एक राज की बात बतायें, किसी को बताना नहीं;
"इस दुनिया मे अपने सिवा कुछ भी अपना नहीं होता!"
झुठे हैं वो जो कहते हैं कि
"हम सब मिट्टी से बने हैं।"
मैं कई से वाकिफ हूं,
जो पत्थर के बने हैं!!
हम तो छोटे है साहेब अदब से सर झुका लेते है;
मगर बड़े तय कर ले कि उनमे बड़प्पन कितना है!
मसला ये भी है,
इस दुनियाँ का,
कोई अगर अच्छा भी है,
तो वो अच्छा क्यूँ है?
ये कोई मायने नहीं रखता कि आपने जिंदगी में कितने दर्दभरे और कठिन फैसले लिए हैं,
अगर आप रात में एक अच्छी नींद सोते हैं तो ये मानिए कि आपने एकदम सही फैसला लिया है!
बडो से बात करने का तरीका आपकी "तमीज" बताता है
और
छोटों से बात करने का तरीका
आपकी "परवरिश"!
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को
खुद से पहले सुला देता हूँ;
मगर
हर सुबह ये मुझसे पहले
जाग जाती हैं!
दोस्त शब्द का अर्थ -
'हर "दोष" को जो
"अस्त" कर दे;
और हर दुःख को
भी "मस्त" कर दे,
वही सच्चा "दोस्त" होता है!'
रिश्ते निभाना हमने बच्चों से सीखना चाहिए।
जो अगर झगड़ा भी करते है,
तो केवल एक या दो घंटे के लिए
और वो फिर पहले जैसे मिल जाते हैं।
हमने यह समझना चाहिए,
रिश्ते स्वार्थ निकालने के लिए नहीं,
साथ निभाने के लिए बनाए जाते हैं!
"बातें झोंकों के साथ
हवा में जल्द ही फ़ैल जाती है;
ईसीलिए जरा संभल के बोलना ऐ दोस्त
क्युँकि जब वे लौटती है,
तो रूप बदल कर आती है!"
किसी को दुःख देना उतना ही आसान है, जितना समुद्र में पत्थर फेकना,
लेकिन क्या कभी सोचा है कि, वो पत्थर कितनी गहराई तक गया होगा
"इस दुनिया मे अपने सिवा कुछ भी अपना नहीं होता!"
झुठे हैं वो जो कहते हैं कि
"हम सब मिट्टी से बने हैं।"
मैं कई से वाकिफ हूं,
जो पत्थर के बने हैं!!
हम तो छोटे है साहेब अदब से सर झुका लेते है;
मगर बड़े तय कर ले कि उनमे बड़प्पन कितना है!
मसला ये भी है,
इस दुनियाँ का,
कोई अगर अच्छा भी है,
तो वो अच्छा क्यूँ है?
ये कोई मायने नहीं रखता कि आपने जिंदगी में कितने दर्दभरे और कठिन फैसले लिए हैं,
अगर आप रात में एक अच्छी नींद सोते हैं तो ये मानिए कि आपने एकदम सही फैसला लिया है!
बडो से बात करने का तरीका आपकी "तमीज" बताता है
और
छोटों से बात करने का तरीका
आपकी "परवरिश"!
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को
खुद से पहले सुला देता हूँ;
मगर
हर सुबह ये मुझसे पहले
जाग जाती हैं!
दोस्त शब्द का अर्थ -
'हर "दोष" को जो
"अस्त" कर दे;
और हर दुःख को
भी "मस्त" कर दे,
वही सच्चा "दोस्त" होता है!'
रिश्ते निभाना हमने बच्चों से सीखना चाहिए।
जो अगर झगड़ा भी करते है,
तो केवल एक या दो घंटे के लिए
और वो फिर पहले जैसे मिल जाते हैं।
हमने यह समझना चाहिए,
रिश्ते स्वार्थ निकालने के लिए नहीं,
साथ निभाने के लिए बनाए जाते हैं!
"बातें झोंकों के साथ
हवा में जल्द ही फ़ैल जाती है;
ईसीलिए जरा संभल के बोलना ऐ दोस्त
क्युँकि जब वे लौटती है,
तो रूप बदल कर आती है!"
किसी को दुःख देना उतना ही आसान है, जितना समुद्र में पत्थर फेकना,
लेकिन क्या कभी सोचा है कि, वो पत्थर कितनी गहराई तक गया होगा
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