थे हवन के लिए। और मुझे ये बताओ की मुझे काटकर वो हवन कर भगवान से मांगेगा क्या ? अपने लिए सुख और शान्ति।
तुम्ही बताओ आलोक कैसे मिलेगी उसे सुख और शान्ति
जब की उसने तो सिर्फ मेरी ही हत्त्या नहीं की बल्कि मुझ पर आश्रित कई प्रकार के जीवों की सुख - शान्ति
छीन ली।
मैंने पुछा पीपल बाबा आप पर कौन जीव आश्रित हैं ?
पीपल :- क्यों ?
दिन भर उड़ने के बाद थकी हारी चिड़ियाँ शाम को अपने घोंसले मे नहीं लौटेंगी?
जो उन्होंने मुझ पर बना रखा है। उनका घर नही हमेशा के लिए टूट जायेगा ? और ये गिलहरियां जो पुरे दिन ऊपर नीचे करती है उनका घर भी तो मैं ही हूँ। महावत आकर मेरी पत्तियां अपने हाथियों के लिए ले जाता है
उन हाथियों के लिए भोजन मैं हूँ। मेरी जड़ो मे हजारो तरह के सूक्छम तथा अति सूक्छम जीव जिन्हें तुम
देख नही पाते वे कहाँ जायेंगे?
जब चीटियां अपना भोजन व मरे हुए कीट पतंगों को खींचकर अपने बिल में ले जाती हैं जो घर उन्होंने मेरे
जड़ो में बना रखा है। तो वह सिर्फ खुद ही भोजन नहीं करती बल्कि उन हजारों छोटे छोटे जीवो को भी
भोजन मिलता है। मेरे कटने पर तो वे हजारों छोटे छोटे जीव भी मर जाएंगे।
अब तुम बताओ! इतने लोगों की हत्या व उनका घर तोड़ देने के बाद तुम इंसान कैसे सोच सकते हो कि
ईश्वर तुम्हें सुख और शांति देगा।
मैंने कहा:- पीपल बाबा हमने तो आज तक कभी यह सोचा ही नहीं कि एक पेड़ कटने पर ना सिर्फ वह पेड़
बल्कि उस पर आश्रित ज़िंदगियाँ भी खत्म हो जाती हैं।
मैं दुखी होकर यह सोच रहा था मतलब 18 घंटों बाद ना सिर्फ ये पीपल का पेड़ बल्कि और भी ज़िंदगियाँ
बिखर जाएँगी।
मैं ये सोच ही रहा था कि पीपल ने बोला जब कभी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से तुम्हारे घर टूट जाते हैं तो
तुम इंसान भगवान से शिकायत करते हो और कहते हो कि भगवान आपको क्या पता की पूरी उम्र बीत जाती
है अपने सर पर एक छत बनाने में और आप मेरा घर तोड़ दिए?
और मुझे बताओ तुम कभी यह सोचे कि एक पेड़ काट देने से तुम कितनों के घर तोड़ दिए?
मैंने उन्हें बीच में टोकते हुए बोला कि आपको यह कैसे पता कि हम इंसान भगवान से ये बात बोलते हैं
कि उम्र बीत जाती है एक छत बनाने में ?
पेड़ ने कहा मेरे बच्चे, तुम्हारे जो बड़े बुजुर्ग लोग हैं ना वो अक्सर दोपहर में आकर मेरी छांव के नीचे बैठते हैं।
और आपस में अपना सुख-दुख बांटते हैं और मैं सब कुछ सुनता रहता हूं। और मैं भी उनके साथ साथ खुश
होता हूं और दुखी होता हूं।
मैंने बोला आप ऐसा कैसे कर सकते हैं आप तो पेड़ हैं?
पीपल ने बोला:- क्यों नहीं कर सकता !
