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कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

22 March 2016

शिवयोगी परिस्थतियों पर निर्भर भी नहीं रहता| शिव योगी हमेशा परिस्थितियाँ स्वयं रचता है

A SHIV YOGI HAS A CREATIVE STANCE TO CIRCUMSTANCE

"याद रखो एक शिवयोगी कभी परिस्थितियों के आगे घुटने नही टेकता| और एक शिवयोगी परिस्थतियों पर निर्भर भी नहीं रहता| शिव योगी हमेशा परिस्थितियाँ स्वयं रचता है जो सभी के लिए win-win होती हैं| A Shiv Yogi never surrenders to his circumstances. A Shiv Yogi also never becomes dependent on circumstances. He creates circumstances such that the attitude of win-win prevails."

TIP FOR SPIRITUAL GROWTH
"लोग मुझसे आकर पूछते हैं - बाबाजी हमें कैसे मालूम चलेगा की हम मोक्ष के मार्ग पर कितना आगे बड़े? मैं उनको कहता हूँ देखो भाई, अगर तो तुम्हारे परिवार के सदस्यों की सिर्फ़ अच्छाइयों को देख के तुम प्रसन्न होते हो, उनकी प्रशंसा करते हो, उनको स्वीकार करते हो, उनसे प्रेम करते हो, उनको क्षमा कर देते हो और उनको judge नहीं करते, तब समझ लेना सही मार्ग पर चल रहे हो| और यदि अच्छाई और बुराई की परिभाषा तुम स्वयं ही बनाकर अपने परिवार वालों को उन्ही मापदंडों के आधार पर अच्छा या बुरा कह देते हो, तब तुम्हें अभी अपनी अंतर यात्रा और तय करनी है| प्रतिदिन प्रातः संध्या को ब्रह्ममहुरत में साधना करो, अपने ईष्ट का आवाहन करो, अपने गुरु का आवाहन करो, सिद्ध गुरुओं का आवाहन करो| उन सबको बुलाकर कहो की मुझे प्रेम करने की शक्ति दो, मुझे क्षमा करने की शक्ति दो, मुझे स्वीकार करने के शक्ति दो| ऐसा करना ज़रूरी है क्योंकि एक मनुष्य योनि ही ऐसी है जिसमें तुम अपने कर्मों के द्वारा ८४ लाख योनि के माया जाल से बाहर निकल सकते हो और शिवयोग साधना वो माध्यम है जिसके द्वारा तुम अपने कर्म काटकर, जन्म और मृत्यु के पहिए से निकल सकते हो| नहीं तो मैं यह बता दूं की पशु योनि में फिर वही कर्म उसी कर्मों की गठरी को भोगना पड़ता है| और एक पशु जन्म में केवल एक ही कर्म कटता है| सुबह उठकर साधना के बाद यह बोल के कहो

'जो भी मेरे घर में, मेरे परिवार में जन्में हैं, मैं उन सभी को सहर्ष ही स्वीकार करता हूँ| जो सदस्य, जैसा भी है, मैं उसको वैसे ही स्वीकार करता हूँ| यदि किसी ने जाने अंजाने में मुझे पीड़ा दी तो भी मैं सभी को क्षमा करता हूँ| मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों से प्यार करता हूँ'|"

ATTITUDE GOVERNS YOUR LATITUDE
"जीवन मे तुम्हारी सोच ही यह निर्धारित करेगी की अध्यातम की सीढ़ी में तुम कहाँ तक पहुँचोगे| अगर तो हर हाल में दुखी रहोगे और एक disgruntled attitude रहेगा, तो तुम कुछ भी हासिल नही कर पाओगे| तुम पर अमृत वर्षा भी कोई कर जाएगा तो भी तुम शिकायत करते, रोते रह जाओगे| इसीलिए मैं कहता हूँ कुछ भी मिले उसका धन्यवाद करो| प्रत्येक घटना में खुशी को खोजो| एक सोच तो यह है की भाई मेरा गुरु मुझे पर इतनी कृपा वर्षा कर रहा है तो मुझे भी भरसक प्रयास करना चाहिए इसको ग्रहण करने का| और यह करने के लिए तुम आधा घंटा पेंहले ही शिविर पंडाल में पहुँच कर ध्यान में बैठ जाओ| पहले से ही अपने आपको शांत कर लो| acclimatize कर लो उस हीलिंग vibration से| ऐसी सोच तो तुम्हारा गुरु भी सरहाएगा| किंतु वहीं दूसरी ओर यदि तुम आलसी बनोगे और अपनी कमज़ोरी में गुरु को भी कमज़ोर समझोगे, तब चाहे भगवान शिव भी क्यों न प्रकट हो कर तुम्हे आशीर्वाद लेने के लिए आ जाए, तुम उसको भी नकार दोगे| यह जो मैं तुम्हे देकर के जा रहा हूँ, इसको अमृत से कम मत समझना| वर्षों की तपस्या के बाद ये मुझे मिला और आज तुम एसी हॉल में आराम से बैठकर दीक्षा ले रहे हो| मैं तो यह कहता हूँ की तुम मुझसे भी भाग्यशाली हो| तो इस चीज़ को समझो| अपने जीवन का मोल समझो| अपने जीवन में गुरु का मोल समझो|"

RESOLVE TO MAKE LIFE PROGRESSIVE
"शिवयोग में ऊँचाइयाँ हासिल करना चाहते हो तो अपने जीवन में एक संकल्प लेना| अपने से कहना की हर रोज़ मैं अपनी कमियों को तोड़ूँगा| एक list बनाओ की तुम्हारे अंदर क्या-क्या ऐसी आदतें या कमियाँ है जो की तुम्हारे आत्म-साक्षात्कार के मार्ग में बाधा बनी हुई हैं| मैं चाहता हूँ की पहले आप सभी अपनी जीवन की रुकावटों को जानो| बरीर को जानो| उनको ऐसे लिखो की पहला what is my limitation, दूसरा what is my weakness? तीसरा what are my bad habits? और हर रोज़ तीनों lists से एक point को strike out करो| धारणा यह रहे की मैं हर रोज़, हर प्रकार से बढ़ता जा रहा हूँ| धीरे-धीरे तुम देखोगे की तुम्हारे जीवन में कोई कमज़ोरी रह ही नही जाएगी|
🙏❤💞🙏

20 March 2016

किसी पिता ने अपने बेटे का नाम "विभीषण "नहीं रखा। जानते हैं क्यों?

विभीषण रावण के राज्य में रहने वाला एक ऐसा व्यक्ति था जिसके सहयोग के बिना श्रीराम को सीता नहीं मिलतीं, जिनके सहयोग के बिना लक्ष्मण जीवित नहीं बचते, जिसके सहयोग के बिना रावण के राज्य की गोपनीय बातें हनुमान-श्रीराम को पता नहीं लगतीं।
एक लाइन में कहें तो ‘श्रीराम का आदर्श भक्त’… इतना कुछ होते हुए भी आज उस घटना के हजारों सालों के बाद भी किसी पिता ने अपने बेटे का नाम  "विभीषण "नहीं रखा। जानते हैं क्यों?

अगर राष्ट्रभक्ति नहीं की तो कभी माफ नहीं किए जाएंगे।

14 March 2016

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A@lok Ranjan Yadav
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