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कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

23 February 2014

Namah Shivay..... kese hai aap sab log

Namah Shivay..... 

kese hai aap sab log
aap sab ko and aap sab ke bhitar bethe bhagwan shiv shiva ko mera pranaam _/\_


aaj me baba ko soon raha tha us audio me baba bata raha tha ki aap me se 99% log aise hai jinhe khud ko nahin pata ki wo chahte kya hai, baba bata rahe the ki jab tum log mandir me jaate hai or pooja karne ke baad bhagwaan se manngte ho ki bhagwan mera yeah kaam kar de fir ghar aa ke tum khud hi confuse ho jaate ho ki pata nahin mera yeah kaam hoega ki nahin hoega to baba batata hai ki bhagwan tshiv to tumhare andar hi hai tum jab confuse hote ho to bhagwan bhi confuse ho jaate hain ki pata nahin yeah kya chahtta hai apna kaam karwana chahta hai ki nahin chahta hai isliye ab tum log shivyog sadhak ban chuke ho shivyog me aane ka baba ne pahla rule bataya ki never get confuse ab jab bhi tum koi kaam karna chaho ya socho ki yeah hona chaiye mera kaam to mann me keval yeahi vichaar le ke aana ki mera yeah kaam achhi tarah se ho gaya hai mera yeah kaam achhi tarah se poorn ho chuka hai or uske baad bhagwan shiv ko dhanywaad dena ki he bhole baba tune mera yeah kaam kar diya hai.

doctors jitne bhi hai doctors ke uper baba kahta hai ki jis jis doctor ne shivyog sadhak ki uplabdhi haansil ki hai wo patient ko dekhne se pahle uska ilaaj karne se pahle uski achhi tarah se jaanch kare or uske baad maa sanjeevani ka aawahan kare or unse pray kare ki ise operation kiye bina hi maa sahi kar do fir vaapis se uski jaanch kare tab dekhna kitna anatar tumhe mahsoor hoga to doctors ko yeah baat samjhi nahin chaiye ki wo patient sahi kese hua yeah konsi shakti hai sanjeevani shakti jisse bina operation kiye bina chir faad kiye rogi rog mukt ho gaya or na ek pesa laga or hi kooch or bas maa ka aawahan kiya or sab rog door apne aap hote chale gaye. kai doctors in baato pe trust nahin karte kintu baba ne unhe pratyaksh yeah baate saabit karke batai hai baba chahte hain ki yeah jo shivyog ki sanjeevani shakti hai yeah doctors tak jarur pahunche kyun ki jab yeah shakti doctors ko mil gayi to unki medical science or baba ki yeah shivyog ki science jo ki science beyond science hai dono milkar is poori dooniya se rog ko jad se utha ke bahar fenk sakti hai tab hi baba ne jo sapna dekha hai wo poora ho sakta ki LOKA SAMSTA SUKHINO BHAVANTU

kher baba ne bataya ki kese sanjeevani shakti prapt hone ke baad log apne aap ko bahut bada bhagwaan ya healer ya taantrik samjhne lag jaate hai yeah sab baato me hume nahin padna hai hume sirf baba ke bataye hue sadmarg pe hi chalna hai jisse humare andar healing powers or badhti jaaye or hum doosro ke or khud ke bhi rog door karte jaaye kai log hote hai jo healing power lene ke baad iska galat istemaal shuru kar dete hai jese ki pese le kar logo ko heal karna etc. baba kahta hai are murkho yea to bhagwaan shiv shiva ka pyaar hai unconditional love hai bhagwaan shiv ka jise tum peso me tol rahe ho jab tumhe healing powers baba dete hai to saath me yeah vachan bhi lete hai ki koi healing power ka galat istemaal nahin karega lekin kooch asamajik tatva iska galat use karte hai yeah kah kar ki jab hum shivir me gayte the to humse bhi baba ne pesa liya tha are murkho wo pesa baba ke daan me jaata hai tumhe nahin pata ki baba ne kitni goshalae kitne anathalay khol rakhe hai wo pesa garibo me bant jata hai usme se baba to kooch bhi nahin leta hai wo to avdhoot hai avdhoot wo to sirf dena jaanta hai use tum kooch kya doge wo to keval tumhare p[yaar ka or bhav ka bhookha hai bas, baba kahta hai healing powers dete samay ki tum sabkoe rog mukt karo lekin bina apeksha ke or bina kisi ko kooch kahe. baba ne tumhe jo healing powers di hai wo shiv shiva ki or maa parmeshwari ka unconditional love hai wo tumhe pese me tolne ke liye nahin diya balki isliye diya hai ki wo unconditional love tum jan sadharan tak sahaj pahuncha sako.

