JUST THINK...........
हमारी प्रार्थना अब कुछ ऐसी हो गई है "हे ईश्वर मेरे चारों ओर फैले वातावरण को शुद्ध करिए, मेरे करीबीयों को आशीर्वाद दें, मेरे पड़ोसिओं को सद्बुद्धि दें" इत्यादि| किंतु अगर ह्म शांति से मनन करें तो ह्म पाएँगे की ह्म कितनी बड़ी भूल कर रहे हैं और प्रार्थना के सही वचन और भाव जो की हर पूजा अर्चना से पूर्व करने चाहिए उनसे हम अपने को वंचित कर रहे हैं| हालाँकि ईश्वर को याद करने के कोई निश्चित वचन नियम नहीं हैं पर भाव क्या होना चाहिए यह तो बताया जा ही सकता है| साधना और स्वाध्याय से पहले ये कामना करें की "हे प्रभु मुझे पवित्र कर दो, मुझे एक बेहतर मनुष्य बना दो, मेरी चेतना का स्तर बड़ा दो, मुझे अंतर आत्मा की पुकार सुनने में सक्षम कर दो, मेरे मन को शांत कर दो और मेरा भाव और चरित्र दोनों ही सदा के लिए शुद्ध कर दो"| क्योंकि जीवन में उपद्रव और गड़बड़ किसी दूसरे के कर्मों से नहीं बल्कि अपने अंतर-द्वंद्व और नकारात्मक सोच की कतार को पनाह देने से आती है
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