तुम ध्यान तो दो जब तुम गर्मी से परेशान मेरे पास आते हो तो तुम्हें ठंडी हवा देता हूं और जब कभी भी तुम
आपस में बात करते करते रो देते हो, तो उस समय ध्यान देना मैं भी ठहर सा जाता हूं ,हवा का वेग बहुत कम
हो जाता है एक सन्नाटा सा पसर जाता है।
और जब तुम हंसते हो जोर जोर से तो मैं और भी तेज लहराने लगता हूं हवा तेज हो जाती है
मैं तो कई पीढ़ियों के साथ ऐसे ही उनके सुख दुख में साथ देता रहा हूं।
और कभी कभी तो मेरे साथ इतना बुरा होता है कि मैं बता नहीं सकता कुछ बेवकूफ बच्चे मेरे पेड़ पर आकर
सू -सू कर देते हैं और मैं गिनगिना कर रह जाता हूं।
ये सुन कर मुझे तेज़ी से हंसी आ गई। तो वे बोले हंसी आ रही है तुम्हें ,अभी तुम्हारे ऊपर कोई सू -सू करे तो
तुम तुरंत ढकेल दोगे उसे। तो मेरे बारे में सोचो कि मैं कैसे बर्दाश्त करता हूं। हालांकि कभी - कभी मन
करता है कि ऊपर से टहनी गिराऊ और काट दू इसकी...... पर छोड़ देता हूं।
यह सुनकर मैं जोर जोर से हंस रहा था और तभी पत्तियां भी जोर जोर से लहरा रही थी मैं समझ गया पीपल
का पेड़ भी मेरे साथ-साथ हंस रहा है। तभी अचानक मेरी हंसी रुक गई।
मुझे अचानक ये याद आ गया था कि पीपल बाबा कोई विनाश की बात कर रहे थे?
मैंने पूछा पीपल के पेड़ से आप किस विनाश की बात कर रहे थे?
पेड़ ने कहा :- जिस तरह से आज तुम इंसान पेड़ो को काटते जा रहे हो कभी सोचा है कि इसका परिणाम
क्या होगा ?
अगर पेड़ नहीं रहे तो बारिस नहीं होगी
बारिश नहीं होगी तो नदियां सुख जाएँगी एवं सूखा पड़ेगा
सूखा पड़ा तो लोग भूख और प्यास से तड़पेंगे ,
बारिश ना होने से पृथ्वी का तापमान बढ़ता जाएगा
तापमान बढ़ेगा तो ग्लेशियर पिघलना शुरू हो जाएंगे
और जब ग्लेशियर पिघलेगा तो समुद्र का जल अस्तर तेजी से ऊपर उठने लगेगा
समुद्र का जलस्तर उठेगा तो पानी शहरों में घुसने लगेगा
जगह जगह बाढ़ आ जाएगी शहर डूबने लगेंगे
क्यों कि बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए पेड़ तो रहेंगे नहीं
क्यों कि तुम इंसान तो पेड़ों को तेजी से काटते जा रहे हो , खत्म करते जा रहे हो वनों को लिहाज़ा विनाश ही
होगा।
अब मुझे अच्छी तरह से समझ में आ चुका था कि वह किस विनाश की बात कर रहे थे?