good night to all
bless you all
love you all
namah shivay

13 February 2014

shivyog tips

www.aalok5s.com

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  • जब सकारात्मक ऊर्जा कम होती है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है तो बात बिगडना शुरू हो जाती है,और जब बात बिगड़ती है तो मनुष्य और ज्यादा शिकायत करता हैरोता हैबिलखता है और दुखी होता हैजिससे मुश्किल भी और ज्यादा बढ़ जाती है।
    मेरा बाबा कहता है कि अगर कोई बात बिगड़ भी जाय तो रोना नहींदुखी नहीं होना बल्कि तुरंत उस शिवाको सुमिरना शुरू कर देना जिससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाएगी और देखना बात बननी शुरू हो जाएगी।
    नमशिवाय 
  • अगर किसी के संचित कर्म पवित्र और शुद्ध है तो उसकी दृष्टि भी उतनी ही पवित्र होगीउसके आसपास कावातावरण भी आनन्द से भरा होगा।
    और जिस मनुष्य के संचित कर्म भारी होंगे तो उसको हर चीज़ बुरी दिखाई देगीऔर उसके जीवन मेंअचानक कष्ट आते रहते है जो जीवन को असहाय बना देते हैं।।
    आपकी सोच और विचारों के वार्तालाप को प्रकृति एक भौतिक रूप देती है। परन्तु आपके संचित कर्मआपकी बुद्धि को पकडते हैं जिसके अनुरूप आप सकारात्मक एवं नकारात्मक सोचते हैं।
    सिर्फ साधना एवं निस्वार्थ सेवा पिछले बुरे कर्मों को निष्क्रिय करती है और शुभ कर्म पैदा कर सकती है।
    नमशिवाय
  • जब प्राण शक्ति कमजोर होती है तो मन अशान्तचिडचिडाऔर क्रोधी हो जाता है। और मनुष्य निस्तेजहो जाता है।
    और जब प्राण शक्ति का प्रवाह उत्तम हो जाता है तब मनुष्य एकदम आनंदित और तेजोमय हो जाता है।
    प्राण शक्ति के उत्तम प्रवाह के लिये शिव साधना सव्रोत्तम है।
    नमशिवाय
  • आप एक किरायेदार हो। आपका शरीर किराये का मकान हैइस मकान का असली मालिक काल है। एकदिन इस मकान का मालिक बिना सूचना के आएगा और आपको इससे बाहर निकाल देगाऔर आप खड़ेखड़े देखते रह जाओगे। तो क्यों ना इससे पहले ही इस मकान में रहकर निष्काम सेवा और साधना करकेसांसारिक एवं आध्यात्मिक सफलता प्राप्त करली जाय। इसके साथ साथ शिव शिवा का श्रवणसंकीर्तनऔर मनन करलो तो इस आवागमन से मुक्ति मिल जाए।
    नमशिवाय
  • किसी के बारे में एक बार भी बुरा चाहनाआपके हजारों पुण्यों को श्रनभर में समाप्त कर देता है जो पतनका कारण बनता है।
    और सभी के बारे में अच्छाशुभ चाहने मात्र से भी पुण्य जागृत होते है जिनसे भाग्योदय होता है। जोभौतिक एवं आध्यात्मिक सुख देता है।
    नमशिवाय
  • अपने परिवार में किसी को दुखी नहीं करना,
    अपने परिवार में किसी की आलोचना नहीं करना,
    अपने परिवार में किसी को कष्ट नहीं देना।
    आपका परिवार एक आत्म समूह हैइस शरीर को धारण करने से पहले आत्मा विचार करती है कि पिछलेजन्मों में जो बिना सुलझे मसले रह गए हैं वह इस जन्म में आपके साथ रहकर सुलझाने हैं।
    इसीलिए परिवार के सभी सदस्यों को प्रेम देनाऔर उनको स्वीकार करनाऐसा करने से बहुत तेजी सेआध्यात्मिक उन्नति होती है 
    नमशिवाय
  • मैं जिसके बारे में सोचूंगा या जिसका नाम लूंगातुरंत मेरा मन उससे जुड जायेगाऔर हम दोनों की ऊर्जाके बीच में एक पुल बन जायेगाफिर उसकी ऊर्जा मेरी तरफ आयेगी और मेरी ऊर्जा उसकी तरफ जायेगी।कुछ समय के बाद हम दोनों की ऊर्जा बराबर हो जायेगी। 
    इसीलिए हमेशा दिव्य पुरुष (गुरुके बारे में ही सोचना तो एक दिन आप और वह दिव्य पुरुष एक (अद्वैत)हो जाओगे।
    क्या आप ने कभी अपने आपको देखा कि आप किस (अच्छा या बुराके बारे में सोचते हैं।
    नमशिवाय 
  • • जो खुद खुश नहीं है वो औरों को खुशी नहीं दे सकता है।नम: शिवाय

