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कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

28 November 2017

Struggle


जिन्होंने आपका Struggle देखा है, सिर्फ वही आपकी कामयाबी की कीमत जानते है...
औरों के लिए,
You are just a lucky person.....#Aalokry

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जीवन में दुख तब आता है जब तुमने कभी गलती की हो....#Aalokry


जीवन में दुख तब आता है जब 

तुमने कभी गलती की हो....#Aalokry
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मिस कॉल द्वारा जानें अपने बैंक एकाउंट का बैलेंस

मिस कॉल द्वारा जानें अपने बैंक एकाउंट का बैलेंस Know Bank Balance by Misscall



1. Axis bank- 09225892258 , 18004195959

 2. Andra bank- 09223011300

3. Allahabad bank- 09224150150

4. Bank of baroda- 09223011311

5. Bhartiya Mahila bank- 09212438888

6. Dhanlaxmi bank- 08067747700

7. IDBI bank- 09212993399

8. Kotak Mahindra bank- 18002740110

9. Syndicate bank- 09664552255

10. Punjab national bank- 18001802222

11. ICICI bank- 02230256767

12. HDFC bank- 18002703333

13. Bank of india- 02233598548

14. Canara bank- 09289292892

15. Central bank of india- 09222250000

16. Karnataka bank- 18004251445

17. Indian bank- 09289592895

18. State Bank of india- Get the balance via IVR 1800112211 and 18004253800

19. union bank of india- 09223009292

20. UCO bank- 09278792787

21. Vijaya bank- 18002665555


22. Yes bank- 09840909000

25 July 2017

Maa ki Mahima Sab Hain Sunate Main Batlau Kya Hai Pita


माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
रोटी-कपड़ा और मकान परिवार का सारा जहाॅ है पिता...
पिता है संग तो हर बाजार के सारे खिलौने अपने हैं...
पिता से ही तो हर बच्चे के होते हजारों सपने हैं... बच्चों की हर आशा और खुशियों का है इंतजार पिता...
प्यार पिता का होता है गूंगा दुनिया समझ ना पाती है...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता... माॅ की ममता छलक छलक कर सबको ही दिख जाती है... कर सको तो महसूस करो नहीं दिखता है ऐसा प्यार पिता...
माॅ की बिंदी और सुहाग ममता का है आधार पिता...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता... पिता से ही तो माॅ को अपना एक अलग परिवार मिला... पिता से ही तो माॅ को माॅ कहलाने का अधिकार मिला... माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
सबकी जरूरत सबकी खुशियाॅ सोचे वो बंधन है पिता... क्या होगा कब कैसे होगा हर पल का चिंतन है पिता...
'अंकुश' बच्चों की खातिर अपने सुख भूले वो है पिता.....#Aalokry

08 July 2017

Chhoti si Baat

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किस्सा रफ़ काॅपी का


===== किस्सा रफ़ काॅपी का=====

_________________________


हर सब्जेक्ट की काॅपी अलग अलग बनती थी,
परंतु एक काॅपी ऐसी थी जो हर सब्जेक्ट को सम्भालती थी।
उसे हम रफ़ काॅपी कहते थे।

यूं तो _*रफ़ काॅपी*_ का मतलब खुरदुरा होता है।

परंतु वो _*रफ़ काॅपी*_ हमारे लिए बहुत कोमल होती थी।

कोमल इस सन्दर्भ में कि उसके पहले पेज पर हमें कोई इंडेक्स नहीं बनाना होता था, न ही शपथ लेनी होती थी कि, इस काॅपी का एक भी पेज नहीं फाडे़ंगे या इसे साफ रखेंगे।

उस काॅपी पर हमारे किसी न किसी पसंदीदा व्यक्तित्व का चित्र होता था।

उस काॅपी के पहले पन्ने पर सिर्फ हमारा नाम होता था और आखिरी पन्नों पर अजीब सी कला कृतियां, राजा मंत्री चोर सिपाही या फिर पर्ची वाले क्रिकेट का स्कोर कार्ड।

उस *_रफ़ काॅपी_* में बहुत सी यादें होती थी।

जैसे अनकहा प्रेम,
अनजाना सा गुस्सा,
कुछ उदासी,
कुछ दर्द,

हमारी _*रफ काॅपी*_में ये सब कोड वर्ड में लिखा होता था 
जिसे कोई आई एस आई 
या 
सी आई ए डिकोड नहीं कर सकती थी।

उस पर अंकित कुछ शब्द, कुछ नाम कुछ चीजें ऐसी थीं, जिन्हें मिटाया जाना हमारे लिए असंभव था।

हमारे बैग में कुछ हो या न हो वो रफ़ काॅपी जरूर होती थी। आप हमारे बैग से कुछ भी ले सकते थे पर वो _*रफ़ काॅपी*_ नहीं।

हर पेज पर हमने बहुत कुछ ऐसा लिखा होता था जिसे हम किसी को नहीं पढ़ा सकते थे।

कभी कभी ये भी होता था कि उन पन्नों से हमने वो चीज फाड़ कर दांतों तले चबा कर थूक दिया था क्योंकि हमें वो चीज पसंद न आई होगी।

समय इतना बीत गया कि, अब काॅपी ही नहीं रखते हैं।

रफ़ काॅपी जीवन से बहुत दूर चली गई है,

हालांकि अब बैग भी नहीं रखते हैं कि _*रफ़ काॅपी*_ रखी जाए।

वो खुरदुरे पन्नों वाली *_रफ़ काॅपी_* अब मिलती ही नहीं।

हिसाब भी नहीं हुआ है बहुत दिनों से, न ही प्रेम का न ही गुस्से का, यादों की गुणा भाग का समय नहीं बचता।

