#तुम खुद कट रहे हो #
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लोग कहते हैं,
समय काट रहे हैं।
कोई ताश खेल रहा है,
कोई शराब पी रहा है,
कोई जुआ खेल रहा है,
कोई होटल में बैठा है,
कोई क्लबघर में बैठा है।
उनसे पूछो,
क्या कर रहे हो?
वे कहते हैं,
समय कांट रहे हैं।
जैसे समय
जरूरत से ज्यादा है,
तो काट रहे हैं उसे,
क्या करें!
यही आदमी
मौत के वक्त
चीखेगा—चिल्लाएगा
कि और
चौबीस घंटे मिल जाते,
एक रात और
पूर्णिमा का चांद देख लेता,
एक रात और कर लेता प्रेम,
एक रात और रह लेता
अपने प्रियजनों के बीच,
एक बार और
सूरज ऊग जाता,
एक वसंत और देख लेता,
एक बार और देखता
खिलते फूल,
एक बार और सुनता
गीत गाते पक्षी
पकड़ता है!
अब सब जा रहा है,
अब नहीं सूझता उसे
कि क्या करे,
पहले समय काटता था!
तुम सोचते हो,
तुम समय काट रहे हो,
तुम गलती में हो,
समय तुम्हें काट रहा है।
तुम समय को क्या काटोगे?
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लोग कहते हैं,
समय काट रहे हैं।
कोई ताश खेल रहा है,
कोई शराब पी रहा है,
कोई जुआ खेल रहा है,
कोई होटल में बैठा है,
कोई क्लबघर में बैठा है।
उनसे पूछो,
क्या कर रहे हो?
वे कहते हैं,
समय कांट रहे हैं।
जैसे समय
जरूरत से ज्यादा है,
तो काट रहे हैं उसे,
क्या करें!
यही आदमी
मौत के वक्त
चीखेगा—चिल्लाएगा
कि और
चौबीस घंटे मिल जाते,
एक रात और
पूर्णिमा का चांद देख लेता,
एक रात और कर लेता प्रेम,
एक रात और रह लेता
अपने प्रियजनों के बीच,
एक बार और
सूरज ऊग जाता,
एक वसंत और देख लेता,
एक बार और देखता
खिलते फूल,
एक बार और सुनता
गीत गाते पक्षी
पकड़ता है!
अब सब जा रहा है,
अब नहीं सूझता उसे
कि क्या करे,
पहले समय काटता था!
तुम सोचते हो,
तुम समय काट रहे हो,
तुम गलती में हो,
समय तुम्हें काट रहा है।
तुम समय को क्या काटोगे?
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