    • इस दुनिया में कोई भी चीज़ जिससे मनुष्य को लगाव है उसे वह छोड़ नहीं सकता है। यदि छुड़वाया जाए तो कष्ट होगा।
    यह चीज़ स्वतः ही छूट जाती है यदि उससे अच्छी कोई चीज़ उसके जीवन में मिल जाए। 
    जब घर में गैस आई तो स्टोव छूट गया, रंगीन टेलीविजन आई तो ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन छूट गया, कार आई तो स्कूटर छूट गया। छोड़ना नहीं पड़ा, स्वतः ही छूट गया।
    इस संसार में परमात्मा का सुख सबसे बड़ा सुख है और जिसको उस सुख से लगाव हो जाए तो दुनिया की सभी चीजों से खुशी खुशी अलगाव शुरू हो जाता है।
    नम: शिवाय

    • बीज जब तक अपना अस्तित्व रखता है तब तक पौधा नहीं बन सकता। और पौधा अगर अपना अस्तित्व बनाए रखे तो विशाल वृक्ष नहीं बन सकता, इसीलिए जितना खोओगे, जितना मिटोगे उतना ही पाओगे।
    गुरु भक्ति एक समर्पण का मार्ग है, मिटने का मार्ग है, खो जाने का मार्ग है, व्यक्ति जितना सूक्ष्म होता है उतना ही महान होता है। फिर किसी की गाली उसे प्रभावित नहीं कर सकती, किसी की प्रशंसा भी उसे प्रभावित नहीं कर सकती, क्योंकि वह मिट चुका है। 
    मरकर तो सभी मिटते हैं, सभी खोते हैं , जो जीते जी खो चुका और अपनी मैं का अस्तित्व मिटा देता है तभी वह इंसान शिव बनता है और वही धन्य है।
    नम: शिवाय


    • ये संसार जिसे विपत्ति, रुकावट, दुख एवं रोग कहता है, वास्तव में वह इंसान के संचित कर्मों द्वारा उत्पन्न प्रारब्ध भोग हैं और कुछ नहीं।
    जिसे सत्कर्म कर्म, निष्काम सेवा एवं साधना करके सुख में बदला जा सकता है।
    नम: शिवाय


    • तुम अपने लिए जो कुछ भी चाहते हो, सिर्फ वही बोलना और वही सोचना, क्योंकि आपकी सोच साकार रूप लेती है।
    नम: शिवाय


    • जिस दिन आप पूरी श्रद्धा एवं समर्पण भाव से ईश्वरीय अनुकम्पा प्राप्त करने के जिज्ञासु हो तो यह समझलेना यह विचार ही हजारों पुण्य कर्मों का फल है, और इस बात का विश्वास रखना कि ठीक उसी क्षण से ईश्वरीय शक्ति ( सिद्ध गुरू) आपके जीवन में आते हैं और आपको आप से जोड़ने के लिए आपका मार्गदर्शन करना शुरू कर देते हैं।
    नम: शिवाय


    • उस परात्पर शिव के नाम का अगर एक बार भी सुमिरन किया है तो उसका पुण्य आपको मिलता है, और अगर उसका नाम अपनी हर साँस के साथ जोड़ दिया तो इस दुनिया में आपसे बड़ा धनवान और कौन हो सकता है।
    तुम्हारी असली कमाई वो है जो मीठे शब्द आपने बोले जिससे किसी के अन्दर में शीतलता उतर गई हो, और उसके साथ साथ उस परमात्मा के नाम का सुमिरन। यही कमाई तुम्हारे खाते में हर क्षण लिखी जा रही है, जो इस जीवन में तो रहती ही है और साथ भी जाती है। नम: शिवाय (शिव योग)


