दोस्तों ,
जब हवा में उड़ते हुए दिवाली के रॉकेट को हम देखते हैं तो सभी यही बोलते हैं कि
वह देखो रॉकेट कितना ऊपर उड़ गया। पर सच तो यह होता है कि
रॉकेट को ऊपर उसमे भरा हुआ बारूद लेकर गया था।
रॉकेट को जो शक्ति मिल रही थी उसका असली कारण वह बारुद था
और बारूद को जो शक्ति मिल रही थी उसका कारण वह माचिस की आग थी ।
दोनों ने मिलकर इसे कुछ यूं कहूं कि दोनों ने खुद को जलाकर
रॉकेट को ऊंचाइयों पर पहुंचा आया था।
रॉकेट को ऊंचाइयों पर पहुंचा आया था।
ठीक ऐसे ही असल जिंदगी में मां-बाप ,अपने आप को जलाकर (तप द्वारा)
अपने बच्चों को ऊंचाइयों पर भेजते हैं।
मां वहीं बारूद की भूमिका निभाती है तथा पिता आग की
मां वहीं बारूद की भूमिका निभाती है तथा पिता आग की
भूमिका निभाते हैं तब जाकर बच्चा सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचता है।
मैं यहां पर उन बच्चों को विशेष ध्यान देने को कहूंगा जो
अपने माता-पिता के अहसानो को नहीं मानते.....
अपने माता-पिता के अहसानो को नहीं मानते.....
वे अगर ध्यान दें तो पाएंगे, कि जिस वक्त भी वह बारुद और आग खत्म होगा
रॉकेट ठीक उसी वक्त से नीचे की तरफ गिरना शुरू हो जाएगा।
अब वो ऊंचाइयों पर नहीं जा पाएगा क्योंकि अब उसने अपनी शक्ति खो दी है।
ठीक इसी प्रकार जो भी व्यक्ति अपने मां-बाप की अवहेलना करता है
वह जीवन में कभी भी सफलता की ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच सकता ।
मैं ईश्वर का फिर से धन्यवाद करता हूं मुझे
इतने प्यारे मम्मी पापा देने के लिए...... थैंक्यू शिव जी......
आलोक रंजन यादव.....
इतने प्यारे मम्मी पापा देने के लिए...... थैंक्यू शिव जी......
आलोक रंजन यादव.....