अगर कभी वो _*रफ़ काॅपी*_ मिलेगी उसे लेकर बैठेंगे,

फिर से पुरानी चीजों को खगांलेगें,

हिसाब करेंगे और
आखिरी के पन्नों पर राजा, मंत्री, चोर, सिपाही खेलेंगे। 

वो 'नटराज' की पेन्सिल, वो 'चेलपार्क' की स्याही, वो महंगा 'पायलेट' का पेन और जैल पेन की लिखाई।

वो सारी ड्राइंग, वो पहाड़, वो नदियां, वो झरने, वो फूल, लिखते लिखते ना जाने कब ख़त्म......#Aalokry

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04 July 2017

Waqt


अपने खिलाफ बातें 
मैं अक्सर ख़ामोशी से सुनता हूं 
क्यो कि
जवाब देने का हक़ 
मैंने वक़्त को दे रखा है.....#Aalokry

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19 June 2017

जब सकारात्मक ऊर्जा कम होती है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है

जब सकारात्मक ऊर्जा कम होती है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है तो बात बिगडना शुरू हो जाती है, और जब बात बिगड़ती है तो मनुष्य और ज्यादा शिकायत करता है, रोता है, बिलखता है और दुखी होता है जिससे मुश्किल भी और ज्यादा बढ़ जाती है।
मेरा बाबा कहता है कि अगर कोई बात बिगड़ भी जाय तो रोना नहीं, दुखी नहीं होना बल्कि तुरंत उस शिवा को सुमिरना शुरू कर देना जिससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाएगी और देखना बात बननी शुरू हो जाएगी।
नम: शिवाय
अगर किसी के संचित कर्म पवित्र और शुद्ध है तो उसकी दृष्टि भी उतनी ही पवित्र होगी, उसके आसपास का वातावरण भी आनन्द से भरा होगा।
और जिस मनुष्य के संचित कर्म भारी होंगे तो उसको हर चीज़ बुरी दिखाई देगी, और उसके जीवन में अचानक कष्ट आते रहते है जो जीवन को असहाय बना देते हैं।।
आपकी सोच और विचारों के वार्तालाप को प्रकृति एक भौतिक रूप देती है। परन्तु आपके संचित कर्म आपकी बुद्धि को पकडते हैं जिसके अनुरूप आप सकारात्मक एवं नकारात्मक सोचते हैं।
सिर्फ साधना एवं निस्वार्थ सेवा पिछले बुरे कर्मों को निष्क्रिय करती है और शुभ कर्म पैदा कर सकती है।
नम: शिवाय
जब प्राण शक्ति कमजोर होती है तो मन अशान्त, चिडचिडा, और क्रोधी हो जाता है। और मनुष्य निस्तेज हो जाता है।
और जब प्राण शक्ति का प्रवाह उत्तम हो जाता है तब मनुष्य एकदम आनंदित और तेजोमय हो जाता है।
प्राण शक्ति के उत्तम प्रवाह के लिये शिव साधना सव्रोत्तम है।
नम: शिवाय
आप एक किरायेदार हो। आपका शरीर किराये का मकान है, इस मकान का असली मालिक काल है। एक दिन इस मकान का मालिक बिना सूचना के आएगा और आपको इससे बाहर निकाल देगा, और आप खड़े खड़े देखते रह जाओगे। तो क्यों ना इससे पहले ही इस मकान में रहकर निष्काम सेवा और साधना करके सांसारिक एवं आध्यात्मिक सफलता प्राप्त करली जाय। इसके साथ साथ शिव शिवा का श्रवण, संकीर्तन और मनन करलो तो इस आवागमन से मुक्ति मिल जाए।
नम: शिवाय
किसी के बारे में एक बार भी बुरा चाहना, आपके हजारों पुण्यों को श्रनभर में समाप्त कर देता है जो पतन का कारण बनता है।
और सभी के बारे में अच्छा, शुभ चाहने मात्र से भी पुण्य जागृत होते है जिनसे भाग्योदय होता है। जो भौतिक एवं आध्यात्मिक सुख देता है।
नम: शिवाय
अपने परिवार में किसी को दुखी नहीं करना,
अपने परिवार में किसी की आलोचना नहीं करना,
अपने परिवार में किसी को कष्ट नहीं देना।
आपका परिवार एक आत्म समूह है, इस शरीर को धारण करने से पहले आत्मा विचार करती है कि पिछले जन्मों में जो बिना सुलझे मसले रह गए हैं वह इस जन्म में आपके साथ रहकर सुलझाने हैं।
इसीलिए परिवार के सभी सदस्यों को प्रेम देना, और उनको स्वीकार करना, ऐसा करने से बहुत तेजी से आध्यात्मिक उन्नति होती है ।
नम: शिवाय
मैं जिसके बारे में सोचूंगा या जिसका नाम लूंगा, तुरंत मेरा मन उससे जुड जायेगा, और हम दोनों की ऊर्जा के बीच में एक पुल बन जायेगा, फिर उसकी ऊर्जा मेरी तरफ आयेगी और मेरी ऊर्जा उसकी तरफ जायेगी। कुछ समय के बाद हम दोनों की ऊर्जा बराबर हो जायेगी।
इसीलिए हमेशा दिव्य पुरुष (गुरु) के बारे में ही सोचना तो एक दिन आप और वह दिव्य पुरुष एक (अद्वैत) हो जाओगे।
क्या आप ने कभी अपने आपको देखा कि आप किस (अच्छा या बुरा) के बारे में सोचते हैं।
नम: शिवाय..... #Aalokry



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17 June 2017

12 June 2017

कितना शरीफ शख्श है
पत्नी पे फ़िदा है
उस पे ये कमाल है 
कि
अपनी पे फ़िदा है।....#Aalokry
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11 June 2017