    • खून की खराबी है और इंसान फोडे-फुंसियों पर मरहम लगाता रहता है, तो क्या वह बीमारी ठीक हो सकती है? 
    वैसे ही हर कष्ट का मूल कारण संचित कर्म है जो इंसान को प्रारब्ध भोग के रूप में इस जीवन में भोगना पढ़ता है। और इंसान इधर-उधर भागा फिरता है समाधान के लिए।
    जीवन में सुख पाने के लिए बुरे संचित कर्मों को निष्क्रिय करना होगा, उसके लिए अपनी भावना को शुद्ध रखना, शुभ कर्म करना एवं इसके साथ- साथ समर्पण भाव से ईश्वर का सुमिरन और साधना करनी चाहिए। नम: शिवाय (शिव योग


    • पहले अहंकार को पकड़ कर दिखाईये , फिर पूछिए उसका नाश कैसे किया जाए | यह प्रश्न कौन पूछ रहा है ? अहंकार | क्या अहंकार कभी भी स्वयं अपने मृत्यु की सम्मति दे सकता है ? ऐसे प्रश्न पूछते रहना अहंकार को सुरक्षित रखने का मार्ग है , उसे नष्ट करने का नहीं |यदि आप अहंकार की प्रामाणिक तलाश करेंगे तो ज्ञात होगा उसका अस्तित्व ही नहीं है | यही उसके विनाश का मार्ग है


    • कोई किसी की भी बुराई मेरे सामने करता है, और अगर मैं उसे बहुत रूचि से सुनता हूँ तो मैं एक कचरे का डब्बा हूँ जहाँ पर गन्दगी डाली जाती है।
    नम: शिवाय


    • नीयत(intention) कितनी भी अच्छी हो, ये दुनिया आपको आपके दिखावे से जानती है।
    और दिखावा कितना भी अच्छा हो, खुदा आपको आपकी नीयत से जानता है।।


    • तुम्हारे और शिव के बीच का रास्ता बिल्कुल साफ और सुन्दर है, और दिव्य पुरुष (गुरु) उस रास्ते में खड़े हैं आपका हाथ पकडकर उस तक ले जाने के लिए, मार्ग दर्शन करने के लिए। लेकिन आपके कर्मों की परतों ने उस रास्ते के ऊपर अग्यानता का पर्दा डाल दिया है। यह पर्दा माया, लोभ, लालच, काम, क्रोध, मोह से बुना गया है। इस पर्दा को थोड़ा हटा कर तो देखो वो मुस्कुराते हुए बाहें फैलाकर खड़ा है सिर्फ आपके लिए।

माँ बाप का क़र्ज़ कभी अदा नहीं किया जा सकता

एक बेटा पढ़-लिख कर बहुत बड़ा आदमी बन गया । पिता के
स्वर्गवास के बाद माँ ने हर तरह का काम करके उसे इस काबिल
बना दिया था । शादी के बाद पत्नी को माँ से शिकायत रहने
लगी के वो उन के स्टेटस मे फिट नहीं है । लोगों को बताने मे उन्हें
संकोच होता की
ये अनपढ़ उनकी सास-माँ है । बात बढ़ने पर बेटे ने
एक दिन माँ से कहा-
" माँ ”_मै चाहता हूँ कि मै अब इस काबिल हो गया हूँ कि कोई
भी क़र्ज़ अदा कर सकता हूँ । मै और तुम
दोनों सुखी रहें इसलिए आज तुम मुझ पर किये गए अब तक के सारे
खर्च सूद और व्याज के साथ मिला कर बता दो । मै वो अदा कर
दूंगा । फिर हम अलग-अलग सुखी रहेंगे ।
माँ ने सोच कर उत्तर दिया -
"बेटा”_हिसाब ज़रा लम्बा है ,सोच कर बताना पडेगा।मुझे
थोडा वक्त चाहिए ।"
बेटे ना कहा - " माँ _कोई ज़ल्दी नहीं है । दो-चार दिनों मे बात
देना ।"
रात हुई, सब सो गए । माँ ने एक लोटे मे पानी लिया और बेटे के
कमरे मे आई । बेटा जहाँ सो रहा था उसके एक ओर पानी डाल
दिया । बेटे ने करवट ले ली । माँ ने दूसरी ओर भी पानी डाल
दिया। बेटे ने जिस ओर भी करवट ली_माँ उसी ओर
पानी डालती रही तब परेशान होकर बेटा उठ कर खीज कर
बोला कि माँ ये क्या है ? मेरे पूरे बिस्तर को पानी-पानी क्यूँ कर
डाला...?
माँ बोली-
" बेटा, तुने मुझसे पूरी ज़िन्दगी का हिसाब बनानें को कहा था । मै
अभी ये हिसाब लगा रही थी कि मैंने कितनी रातें तेरे बचपन मे तेरे
बिस्तर गीला कर देने से जागते हुए काटीं हैं । ये तो पहली रात है
ओर तू अभी से घबरा गया ...? मैंने अभी हिसाब तो शुरू
भी नहीं किया है जिसे तू अदा कर पाए।"
माँ कि इस बात ने बेटे के ह्रदय को झगझोड़ के रख दिया । फिर
वो रात उसने सोचने मे ही गुज़ार दी । उसे ये अहसास
हो गया था कि माँ का क़र्ज़ आजीवन नहीं उतरा जा सकता ।
माँ अगर शीतल छाया है पिता बरगद है जिसके नीचे बेटा उन्मुक्त
भाव से जीवन बिताता है । माता अगर अपनी संतान के लिए हर
दुःख उठाने को तैयार रहती है तो पिता सारे जीवन उन्हें
पीता ही रहता है ।
माँ बाप का क़र्ज़ कभी अदा नहीं किया जा सकता । हम तो बस
उनके किये गए कार्यों को आगे बढ़ा कर अपने हित मे काम कर रहे हैं

