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कल जब मैं मर जाऊँगा (#Aalokry)

कल जब मैं मर जाऊँगा। तब तुम मेरे लिए आंसू बहाआगे  पर मुझे पता नही चलेगा तो  उसके बजाय  आज तुम मेरी इम्पॉर्टन्टस को महसूस क...

25 July 2017

Maa ki Mahima Sab Hain Sunate Main Batlau Kya Hai Pita


माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
रोटी-कपड़ा और मकान परिवार का सारा जहाॅ है पिता...
पिता है संग तो हर बाजार के सारे खिलौने अपने हैं...
पिता से ही तो हर बच्चे के होते हजारों सपने हैं... बच्चों की हर आशा और खुशियों का है इंतजार पिता...
प्यार पिता का होता है गूंगा दुनिया समझ ना पाती है...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता... माॅ की ममता छलक छलक कर सबको ही दिख जाती है... कर सको तो महसूस करो नहीं दिखता है ऐसा प्यार पिता...
माॅ की बिंदी और सुहाग ममता का है आधार पिता...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता... पिता से ही तो माॅ को अपना एक अलग परिवार मिला... पिता से ही तो माॅ को माॅ कहलाने का अधिकार मिला... माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
माॅ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता...
सबकी जरूरत सबकी खुशियाॅ सोचे वो बंधन है पिता... क्या होगा कब कैसे होगा हर पल का चिंतन है पिता...
'अंकुश' बच्चों की खातिर अपने सुख भूले वो है पिता.....#Aalokry

08 July 2017

Chhoti si Baat

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#Aalokry

किस्सा रफ़ काॅपी का


===== किस्सा रफ़ काॅपी का=====

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हर सब्जेक्ट की काॅपी अलग अलग बनती थी,
परंतु एक काॅपी ऐसी थी जो हर सब्जेक्ट को सम्भालती थी।
उसे हम रफ़ काॅपी कहते थे।

यूं तो _*रफ़ काॅपी*_ का मतलब खुरदुरा होता है।

परंतु वो _*रफ़ काॅपी*_ हमारे लिए बहुत कोमल होती थी।

कोमल इस सन्दर्भ में कि उसके पहले पेज पर हमें कोई इंडेक्स नहीं बनाना होता था, न ही शपथ लेनी होती थी कि, इस काॅपी का एक भी पेज नहीं फाडे़ंगे या इसे साफ रखेंगे।

उस काॅपी पर हमारे किसी न किसी पसंदीदा व्यक्तित्व का चित्र होता था।

उस काॅपी के पहले पन्ने पर सिर्फ हमारा नाम होता था और आखिरी पन्नों पर अजीब सी कला कृतियां, राजा मंत्री चोर सिपाही या फिर पर्ची वाले क्रिकेट का स्कोर कार्ड।

उस *_रफ़ काॅपी_* में बहुत सी यादें होती थी।

जैसे अनकहा प्रेम,
अनजाना सा गुस्सा,
कुछ उदासी,
कुछ दर्द,

हमारी _*रफ काॅपी*_में ये सब कोड वर्ड में लिखा होता था 
जिसे कोई आई एस आई 
या 
सी आई ए डिकोड नहीं कर सकती थी।

उस पर अंकित कुछ शब्द, कुछ नाम कुछ चीजें ऐसी थीं, जिन्हें मिटाया जाना हमारे लिए असंभव था।

हमारे बैग में कुछ हो या न हो वो रफ़ काॅपी जरूर होती थी। आप हमारे बैग से कुछ भी ले सकते थे पर वो _*रफ़ काॅपी*_ नहीं।

हर पेज पर हमने बहुत कुछ ऐसा लिखा होता था जिसे हम किसी को नहीं पढ़ा सकते थे।

कभी कभी ये भी होता था कि उन पन्नों से हमने वो चीज फाड़ कर दांतों तले चबा कर थूक दिया था क्योंकि हमें वो चीज पसंद न आई होगी।

समय इतना बीत गया कि, अब काॅपी ही नहीं रखते हैं।

रफ़ काॅपी जीवन से बहुत दूर चली गई है,

हालांकि अब बैग भी नहीं रखते हैं कि _*रफ़ काॅपी*_ रखी जाए।

वो खुरदुरे पन्नों वाली *_रफ़ काॅपी_* अब मिलती ही नहीं।

हिसाब भी नहीं हुआ है बहुत दिनों से, न ही प्रेम का न ही गुस्से का, यादों की गुणा भाग का समय नहीं बचता।

अगर कभी वो _*रफ़ काॅपी*_ मिलेगी उसे लेकर बैठेंगे,

फिर से पुरानी चीजों को खगांलेगें,

हिसाब करेंगे और
आखिरी के पन्नों पर राजा, मंत्री, चोर, सिपाही खेलेंगे। 

वो 'नटराज' की पेन्सिल, वो 'चेलपार्क' की स्याही, वो महंगा 'पायलेट' का पेन और जैल पेन की लिखाई।

वो सारी ड्राइंग, वो पहाड़, वो नदियां, वो झरने, वो फूल, लिखते लिखते ना जाने कब ख़त्म......#Aalokry

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04 July 2017

Waqt


अपने खिलाफ बातें 
मैं अक्सर ख़ामोशी से सुनता हूं 
क्यो कि
जवाब देने का हक़ 
मैंने वक़्त को दे रखा है.....#Aalokry

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