चमत्कार


**************** चमत्कार *******************

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छोटी लड़की ने गुल्लक से सब सिक्के निकाले और उनको बटोर कर जेब में रख लिया,
निकल पड़ी घर से – पास ही केमिस्ट की दुकान थी
उसके जीने धीरे धीरे चढ़ गयी |

वो काउंटर के सामने खड़े होकर बोल रही थी पर छोटी सी लड़की किसी को नज़र नहीं आ रही थी,
ना ही उसकी आवाज़ पर कोई गौर कर रहा था, सब व्यस्त थे |
दुकान मालिक का कोई दोस्त बाहर देश से आया था
वो भी उससे बात करने में व्यस्त था |

तभी उसने जेब से एक सिक्का निकाल कर काउंटर पर फेका सिक्के की आवाज़ से सबका ध्यान उसकी ओर गया,
उसकी तरकीब काम आ गयी |
दुकानदार उसकी ओर आया
और उससे प्यार से पूछा क्या चाहिए बेटा ?

उसने जेब से सब सिक्के निकाल कर अपनी छोटी सी हथेली पर रखे
और बोली मुझे “चमत्कार” चाहिए,

दुकानदार समझ नहीं पाया उसने फिर से पूछा, वो फिर से बोली मुझे “चमत्कार” चाहिए | दुकानदार हैरान होकर बोला – बेटा यहाँ चमत्कार नहीं मिलता |
वो फिर बोली अगर दवाई मिलती है तो चमत्कार भी आपके यहाँ ही मिलेगा |

दुकानदार बोला – बेटा आप से यह किसने कहा ?
अब उसने विस्तार से बताना शुरु किया –
अपनी तोतली जबान से – मेरे भैया के सर में टुमर (ट्यूमर) हो गया है, पापा ने मम्मी को बताया है की डॉक्टर 4 लाख रुपये बता रहे थे – अगर समय पर इलाज़ न हुआ तो कोई चमत्कार ही इसे बचा सकता है

और कोई संभावना नहीं है,
वो रोते हुए माँ से कह रहे थे
अपने पास कुछ बेचने को भी नहीं है,
न कोई जमीन जायदाद है न ही गहने – सब इलाज़ में पहले ही खर्च हो गए है,
दवा के पैसे बड़ी मुश्किल से जुटा पा रहा हूँ |

वो मालिक का दोस्त उसके पास आकर बैठ गया और प्यार से बोला अच्छा !
कितने पैसे लाई हो तुम चमत्कार खरीदने को, उसने अपनी मुट्टी से सब रुपये उसके हाथो में रख दिए,
उसने वो रुपये गिने 21 रुपये 50 पैसे थे |

वो व्यक्ति हँसा और लड़की से बोला तुमने चमत्कार खरीद लिया,
चलो मुझे अपने भाई के पास ले चलो |

वो व्यक्ति जो उस केमिस्ट का दोस्त था अपनी छुट्टी बिताने भारत आया था
और न्यूयार्क का एक प्रसिद्द न्यूरो सर्जन था |

उसने उस बच्चे का इलाज 21 रुपये 50 पैसे में किया और वो बच्चा सही हो गया |
प्रभु ने लडकी को चमत्कार बेच दिया – वो बच्ची बड़ी श्रद्धा से उसको खरीदने चली थी वो उसको मिल भी गयी !

नीयत साफ़ और मक़सद सही हो तो ,किसी न किसी रूप में ईश्वर भी आपकी मदद करता है 
( और यही आस्था का चमत्कार है).....#Aalokry

09 June 2017

Do you also want to know that the place where you are living / ground is yours or not

क्या आप भी जानना चाहते है कि जहाँ आप रह रहे है वो जगह / ज़मीन आपकी है या नहीं....

आजकल यह जानना की कौन सी जमीन या मकान, दुकान किसकी है यह जानना बहुत ही आसान हो गया है अब उत्तर प्रदेश में इन सभी का एक ब्यौरा होता है जिसे हम इस वेबसाइट पर जाकर आसानी से देख सकते है!
वेबसाइट पर जाने के लिए यहाँ नीचे क्लिक करें!
http://upbhulekh.gov.in/public/public_ror/Public_ROR.jsp

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इस वेबसाइट पर जाकर सबसे पहले आपको जिले का नाम चुनना होता है फिर अपनी तहसील का नाम चुनिए और फिर अपने शहर या गाँव को चुने !


बस अब इसमें खसरा नम्बर डाल कर उद्धरण देखे आपके सामने सारी डिटेल खुलकर आ जाएगी अगर आपके पास खसरा संख्या नहीं है तो आप व्यक्ति के नाम और खता संख्या द्वारा भी देख सकते है!

06 June 2017

The Right Way To Breathe

सांस लेने का सही तरीका

सांस लेने का सही तरीका


🔴'प्राकृतिक सांस लेने को समझना जरूरी है। देखो छोटे बच्चों को, वे स्वाभाविक रूप से सांस लेते हैं। यही कारण है कि छोटे बच्चे ऊर्जा से भरे हुए होते हैं। माता-पिता थक गए हैं, लेकिन वे थके नहीं हैं।


🔴'कहां से ऊर्जा आती है? यह प्राणमय कोष से आती है। बच्चा स्वाभाविक रूप से सांस लेता है, और निश्चित रूप से अधिक प्राण और अधिक ची ऊर्जा सांस के द्वारा लेता है, और यह उसके पेट में जमा होती है। पेट इकट्ठा करने की जगह है, भंडार है। बच्चे को देखो, वह सांस लेने का सही तरीका है। जब एक बच्चा सांस लेता है, उसकी छाती पूरी तरह से अप्रभावित होती है। उसका पेट ऊपर और नीचे होता है। मानो वह पेट से सांस ले रहा है। सभी बच्चों का पेट निकला होता है, वह उनके पेट से सांस लेने की वजह से है और वह ऊर्जा का भंडार है।

