- कभी यह नहीं सोचना मैं नहीं होता तो इसका क्या होता ? या फिर मेरी वजह से आज वह इंसान इतना सुखी है| तुम सिर्फ़ निमित बनो और उस करता पुरुष को धन्यवाद देते रहो की हे प्रभु तुमने मुझे इतना सक्षम बनाया की मैं किसी की सेवा कर सका और किसी का मेरे कारण भला हो सका|मुझ पर कृपा इतनी हो की मैं सभी के कल्याण का कारण बनू| ऐसा भाव रखोगे तो कभी कर्म दोष लग ही नहीं सकता|"
- कर्मों
- याद रखो शब्द सर्वोपरि है| ग़लती से भी और मज़ाक में भी अपशब्द नही बोलना|
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