Featured Post

कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

09 February 2014

जीवन में खुश होना सीखो


नमः शिवाय!

बाबा जी कहते हैं: "जीवन में खुश होना सीखो| भगवान का दिया हुआ कितना कुछ है, फिर भी हम यही रोना रोते रहते है की तूने तो मुझे दिया ही क्या है? दूसरों के पास तो इतना कुछ है| अरे पगले! जो दूसरे भोग रहे हैं वो उनके कर्मों का फल है| यदि तू चाहता है की तेरा भी भाग्य चमके, तो साधना कर| निष्काम सेवा कर| अपने संचित कर्मों को, जो की बाधा बने हुए हैं उनको काट तो सही| आज जो भी तू अनुभव कर रहा है, वह वो वृक्ष है जिसके बीज तूने भूत काल में बोए थे| यदि भविष्य को बदलना है, तो वर्तमान में पुण्य कार्य करने ही होंगे| और पुण्य कार्य भी एक उमंग, एक खुशी के साथ करने होंगे| यह नहीं की दुखी होते हुए गुस्से से तुम दान कर रहे हो| और फिर उसका अहंकार करते हुए सारे शहर में द्धिंढोरा पीट रहे हो की हम तो बड़े दानी हैं| इसका कोई फ़ायदा नहीं हैं| दान वाह-वाही बटोरने हेतु नहीं किया जाता| वो तो तुम्हारी साधना को उपर उठाने का एक माध्यम है| इसको अपना सौभाग्य समझना की तुम गाउ सेवा कर पाओ, ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगा पाओ, ग़रीबों को अन्न दान कर पाओ, छोटे बच्चों को खुश कर पाओ| बाकी अपने भीतर एक सेवा भाव पैदा करो, साधना से सेवा करने के मार्ग अपने आप ही खुलते जाएँगे| और charity begins at home.पहले स्वयं की वास्तव में सेवा करो| खुद के प्रति सेवा का तात्पर्य junk food खाना, tv देखना,गपशप लगाना, चाय पीना नहीं है| यह तो सिर्फ़ तुम्हारी पाँच इंद्रियों की सुख प्राप्ति के अस्थाई मध्यम हैं| अमृत भोजन खाओ| साधना करो| अपने पाँचों शरीरों की सेवा करो| प्राण क्रियाएं करो| स्वाध्याय करो| बाहर की सेवा तो ठीक है पर बाहर तो सेवा तभी दे पाओँगे जब भीतर से तुम स्वयं समर्थ हो|

No comments:

Post a Comment