🔴'एक बच्चे को देखें और वही प्राकृतिक सांस है, और उसी तरह सांस लें । जब आप सांस लें तब पेट ऊपर आए और जब आप सांस छोड़ें तब पेट नीचे जाए। और यह एक ऐसी लय हो कि यह आपकी ऊर्जा में लगभग एक गीत बन जाता है, एक नृत्य ताल के साथ, सामंजस्य के साथ--और आप इतने निश्चिंत महसूस करेंगे, इतने जीवंत, जीवन-शक्ति से ओतप्रोत कि आप कल्पना नहीं कर सकते कि ऐसी जीवन-शक्ति हो सकती है।'

🔴'यह सांस लेने का सही तरीका है, ध्यान रहे, अपनी छाती का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं करना है। कभी-कभी यह आपातकालीन समय में किया जा सकता है। आप अपने जीवन को बचाने के लिए दौड़ रहे हैं, तब छाती का उपयोग किया जा सकता है। यह एक आपातकालीन उपाय है। तो आप उथले, तेजी से सांस लेने का उपयोग कर सकते हैं और दौड़ सकते हैं। लेकिन आमतौर पर छाती का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। और एक बात याद रखनी जरूरी है कि छाती आपात स्थितियों के लिए ही होती है क्योंकि आपात स्थिति में स्वाभाविक रूप से सांस लेना मुश्किल है; क्योंकि अगर आप स्वाभाविक रूप से सांस लेते हैं तो आप इतने शांत और मौन होते हो कि आप दौड़ नहीं सकते, आप लड़ नहीं सकते। आप इतने शांत और केंद्रित होते हैं--एकदम बुद्ध जैसे। और एक आपात स्थिति में--जैसे घर में आग लगी है--यदि आप स्वाभाविक रूप से सांस लेंगे तो आप कुछ भी बचा नहीं पाएंगे। या जंगल में एक बाघ आप पर कूदता है और आप स्वाभाविक रूप से सांस लेते रहें तो आप फिक्र ही नहीं करेंगे। आप कहेंगे, 'ठीक है, उसे करने दो जो भी वह चाहता है।' आप अपने खुद को बचाने के लिए सक्षम नहीं होंगे।

🔴अगर आप सही सांस लेते हैं तो आपका प्राणमय कोष स्वस्थ, अखंड और प्राणवान रहता है।

🔴'इस तरह का व्यक्ति कभी नहीं थकता। इस तरह का व्यक्ति हमेशा कुछ भी करने के लिए उपलब्ध है। इस तरह का व्यक्ति हमेशा उत्तरदायी, हमेशा क्षण को प्रतिसंवेदित करने के लिए, चुनौती लेने के लिए तैयार है। वह हमेशा तैयार है, आप उसे किसी भी पल के लिए अप्रस्तुत नहीं पाएंगे। ऐसा नहीं है कि वह भविष्य के लिए योजना बनाता है, लेकिन उसके पास इतनी ऊर्जा है कि जो भी होता है उसका प्रतिसंवेदन करने के लिए वह तैयार है। उसके पास छलकती हुई ऊर्जा है।


🔴'तो प्रकृति ने एक आपातकालीन उपकरण दिया है, छाती एक आपातकालीन उपाय है। जब आप पर एक बाघ हमला करता है, तो आपको प्राकृतिक सांस छोड़ देनी होती है और आप को छाती से सांस लेनी होती है। तब दौड़ने के लिए , लड़ने के लिए, ऊर्जा को तेजी से जलाने के लिए आपके पास अधिक क्षमता होगी। और आपात स्थिति में केवल दो ही विकल्प होते हैं: भाग जाना या लड़ाई करना। दोनों के लिए बहुत उथली लेकिन तीव्र ऊर्जा की जरूरत है, उथली लेकिन एक बहुत परेशान, तनावग्रस्त स्थिति।

🔴'अगर आप लगातार सीने से सांस लेते हैं तो, आपके मन में तनाव होगा। अगर आप लगातार सीने से सांस लेते हैं, आप हमेशा भयभीत होंगे क्योंकि सीने से सांस लेना खतरनाक परिस्थितियों के लिए ही होता है। और यदि आपने इसे एक आदत बनाया है तो आप लगातार भयभीत, तनावग्रस्त, हमेशा भागने की तैयारी में होंगे। वहां दुश्मन नहीं है, लेकिन आप दुश्मनों की कल्पना करेंगे। इसी तरह पैरानोया, व्यामोह निर्मित होता है।