आखिर हमें भी तो अपने बच्चों से वही चाहिए ना .

इस मछली की तो जान बच ही जाएगी


एक वृद्ध समुद्र के किनारे टहल रहे थे । उन्होने देखा कि समुद्र
की सैकडों मछलियां बहाव के साथ किनारे रेत पर आ गई हैं और उसमें
फंसकर तडप रही हैं। तभी उसने देखा कि एक छोटा बच्चा वहां उन बडी और
भारी मछलियों को बडे प्रयास से वापस समुद्र में डाल
रहा था मछली को पकडने और उसे पकड कर समुद्र के पानी तक ले जाने
में काफी समय लग रहा था। उन वृद्ध ने उस छोटे से बच्चे से पूछा- समुद्र के किनारे रेत में तो सैकडों मछल ियां फंसी हुई हैं, आठ-दस मछलियां समुद्र
में डालने से क्या होगा, इन सैकडों मछलियों की जान तो नहीं बच जाएगी।
फिर क्यों इतनी मेहनत कर रहे हो बेटा ? उस छोटे से बच्चे ने एक और
मछली उठाकर समुद्र में ले जाते हुए जवाब दिया- इस मछली की तो जान
बच ही जाएगी
। भावार्थ : परिवर्तन तभी आता है, जब हम थोडे से ही शुरुआत
करें......

09 February 2014

जीवन में खुश होना सीखो


नमः शिवाय!

बाबा जी कहते हैं: "जीवन में खुश होना सीखो| भगवान का दिया हुआ कितना कुछ है, फिर भी हम यही रोना रोते रहते है की तूने तो मुझे दिया ही क्या है? दूसरों के पास तो इतना कुछ है| अरे पगले! जो दूसरे भोग रहे हैं वो उनके कर्मों का फल है| यदि तू चाहता है की तेरा भी भाग्य चमके, तो साधना कर| निष्काम सेवा कर| अपने संचित कर्मों को, जो की बाधा बने हुए हैं उनको काट तो सही| आज जो भी तू अनुभव कर रहा है, वह वो वृक्ष है जिसके बीज तूने भूत काल में बोए थे| यदि भविष्य को बदलना है, तो वर्तमान में पुण्य कार्य करने ही होंगे| और पुण्य कार्य भी एक उमंग, एक खुशी के साथ करने होंगे| यह नहीं की दुखी होते हुए गुस्से से तुम दान कर रहे हो| और फिर उसका अहंकार करते हुए सारे शहर में द्धिंढोरा पीट रहे हो की हम तो बड़े दानी हैं| इसका कोई फ़ायदा नहीं हैं| दान वाह-वाही बटोरने हेतु नहीं किया जाता| वो तो तुम्हारी साधना को उपर उठाने का एक माध्यम है| इसको अपना सौभाग्य समझना की तुम गाउ सेवा कर पाओ, ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगा पाओ, ग़रीबों को अन्न दान कर पाओ, छोटे बच्चों को खुश कर पाओ| बाकी अपने भीतर एक सेवा भाव पैदा करो, साधना से सेवा करने के मार्ग अपने आप ही खुलते जाएँगे| और charity begins at home.पहले स्वयं की वास्तव में सेवा करो| खुद के प्रति सेवा का तात्पर्य junk food खाना, tv देखना,गपशप लगाना, चाय पीना नहीं है| यह तो सिर्फ़ तुम्हारी पाँच इंद्रियों की सुख प्राप्ति के अस्थाई मध्यम हैं| अमृत भोजन खाओ| साधना करो| अपने पाँचों शरीरों की सेवा करो| प्राण क्रियाएं करो| स्वाध्याय करो| बाहर की सेवा तो ठीक है पर बाहर तो सेवा तभी दे पाओँगे जब भीतर से तुम स्वयं समर्थ हो|