और उनका कहना भी एकदम सही था कि अगर हम पेड़ों को काटना नहीं रोके और वृक्षारोपण नहीं शुरू
किए तो एक दिन ऐसा ही होगा।
मैंने वहां उनसे वादा किया कि मैं जान गया हूं कि अगर मुझे इस दुनिया को बचाना है तो मुझे पेड़ों को बचाना होगा।
मैं आपसे वादा करता हूं पीपल बाबा मैं ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाऊंगा।
और ऐसा करने के लिए लोगों को भी जागरुक करूंगा कि वह पेड़ ना काटे और ज्यादा से ज्यादा पेड़ो को लगाएं।
इतना कहने के बाद मैं दौड़कर पीपल के पेड़ से गले लग गया
और कहा मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगा। इस समय मेरे दोनों आंखों में आंसू डगमग कर रहे हैं, धड़कन
तेज है और पेड़ को पूरा जकड़कर गले लगा हूं।
अब मेरी आंखों से लगातार आंसू निकल रहे हैं
और मैं बस यही कहते जा रहा हूं कि आपको कटने नहीं दूंगा , कुछ होने नहीं दूंगा।
उस समय ऐसा लग रहा था कि कोई बहुत ही खास मुझे हमेशा के लिए छोड़ कर जाने वाला है।
ऐसा रिश्ता सा बन गया था वह पीपल के पेड़ के साथ
पीपल ने कहा :- मेरे बच्चे अब मुझे कटने का कोई दुख नहीं है मैं जो समझाना चाहता था वो तुम समझ चुके
हो अब देर मत करना लोगों को समझाना कितना जरूरी है पेड़ जीवन के लिए।
अब तुम घर जाओ काफी देर हो गई है। अब तुम्हें घर जाना चाहिए।
मैं दौड़कर वहां पहुंचा जहां पर पेड़ को काटने के लिए रस्सी तथा आरी रखी हुई थी।
मैं एक भारी पत्थर लेकर आरी के नुकीले नोको को मोड़ दिया। अब इस आरी से पेड़ नहीं काटा जा सकता
था। तथा रस्सी को भी दूर फेक आया।
फिर भाग कर पीपल के पास पहुंचा और उस उनसे गले लग गया और बोला कि मैं आपको किसी को काटने
नहीं दूंगा
तभी तेज हवा चली और ढेर सारी पीपल की पत्तियां मेरे सर के ऊपर से होते हुए पीठ को टच करते हुए
जमीन पर गिर पड़ी। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मानो पीपल बाबा ने मेरे बालों पर हाथ फेरा हो और मेरी
पीठ को सहलाया।
उसी वक्त मन में ठान लिया था कि मैं इस पेड़ को कटने दूंगा और मैं घर चला आया।
मैं पूरी रात नहीं सो पाया , रात भर यह सोचता रहा कि कैसे बचाऊ पहले इस पीपल के पेड़ को
फिर बाद में और भी पेड़ों को।
जैसे ही सुबह के 5:00 बजे मैं भाग कर पार्क में गया क्योंकि मैं जानता था कि सोसाइटी के सभी बड़े - बुजुर्ग
पार्क में सुबह -सुबह टहलने आते हैं। मैंने वहां सबको इकट्ठा किया फिर अपने और पीपल के पेड़ के बीच
की सारी बातें सब को बताई और सब से अनुरोध किया कि इस पेड़ को कटने ना दें।
सब ने मेरा साथ दिया क्योंकि वहां सब लोग सच्चाई को समझ गए थे जो पीपल के पेड़ ने मुझे समझाया था।
हम सब लोग मिलकर उस व्यक्ति के पास गए जिसने उस प्लाट को खरीदा था।
उसे भी समझाया वो भी मान गया कि वो पेड़ नहीं कटेगा।
और इस तरह हम सब ने मिलकर पीपल के पेड़ को कटने से बचा लिया
और हम सब ने वहां वादा किया कि आज से पेड़ नहीं काटेंगे और ज्यादा से ज्यादा पेड़ो को लगाएंगे।
अब तो मैं रोज़ कुछ समय पीपल बाबा के साथ बिताता हूं।
दिल को बहुत सुकून मिलता है
और उनको चिढ़ाता भी हूँ कि बच्चे को बुलाऊं क्या?
यह कहकर मैं खूब हसता हूं।
फिर पीपल से आवाज आती है टहनी गिराऊ क्या?
ये बोल कर वो भी खूब हसते हैं।
और फिर तेज़ हवा चलती है पत्तियां अपने मौज में लहराने लगती हैं।।
Thank u Namah Shivay.....
आलोक रंजन यादव.....
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