#ओशो, योगा: दि पाथ ऑफ लिबरेशन

एक बात मेरी उस पीपल के पेड़ के साथ

peepal tree
एक बात मेरी उस पीपल के पेड़ के साथ
आज हमारे शहर मे बहुत गर्मी है। और उफ़ ये क्या हुआ ?
oh shit .... लाइट चली गयी और इनवर्टर भी डिस्चार्ज।
सोचा चलो बाहर टहल आता हूँ।
मैं घर के पीछे वाली रोड पर टहलते हुए आगे बढ़ा कुछ दूर आने के बाद एक घना पीपल का पेड़ दिखा
लहराती पत्तियां ,सनसनाती पत्तियां और वहां पहुचकर लगने वाली वो मीठी मीठी सी ठंडी हवा के झोखे।
वहां पहुचते ही एक सुकून सा महसूस हुआ और लहराती पत्तियों को देखकर आँखों को भी बहुत सुकून
मिला।
फिर सोचा चलो यहाँ कुछ समय बिताते है।
आखिर वहां रुकते भी क्यों ना वहां पहुचकर दिल को एक सुकून सा मिला था।जाने कितने सालो बाद मैं वो महसूस कर पा रहा था।
मैं तुरंत जाकर उस पेड़ के नीचे बैठ गया और उस पेड़ की पत्तियों को जो अपने ही मौज मे लहरा रही थी
ध्यान से देखने लगा। वो पेड़ पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ को भी बहुत ध्यान से सुन रहा था। और मैं बता नहीं सकता मैं अन्दर ही अन्दर मुस्कुरा रहा था सैयद दिल को ज्यादा ही सुकून मिल गया था।
उस टाइम गलती से ही सही पर पर एक चीज़ बहुत अच्छी हो गई थी और वो ये था की मैं अपनी मोबाइल
घर पर ही भूल गया था।
उस दिन एक बात और महसूस हुई की अगर मोबाइल साथ मे लाता तो मै उन खुशियों को महसूस ही नहीं
कर पता जो मुझे मिल रही थी प्रकृति से। अगर मोबाइल लाता तो शायद Whattsapp या Facebook मे
Busy हो जाता या बात करने मे Busy हो जाता। Thank U God की मैं मोबाइल भूल गया।
मैं हाथ मे एक डंडी लिए उसे लहराते हुए जाकर पेड़ से सट कर बैठ गया। और बैठने के बाद उसी डंडी से
मिट्टी को खोदने लगा। और फिर खोदे हुए को समतल कर देता। वही पर पड़ी हुई एक पीपल की पत्ती को उठाकर उसे ध्यान से दहक रहा हूँ फिर उसे नीचे से पकड़कर अपने दो उँगलियों से नचा रहा हूँ।
ये सब मैं क्यों कर रहा हूँ नहीं जानता पर ये करके बहुत खुसी मिल रही है ये जनता हूँ।
तभी मेरी नज़र पड़ी चीटीयों के एक झुण्ड पर जो लाइन बना कर पेड़ पर चढ़ रही थी आधी मेरे इस तरफ थी
और आधी मेरे उस तरफ थी। तभी ध्यान गया ,Ooh My God मैं बिना ध्यान दिए जहाँ बैठ गया था
वो उनका रास्ता था जिसे मैं अन्जाने मे तोड़ दिया था। सारी चिट्टियाँ जो अभी तक एक पंत्ति मे जा रही थी
अब बिखर चुकी थी। शायद एक नए रास्ते की खोज मे ,बिना मुझसे शिकायत किये अपनी नयी मंजिल
ढूंढने लगी वो चींटियां।
मुझे उनका ये Attitude बहुत पसंद आया मैं बिना देर किये तुरंत उस जगह से अपनी जींस को झाड़ते हुए
जिस पर मिट्टी लग गयी थी ,उठ गया। और हाँ अपनी उस डंडी को भी उठा लिया जिससे मिट्टी खोद रहा था
कुछ देर पहले। शायद उस डंडी से लगाव हो गया था मुझे। और इस तरह मैंने उन चीटीयों को उनका रास्ता
सौंप दिया।
अब मैं घूम कर पेड़ की दूसरी तरफ चला गया इस बार अच्छी तरह से देखकर , फूँक कर फिर बैठ गया उस
पेड़ की ठंडी छाव मे।
पर ये क्या.........
मुझे ऐसा क्यों महसूस हुआ की किसी ने मुझे पुकारा पर वहाँ तो मैं अकेला था।
मैं घूमा , चारो तरफ देखा फिर बैठ गया।
दुबारा फिर महसूस हुआ की बहुत ही करीब से किसी ने कुछ कहा , मैं फिर से उठा चारो तरफ देखा और
फिर बैठ गया। कोई नहीं दिखा मुझे ....
फिर तीसरी बार मुझे महसूस हुआ किसी ने कुछ तो कहा मुझसे
अब मेरे मन मे तरह तरह की बाते आने लगी ,उट पटांग विचार आने लगे। दिमाग के पटल पर बचपन की
भुतही कहानियां भी आने लगी ,जो बचपन मे मैंने बड़े चाव से सुन रखी थी। अब दिल ने कहा की जल्दी से
हनुमान - चालीसा बोलना शुरु करो और शायद ये बात भी बचपन मे ही सीखा था की इस तरह की विपरीत परिस्थति मे हनुमान -चालीसा पढ़ा जाता है। तो मैंने भी शुरु कर दिया फिर थोड़ी देर बाद मेरी अंतरत्तमा
ने मुझे आशवस्त किया की अब तुम बिलकुल सेफ हो।
लेकिन ये क्या ?
Ohh My God
फिर से आवाज़ आयी.....
But मैंने यहाँ एक बात गौर की इतना कुछ होने के बाद भी मैं उस जगह से जाना नही चाहता था।
शायद उस खुले आकाश के नीचे , प्रकृति के आँचल मे मैं जो सुकून पा रहा था उसे खोना नही चाहता था।