06 February 2014

Android Secrete codes


***Android Secrete codes****
                                                    ------------------------------------
1. Phone Information, Usage and
Battery – *#*#4636#*#*
2. IMEI Number – *#06#
3. Enter Service Menu On Newer
Phones – *#0*#
4. Detailed Camera Information –
*#*#34971539#*#*
5. Backup All Media Files –
*#*#273282*255*663282*#*#*
6. Wireless LAN Test –
*#*#232339#*#*
7. Enable Test Mode for Service –
*#*#197328640#*#*
8. Back-light Test – *#*#0842#*#*
9. Test the Touchscreen –
*#*#2664#*#*
10. Vibration Test – *#*#0842#*#*
11. FTA Software Version –
*#*#1111#*#*
12. Complete Software and
Hardware Info – *#12580*369#
13. Diagnostic Configuration –
*#9090#
14. USB Logging Control –
*#872564#
15. System Dump Mode – *#9900#
16. HSDPA/HSUPA Control Menu –
*#301279#
17. View Phone Lock Status –
*#7465625#
18. Reset the Data Partition to
Factory State – *#*#7780#*#*
19. Format Your Device To Factory
State(will delete everything on your
phone) – *2767*3855#
20. Hidden Service Menu For
Motorola Droid – ##7764726

जिन्हें ईश्वर और जीवन में कुछ पाने की तमन्ना होती है, वे वाद-विवाद में नहीं पड़ते

एक बार किसी रेलवे प्लैटफॉर्म पर जब
गाड़ी रुकी तो एक
लड़का पानी बेचता हुआ निकला। ट्रेन में बैठे एक सेठ ने उसे आवाज दी, ऐ
लड़के, इधर आ। लड़का दौड़कर आया।
उसने पानी का गिलास भरकर सेठ
की ओर बढ़ाया तो सेठ ने पूछा,
कितने पैसे में? लड़के ने कहा, पच्चीस
पैसे। सेठ ने उससे कहा कि पंदह पैसे में देगा क्या?
यह सुनकर लड़का हल्की मुस्कान
दबाए पानी वापस घड़े में उड़ेलता हुआ
आगे बढ़ गया।
उसी डिब्बे में एक महात्मा बैठे थे,
जिन्होंने यह नजारा देखा था कि लड़का मुस्कराय
मौन रहा।
जरूर कोई रहस्य उसके मन में होगा।
महात्मा नीचे उतरकर उस लड़के के
पीछे- पीछे गए।
बोले : ऐ लड़के, ठहर जरा, यह तो बता तू हंसा क्यों? वह
लड़का बोला, महाराज, मुझे
हंसी इसलिए आई
कि सेठजी को प्यास
तो लगी ही नहीं थी। वे तो केवल
पानी के गिलास का रेट पूछ रहे थे। महात्मा ने पूछा, लड़के, तुझे
ऐसा क्यों लगा कि सेठजी को प्यास
लगी ही नहीं थी।
लड़के ने जवाब दिया, महाराज, जिसे
वाकई प्यास लगी हो वह कभी रेट
नहीं पूछता। वह तो गिलास लेकर पहले पानी पीता है। फिर बाद में
पूछेगा कि कितने पैसे देने हैं? पहले
कीमत पूछने का अर्थ हुआ कि प्यास
लगी ही नहीं है।
वास्तव में जिन्हें ईश्वर और जीवन में
कुछ पाने की तमन्ना होती है, वे वाद-विवाद में नहीं पड़ते। पर
जिनकी प्यास सच्ची नहीं होती, वे
ही वाद-विवाद में पड़े रहते हैं। वे
साधना के पथ पर आगे नहीं बढ़ते।