फिर मेरे दिमाग मे आया मैं फालतू मे क्यों डर रहा हूँ। जब मेरे शिव-शिवा & बाबा जी तो मेरे साथ है तो फिर
कोई नेगेटिव एनर्जी मेरा कुछ नही बिगड़ सकती। अब मैंने फैसला किया उस आवाज़ को जानने की।
जब ऑंख बंद करके उस आवाज़ पर मैंने ध्यान केंद्रित किया तो महसूस हुआ की वो आवाज़ प्रत्यछ ना होकर
एक वाइब्रेशन के रुप मे है जिसे मेरी अंतरत्तमा रिसीव कर रही थी। और वो आवाज़
उस पीपल के पेड़ की थी। वो आवाज़ ये थी कि ,
आलोक मैं हूँ......पीपल का पेड़।
मैं ये सुन कर चौक गया था की आपको मेरा नाम कैसे पता ?
तो पीपल ने बोला की , आलोक मैं सिर्फ तुम्हारा नाम ही नही बल्कि तुम्हारे घर के बगल मे रहने वाले
श्रीवास्तव जी को भी जानता हूँ , सामने वाले वर्मा जी को भी अरे वो सब छोड़ो मैं तुम्हे बताता हूँ की मैं
यहाँ रहने वाले सभी लोगो को जनता हूँ।
ये सुन कर मैं बहुत हैरान था। और पीपल ने भी मेरे चेहरे पर हैरानियाँ देख ली थी। फिर उसने कहा की मैं समझाता हूँ...... जिस जगह आज तुम रह रहे हो वो किसी समय मे विरान थी कोई भी नही रहता था यहाँ.....
ये ऐसी जगह थी जो बाढ़ के समय मे पूरा पानी मे डूबा बाढ़ ग्रस्त एरिया व गर्मी के दिनों मे तपती हुई जमीन
तथा उड़ती हुई चारो तरफ धूल वाली लू....... ऐसी जगह थी ये।
ऐसी बंजर जमीन पर सबसे पहले 'मैं ' और मेरे ही कुछ साथी पेड़ यहाँ पर उगे शुरु मे हम 7 पेड़ थे
जिन्हें तुम लोग आज तितैया नीम , बड़का बरगद , मिठौआ आम , कौआलिलारिया आम, उ लम्बका पेड़ , खजूरकवा पेड़ और मैं जिन्हें तुम सब पीपल बाबा बोलते हो हम 7 पेड़ यहाँ उगे थे।
जिस जगह आज तुम और ये सारा मोहल्ला ख़ुशी -ख़ुशी रह रहा है ना , ये रहने लायक मॉहौल हम और हमारे साथी पेड़ो ने मिलकर ऐसी जगह बनाई है जहाँ तुम लोग इतनी ख़ुशी - ख़ुशी रह रहे हो।
हम सब पेड़ो ने ही मिलकर ज़मीन की कटान को रोका , बाढ़ को नियंत्रित किया , खुद को धुप मे जलाकर
ठंडी छाव प्रदान की ,फिर मीठे -मीठे फल आये फिर तुम्हारे पूर्वज
फल व ऐसी जगह देखकर यहाँ बसना शुरू कर दिए।
मैंने उन्हें बीच मे टोकते हुए बोला की पीपल बाबा आप मुझे ये सब आज क्यूं बता रहे है ?
पीपल के पेड़ ने कहा :- मेरे बच्चे मै उन 7 पेड़ो में से वो आख़िरी पेड़ बचा हुँ जिसे अभी से ठीक 18 घण्टे बाद
काट दिया जायेगा।
और मैं तुमसे सच कहता हूँ। मुझे मेरे कट जाने का दुःख नहीं है कष्ट तो इस बात का है की मैं तुम इंसानो का
वो भयानक भविष्य देख रहा हूँ जो की अगर तुम पेड़ो को काटना नही रोके तो तुम्हारा हाल वही होगा जो उन
दियों का हो जाता है जो जलते तो 100 - 200 एक साथ है पर जब आँधी चलती है तो एक -एक कर सारे दिये बुझने लगते है और अँधेरा हो जाता है।
मेरे बच्चे , अभी भी सम्भल जाओ कुछ दियों को बचा लो बुझने से ताकि फिर से उन दियों को जला पाओगे
जो बुझ चुके है और उस महा-विनाश को रोक पाओगे जो मैं देख रहा हूँ।
अब मैं जानना चाहता था की वो क्या कहना चाह रहे है ?
कैसा महा-विनाश?
कौन काटने वाला है उनको ?
अब मैंने उनसे आग्रह किया की सब कुछ मुझे विस्तार से बताइये की आप कहना क्या चाहते है ?
कौन आपको 18 घण्टे बाद काटेगा और क्यूँ ?
पीपल ने कहा :- मेरे बच्चे मेरी बात को ध्यान से सुनना क्यों की तुम्हे ही इस बात को आगे तक पहुचाना है।
ताकि लोग आने वाले विनाश को रोक पाये और ये खूबसूरत दुनिया खूबसूरत ही बनी रहे।
तुम अभी जिस जगह पर खड़े हो वो ज़मीन कल ही बिक गई है और जिसने ये प्लाट ख़रीदा है जानते हो
उसका सबसे पहला शब्द क्या था ? उसने कहा इस पेड़ को काट दो फिर मेरा प्लाट बहुत अच्छा निकल
आएगा। और जिसने ये ज़मीन खरीदी है वो ठेकेदार को बोल के गया है की कल सुबह 09:00 बजे आकर
इस पेड़ को काट देना और हाँ सुनो लकड़ी यही छोड़ जाना हम उपयोग करेंगे उसका , ठंडी मे जलाने के
काम आएगी और नवरात्री मे हवन इत्यादि के काम आयेगी। वो उस तरफ देखो रस्सी और आरी भी आकर
रखा गयी है।
पीपल ने कहा :- आलोक तुम मुझे एक बात बताओ किस वेद या ग्रन्थ मे लिखा है कि पेड़ो को काटकर
हवन करो ?
अगर इंसान इसे ध्यान से पढ़े तो वो जानेगा की हर ऋषि -मुनि अपने शिष्यो को यही बोलते थे की जाओ और
हवन के लिए जंगल से लकड़ी बिन कर लाओ। वे कभी भी पेड़ काटकर हवन नहीं करते थे बल्कि जंगल मे
गिरी हुई लकडियो को इकट्ठा कर लाते थे हवन के लिए। और मुझे ये बताओ की मुझे काटकर वो हवन कर भगवान से मांगेगा क्या ? अपने लिए सुख और शान्ति।
तुम्ही बताओ आलोक कैसे मिलेगी उसे सुख और शान्ति
जब की उसने तो सिर्फ मेरी ही हत्त्या नहीं की बल्कि मुझ पर आश्रित कई प्रकार के जीवों की सुख - शान्ति
छीन ली।
मैंने पुछा पीपल बाबा आप पर कौन जीव आश्रित हैं ?
पीपल :- क्यों ?
दिन भर उड़ने के बाद थकी हारी चिड़ियाँ शाम को अपने घोंसले मे नहीं लौटेंगी?
जो उन्होंने मुझ पर बना रखा है। उनका घर नही हमेशा के लिए टूट जायेगा ? और ये गिलहरियां जो पुरे दिन ऊपर नीचे करती है उनका घर भी तो मैं ही हूँ। महावत आकर मेरी पत्तियां अपने हाथियों के लिए ले जाता है
उन हाथियों के लिए भोजन मैं हूँ। मेरी जड़ो मे हजारो तरह के सूक्छम तथा अति सूक्छम जीव जिन्हें तुम
देख नही पाते वे कहाँ जायेंगे?
जब चीटियां अपना भोजन व मरे हुए कीट पतंगों को खींचकर अपने बिल में ले जाती हैं जो घर उन्होंने मेरे
जड़ो में बना रखा है। तो वह सिर्फ खुद ही भोजन नहीं करती बल्कि उन हजारों छोटे छोटे जीवो को भी
भोजन मिलता है। मेरे कटने पर तो वे हजारों छोटे छोटे जीव भी मर जाएंगे।
अब तुम बताओ! इतने लोगों की हत्या व उनका घर तोड़ देने के बाद तुम इंसान कैसे सोच सकते हो कि
ईश्वर तुम्हें सुख और शांति देगा।
मैंने कहा:- पीपल बाबा हमने तो आज तक कभी यह सोचा ही नहीं कि एक पेड़ कटने पर ना सिर्फ वह पेड़
बल्कि उस पर आश्रित ज़िंदगियाँ भी खत्म हो जाती हैं।
मैं दुखी होकर यह सोच रहा था मतलब 18 घंटों बाद ना सिर्फ ये पीपल का पेड़ बल्कि और भी ज़िंदगियाँ
बिखर जाएँगी।
मैं ये सोच ही रहा था कि पीपल ने बोला जब कभी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से तुम्हारे घर टूट जाते हैं तो
तुम इंसान भगवान से शिकायत करते हो और कहते हो कि भगवान आपको क्या पता की पूरी उम्र बीत जाती
है अपने सर पर एक छत बनाने में और आप मेरा घर तोड़ दिए?
और मुझे बताओ तुम कभी यह सोचे कि एक पेड़ काट देने से तुम कितनों के घर तोड़ दिए?
मैंने उन्हें बीच में टोकते हुए बोला कि आपको यह कैसे पता कि हम इंसान भगवान से ये बात बोलते हैं
कि उम्र बीत जाती है एक छत बनाने में ?
पेड़ ने कहा मेरे बच्चे, तुम्हारे जो बड़े बुजुर्ग लोग हैं ना वो अक्सर दोपहर में आकर मेरी छांव के नीचे बैठते हैं।
और आपस में अपना सुख-दुख बांटते हैं और मैं सब कुछ सुनता रहता हूं। और मैं भी उनके साथ साथ खुश
होता हूं और दुखी होता हूं।
मैंने बोला आप ऐसा कैसे कर सकते हैं आप तो पेड़ हैं?
पीपल ने बोला:- क्यों नहीं कर सकता !
तुम ध्यान तो दो जब तुम गर्मी से परेशान मेरे पास आते हो तो तुम्हें ठंडी हवा देता हूं और जब कभी भी तुम
आपस में बात करते करते रो देते हो, तो उस समय ध्यान देना मैं भी ठहर सा जाता हूं ,हवा का वेग बहुत कम
हो जाता है एक सन्नाटा सा पसर जाता है।
और जब तुम हंसते हो जोर जोर से तो मैं और भी तेज लहराने लगता हूं हवा तेज हो जाती है
मैं तो कई पीढ़ियों के साथ ऐसे ही उनके सुख दुख में साथ देता रहा हूं।
और कभी कभी तो मेरे साथ इतना बुरा होता है कि मैं बता नहीं सकता कुछ बेवकूफ बच्चे मेरे पेड़ पर आकर
सू -सू कर देते हैं और मैं गिनगिना कर रह जाता हूं।
ये सुन कर मुझे तेज़ी से हंसी आ गई। तो वे बोले हंसी आ रही है तुम्हें ,अभी तुम्हारे ऊपर कोई सू -सू करे तो
तुम तुरंत ढकेल दोगे उसे। तो मेरे बारे में सोचो कि मैं कैसे बर्दाश्त करता हूं। हालांकि कभी - कभी मन
करता है कि ऊपर से टहनी गिराऊ और काट दू इसकी...... पर छोड़ देता हूं।
यह सुनकर मैं जोर जोर से हंस रहा था और तभी पत्तियां भी जोर जोर से लहरा रही थी मैं समझ गया पीपल
का पेड़ भी मेरे साथ-साथ हंस रहा है। तभी अचानक मेरी हंसी रुक गई।
मुझे अचानक ये याद आ गया था कि पीपल बाबा कोई विनाश की बात कर रहे थे?
मैंने पूछा पीपल के पेड़ से आप किस विनाश की बात कर रहे थे?
पेड़ ने कहा :- जिस तरह से आज तुम इंसान पेड़ो को काटते जा रहे हो कभी सोचा है कि इसका परिणाम
क्या होगा ?
अगर पेड़ नहीं रहे तो बारिस नहीं होगी
बारिश नहीं होगी तो नदियां सुख जाएँगी एवं सूखा पड़ेगा
सूखा पड़ा तो लोग भूख और प्यास से तड़पेंगे ,
बारिश ना होने से पृथ्वी का तापमान बढ़ता जाएगा
तापमान बढ़ेगा तो ग्लेशियर पिघलना शुरू हो जाएंगे
और जब ग्लेशियर पिघलेगा तो समुद्र का जल अस्तर तेजी से ऊपर उठने लगेगा
समुद्र का जलस्तर उठेगा तो पानी शहरों में घुसने लगेगा
जगह जगह बाढ़ आ जाएगी शहर डूबने लगेंगे
क्यों कि बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए पेड़ तो रहेंगे नहीं
क्यों कि तुम इंसान तो पेड़ों को तेजी से काटते जा रहे हो , खत्म करते जा रहे हो वनों को लिहाज़ा विनाश ही
होगा।
अब मुझे अच्छी तरह से समझ में आ चुका था कि वह किस विनाश की बात कर रहे थे?
और उनका कहना भी एकदम सही था कि अगर हम पेड़ों को काटना नहीं रोके और वृक्षारोपण नहीं शुरू
किए तो एक दिन ऐसा ही होगा।
मैंने वहां उनसे वादा किया कि मैं जान गया हूं कि अगर मुझे इस दुनिया को बचाना है तो मुझे पेड़ों को बचाना होगा।
मैं आपसे वादा करता हूं पीपल बाबा मैं ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाऊंगा।
और ऐसा करने के लिए लोगों को भी जागरुक करूंगा कि वह पेड़ ना काटे और ज्यादा से ज्यादा पेड़ो को लगाएं।
इतना कहने के बाद मैं दौड़कर पीपल के पेड़ से गले लग गया
और कहा मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगा। इस समय मेरे दोनों आंखों में आंसू डगमग कर रहे हैं, धड़कन
तेज है और पेड़ को पूरा जकड़कर गले लगा हूं।
अब मेरी आंखों से लगातार आंसू निकल रहे हैं
और मैं बस यही कहते जा रहा हूं कि आपको कटने नहीं दूंगा , कुछ होने नहीं दूंगा।
उस समय ऐसा लग रहा था कि कोई बहुत ही खास मुझे हमेशा के लिए छोड़ कर जाने वाला है।
ऐसा रिश्ता सा बन गया था वह पीपल के पेड़ के साथ
पीपल ने कहा :- मेरे बच्चे अब मुझे कटने का कोई दुख नहीं है मैं जो समझाना चाहता था वो तुम समझ चुके
हो अब देर मत करना लोगों को समझाना कितना जरूरी है पेड़ जीवन के लिए।
अब तुम घर जाओ काफी देर हो गई है। अब तुम्हें घर जाना चाहिए।
मैं दौड़कर वहां पहुंचा जहां पर पेड़ को काटने के लिए रस्सी तथा आरी रखी हुई थी।
मैं एक भारी पत्थर लेकर आरी के नुकीले नोको को मोड़ दिया। अब इस आरी से पेड़ नहीं काटा जा सकता
था। तथा रस्सी को भी दूर फेक आया।
फिर भाग कर पीपल के पास पहुंचा और उस उनसे गले लग गया और बोला कि मैं आपको किसी को काटने
नहीं दूंगा
तभी तेज हवा चली और ढेर सारी पीपल की पत्तियां मेरे सर के ऊपर से होते हुए पीठ को टच करते हुए
जमीन पर गिर पड़ी। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मानो पीपल बाबा ने मेरे बालों पर हाथ फेरा हो और मेरी
पीठ को सहलाया।
उसी वक्त मन में ठान लिया था कि मैं इस पेड़ को कटने दूंगा और मैं घर चला आया।
मैं पूरी रात नहीं सो पाया , रात भर यह सोचता रहा कि कैसे बचाऊ पहले इस पीपल के पेड़ को
फिर बाद में और भी पेड़ों को।
जैसे ही सुबह के 5:00 बजे मैं भाग कर पार्क में गया क्योंकि मैं जानता था कि सोसाइटी के सभी बड़े - बुजुर्ग
पार्क में सुबह -सुबह टहलने आते हैं। मैंने वहां सबको इकट्ठा किया फिर अपने और पीपल के पेड़ के बीच
की सारी बातें सब को बताई और सब से अनुरोध किया कि इस पेड़ को कटने ना दें।
सब ने मेरा साथ दिया क्योंकि वहां सब लोग सच्चाई को समझ गए थे जो पीपल के पेड़ ने मुझे समझाया था।
हम सब लोग मिलकर उस व्यक्ति के पास गए जिसने उस प्लाट को खरीदा था।
उसे भी समझाया वो भी मान गया कि वो पेड़ नहीं कटेगा।
और इस तरह हम सब ने मिलकर पीपल के पेड़ को कटने से बचा लिया
और हम सब ने वहां वादा किया कि आज से पेड़ नहीं काटेंगे और ज्यादा से ज्यादा पेड़ो को लगाएंगे।
अब तो मैं रोज़ कुछ समय पीपल बाबा के साथ बिताता हूं।
दिल को बहुत सुकून मिलता है
और उनको चिढ़ाता भी हूँ कि बच्चे को बुलाऊं क्या?
यह कहकर मैं खूब हसता हूं।
फिर पीपल से आवाज आती है टहनी गिराऊ क्या?
ये बोल कर वो भी खूब हसते हैं।
और फिर तेज़ हवा चलती है पत्तियां अपने मौज में लहराने लगती हैं।।
Thank u Namah Shivay.....
आलोक रंजन यादव.....